“करवा चौथ” करवा चौथ का व्रत रखना चाहिए या नहीं ?
धर्म की जिज्ञासा वाले के लिए वेद ही परम प्रमाण है ,अतः हमें वेद में ही देखना चाहिए कि वेद का इस विषय में क्या आदेश है ?
वेद का आदेश है—-व्रतं कृणुत !
( यजुर्वेद 4-11)
व्रत करो , व्रत रखो , व्रत का पालन करो ऐसा वेद का स्पष्ट आदेश है ,परन्तु कैसे व्रत करें ? वेद का व्रत से क्या तात्पर्य है ? वेद अपने अर्थों को स्वयं प्रकट करता है..
वेद में व्रत का अर्थ है—-
अग्ने व्रतपते व्रतं चरिष्यामि तच्छ्केयं तन्मे राध्यतां इदमहमनृतात् सत्यमुपैमि !!
( यजुर्वेद 1–5)
हे व्रतों के पालक प्रभो ! मैं व्रत धारण करूँगा , मैं उसे पूरा कर सकूँ , आप मुझे ऐसी शक्ति प्रदान करें… मेरा व्रत है—-मैं असत्य को छोड़कर सत्य को ग्रहण करता रहूँइस मन्त्र से स्पष्ट है कि वेद के अनुसार किसी बुराई को छोड़कर भलाई को ग्रहण करने का नाम व्रत है..शरीर को सुखाने का , रात्रि के 12 बजे तक भूखे मरने का नाम व्रत नहीं है..
चारों वेदों में एक भी ऐसा मन्त्र नहीं मिलेगा जिसमे ऐसा विधान हो कि एकादशी , पूर्णमासी या करवा चौथ आदि का व्रत रखना चाहिए और ऐसा करने से पति की आयु बढ़ जायेगी … हाँ, व्रतों के करने से आयु घटेगी ऐसा मनुस्मृति में लिखा है
पत्यौ जीवति तु या स्त्री उपवासव्रतं
चरेत् !आयुष्यं बाधते भर्तुर्नरकं चैव गच्छति !!
जो पति के जीवित रहते भूखा मरनेवाला व्रत करती है वह पति की आयु को कम करती है और मर कर नरक में जाती है
…अब देखें आचार्य चाणक्य क्या कहते है —
पत्युराज्ञां विना नारी उपोष्य व्रतचारिणी !
आयुष्यं हरते भर्तुः सा नारी नरकं व्रजेत् !!
( चाणक्य नीति – 17–9 )
जो स्त्री पति की आज्ञा के बिना भूखों मरनेवाला व्रत रखती है , वह पति की आयु घटाती है और स्वयं महान कष्ट भोगती है …
अब कबीर के शब्द भी देखें —
राम नाम को छाडिके राखै करवा चौथि !
सो तो हवैगी सूकरी तिन्है राम सो कौथि !!
जो इश्वर के नाम को छोड़कर करवा चौथ का व्रत रखती है , वह मरकर सूकरी बनेगी ज़रा विचार करें , एक तो व्रत करना और उसके परिणाम स्वरुप फिर दंड भोगना , यह कहाँ की बुद्धिमत्ता है ?
अतः इस तर्कशून्य , अशास्त्रीय , वेदविरुद्ध करवा चौथ की प्रथा का परित्याग कर सच्चे व्रतों को अपने जीवन में धारण करते हुए अपने जीवन को सफल बनाने का प्रयत्न करें ।
करवा चौथ का पाखण्ड-
क्या राम के लिए सीता ने, कृष्ण के लिए रुकमनी ने, करवा चौथ का व्रत किया था???
उतर है- नही।
क्यो पत्नी के लिए कोई व्रत नही रखता पति?
जबकि वेद ने दोनो को समान दर्जा दिया है आर्थात वेद की आज्ञा का भंग!
करवा चौथ के नुकसान –
1करवा चौथ नाम बिना आवश्यकता के सामान खरीदना
धन की हानि, बजारो मे भीङ,
विदेशियों निर्माताओ को लाभ,
2 पति पत्नी मे मनमुटाव
उसके पति ने ये दिया और तुमने
क्या दिया आदि
3 घर,परिवार और आसपास की महिलाओ मे व्यर्थ प्रतीस्पर्धा मनमुटाव
4 मुर्ती पूजा,चांद आदि आर्थात जङ की आरती से मुर्ती पूजा को बढावा
5महिलाओं मे डर की उत्पती अगर व्रत नही किया तो सुहाग की हानि आदि
6 धातुओं की हानि आयु मे कमी
आदि अनेक हानि ही हानि है
इस से बचो औरो को बचाओ
समाधान-
जिन वयक्तिओ की दुर्घटना मे मौत हो जाती है क्या उनकी पत्नीओ ने करवा चौथ का व्रत नही रखा था
रखा था
कितने ही व्यक्ती रोङ दुर्घटना मे ,
हर्ट अटेक बीमारी से , सीमा पर सैनिक आदि मारे जाते है। जिसका जन्म है उसकी मौत निश्चित ही होगी इसमे कोई संशय नही है क्योकि शरीर अनित्य है उसको नित्य मानना अविद्या है। केवल निराकार परमात्मा का व्रत रखिये संकल्प से।
सत्य को ग्रहण करो
असत्य को छोङो
और छुङाओ