गुपकार गैंग कहे जाने पर भड़के फारुख अब्दुल्ला का सच क्या है ?
जब रुतबा ,सत्ता , शोहरत और दौलत आदमी के हाथ से खिसकती हैं और उसे यह अहसास होता है कि अब यह कभी जिंदगी में लौट कर नहीं मिलेंगी तो उसकी हालत कैसी होती है ? इस बात को समझने के लिए कहीं और जाने की जरूरत नहीं है ,फारूक अब्दुल्ला और महबूबा मुफ्ती को देखकर यह सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि इन सब चीजों को खोने वाले आदमियों की क्या हालत होती है ? सचमुच फारुख अब्दुल्ला इस समय बौखला चुके हैं । यही हालत महबूबा मुफ्ती की है । इनसे अलग एक तीसरे जनाब भी हैं , जिनका नाम है उमर अब्दुल्ला । इन तीनों को अपना राजनीतिक भविष्य चौपट दिखाई देता है । इसलिए हर बात पर गुस्सा कर अपनी बात को रखने का प्रयास कर रहे हैं । अब यही फारूक अब्दुल्ला के साथ हुआ है ।
उनके ‘गुपकार गैंग’ को ‘ गुपकार गैंग’ कहना उन्हें पसंद नहीं आ रहा है ।
जो लोग उनके गुपकार गैंग को इस नाम से संबोधित कर उनकी हरकतों पर प्रश्नचिन्ह लगा रहे हैं उनको लताड़ते हुए फारूक अब्दुल्ला ने कहा है कि हम गैंग नहीं हैं बल्कि हम पार्टियों का गठबंधन कर रहे हैं. जो हमें गैंग कह रहे हैं दरअसल वे बड़े डकैत हैं, यही कारण है कि उन्हें हर कोई गैंग दिखता है. हम साथ चुनाव लड़ेंगे, लेकिन हमारा चुनाव चिह्न एक नहीं हो सकता, इसलिए हम अपने-अपने चुनाव चिह्न के साथ संयुक्त उम्मीदवार उतारेंगे.
फारुक अब्दुल्ला ने कहा कि हम देश के दुश्मन नहीं हैं. हम भाजपा के दुश्मन हैं. वे हिंदू, मुस्लिम, सिख और ईसाई को एक दूसरे से अलग करना चाहते हैं. हमारा महात्मा गांधी में विश्वास है, उनके विचारों में विश्वास है. वे सभी को एकसमान मानते थे. फारुक अब्दुल्ला ने गुपकार घोषणा के तहत साथ आयी पार्टियों के गठबंधन को गैंग कहे जाने पर यह तीखी प्रतिक्रिया दी है.
गौरतलब है कि फारुक अब्दुल्ला के साथ जम्मू-कश्मीर की कई पार्टियों ने मिलकर आर्टिकल 370 की पुनर्बहाली के लिए एक मुहिम शुरु किया है. इन पार्टियों में पीडीपी भी शामिल है. पीडीपी की नेता महबूबा मुफ्ती की रिहाई के बाद आर्टिकल 370 की पुनर्बहाली के प्रयास इन पार्टियों ने तेज कर दिये हैं.
प्रदेश को प्राप्त विशेष दर्जा की वापसी के लिए जम्मू-कश्मीर की इन पार्टियों ने मिलकर एक गुपकार घोषणा की है. इस घोषणा के तहत जम्मू-कश्मीर की पार्टियां साथ आयीं हैं और साथ में चुनाव लड़ने का फैसला भी किया है. गुपकार घोषणा के तहत यह कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर को प्राप्त विशेष दर्जे की वापसी के लिए जम्मू-कश्मीर की यह पार्टियां सांविधानिक दायरे में रखकर प्रयास करेंगी. इनका कहना है कि जम्मू-कश्मीर में आर्टिकल 370 फिर से लागू करवाने तक संघर्ष जारी रहेगा.
अब यह कितने संविधानिक दायरे में काम करेंगे या नहीं करेंगे यह तो समय बताएगा ।पर सौ टके का एक सवाल है कि धारा 370 संविधान में रहते हुए भी क्या समान नागरिक संहिता का उल्लंघन नहीं था ? क्या वह भारत की एकता , अखंडता और संप्रभुता के लिए एक खतरा नहीं था ? लगता है कि भारत की एकता, अखंडता और संप्रभुता के लिए खतरा बनी इस धारा को ही उन्होंने संविधान की मूल आत्मा समझ लिया था, जो कि वास्तव में भारतीय संविधान की एक बहुत बड़ी विसंगति थी। अब उस विसंगति को फिर से स्थापित करने की मांग करना या कराना किसी गैंग की बात नहीं तो और क्या है?