महंगाई का सूचकांक रिश्वत
(हास्य-व्यंग्य)
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_-राजेश बैरागी-_
शिवपाल सिंह यादव ने दूसरी बार सच बोला। इससे पहले उन्होंने उत्तर प्रदेश के लोकनिर्माण मंत्री रहते कहा था कि अधिकारियों को आटे में नमक जितना खाना चाहिए। उन्हें तब समाचार माध्यमों तथा अन्य प्लेटफार्म पर खूब ट्रोल किया गया था।अब उन्होंने कहा है कि भाजपा सरकार में महंगाई बहुत बढ़ गई है।
अपनी इस बात की पुष्टि के लिए उन्होंने उदाहरण देते हुए बताया कि हमारी सरकार में पुलिस जो काम सौ से पांच सौ में कर देती थी उसी काम के लिए अब दस हजार रुपए वसूले जा रहे हैं। महंगाई का यह सूचकांक दो लोगों के लिए बहुत भारी पड़ सकता है। एक तो पूर्व मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के लिए जिनकी सरकार को शिवपाल सिंह यादव ने उद्धृत किया। क्या अखिलेश यादव अपने प्रिय चाचा व मंत्री रहे शिवपाल सिंह यादव की इस स्वीकारोक्ति का समर्थन करेंगे? मुझे लगता है कि वो कहेंगे कि,-जब हमने चाचा को खारिज कर दिया तो उनके बयानों को हम नहीं मानते।’ तब क्या वे शिवपाल सिंह यादव के बयान के ऊपर नीचे के हिस्से को भी खारिज करेंगे जिसमें उन्होंने भाजपा राज में महंगाई बढ़ने और पुलिस द्वारा दस से पचास हजार रुपए वसूलने की बात कही है। शायद इस हिस्से से उन्हें नाइत्तेफाकी न हो। हालांकि पुलिस को शिवपाल सिंह यादव को हिरासत में लेकर उनके बयान की सच्चाई जाननी चाहिए। पुलिस को यह हक है और आजकल वह इन्हीं कार्यों में व्यस्त भी है। उधर वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण को ईडी के जरिए शिवपाल के बयान को सत्यापित कराना चाहिए। जहां तक माननीय मुख्यमंत्री के इस बयान पर संज्ञान लेने की बात है तो उन्हें महंगाई बढ़ने, पुलिस के भ्रष्ट हो जाने और किसी राजनेता के सच्चे टुच्चे बयान से कुछ ज्यादा लेना-देना नहीं है। उन्हें जब स्थिति नियंत्रण से बाहर जाती दिखाई देती है तो उनके मुखारबिंद से एक ही शब्द निकलता है-ठोंक देंगे। हालांकि सत्ता संभालने के पहले दिन से ही उनके मुंह से यह शब्द उच्चारित हो रहा है। तो क्या शुरुआत से ही स्थिति……..? ओह मैं भी एक महंत के बारे में क्या सोचने लगा।नरक की अग्नि से मेरी रक्षा हो।