अर्थशास्त्र में V आकार की बहाली से आश्य यह है कि जिस तेज़ी से अर्थव्यवस्था में ढलान देखने में आया था उतनी ही तेज़ी से अर्थव्यवस्था में वापिस बहाली देखने को मिलेगी। पूरे विश्व में कोरोना वायरस महामारी के चलते आर्थिक गतिविधियां ठप्प पड़ गई थीं। भारत भी इस प्रभाव से अछूता नहीं रहा था। भारत में मार्च के अंतिम सप्ताह से लॉकडाउन लगाया गया था और मई माह में लॉकडाउन को हटाने की प्रक्रिया धीरे धीरे प्रारम्भ हुई थी, जो आज भी जारी है। इस प्रकार लगभग 6 माह तक देश की लगभग 60 प्रतिशत अर्थव्यवस्था बंद सी रही थी।
लॉकडाउन के चलते, मार्च 2020 के बाद से लगातार आर्थिक गतिविधियों में तेज़ कमी देखने में आई थी। परंतु, अब जब माह सितम्बर एवं अक्टोबर 2020 माह के विभिन्न आर्थिक मानदंडो पर जारी किए गए आंकड़ों पर नज़र डालते हैं तो अब यह उम्मीद बनती लग रही है कि भारतीय अर्थव्यवस्था में V आकार की बहाली देखने को मिल सकती है। देश के अधिकतम विश्लेषकों को इस तेज़ बहाली से आश्चर्य हुआ होगा, क्योंकि निराशावादी प्रवृति ने जो जन्म ले लिया था। परंतु, केंद्र सरकार द्वारा आर्थिक क्षेत्र के सम्बंध में सही समय पर लिए गए कई उचित निर्णयों के चलते ही यह तेज़ बहाली सम्भव हो सकी है।
सबसे अच्छी ख़बर तो यह आई है कि बेरोज़गारी की जो दर माह अप्रेल एवं मई 2020 के दौरान 38 प्रतिशत तक पहुंच गई थी वह अब घटकर 8 प्रतिशत तक नीचे आ गई है। बेरोज़गारी की दर के एकदम इतना नीचे आने के मुख्यतः दो कारण हैं – एक तो केंद्र सरकार ने जिन विभिन्न राहत उपायों की घोषणा की जिसके अंतर्गत ख़ासकर व्यापारियों एवं एमएसएमई सेक्टर को 3 लाख करोड़ रुपए का एक विशेष वित्तीय पैकेज प्रदान किया गया था तथा जिसकी गारंटी केंद्र सरकार ने विभिन बैकों को प्रदान की थी, इस वित्तीय पैकेज के तहत छोटे छोटे व्यापारियों एवं उद्योगों को बैकों से वित्त उपलब्ध कराये जाने की व्यवस्था की गई, इसके चलते छोटे छोटे व्यापारियों एवं उद्योगों को अपना व्यापार पुनः प्रारम्भ करने में काफ़ी आसानी हुई है। दूसरा सबसे बड़ा कारण है कि देश में विभिन्न उत्पादों की मांग में भी वृद्धि हुई है क्योंकि लॉकडाउन के कारण लोगों ने वस्तुओं की ख़रीदी, लगातार पांच से छह माह तक, बहुत ही कम मात्रा में की थी।
माह अक्टोबर 2020 में ऊर्जा के उपयोग में 13.38 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है। ऊर्जा के उपयोग में माह अक्टोबर 2019 की तुलना में माह अक्टोबर 2020 में वृद्धि होना, दर्शाता है कि देश में उत्पादन गतिविधियों में तेज़ी आई है। इसी प्रकार, विनिर्माण क्षेत्र में उत्पादन गतिविधियों में वृद्धि एवं कमी दर्शाने वाला इंडेक्स (पीएमआई) भी माह अक्टोबर 2019 के 50.6 की तुलना में माह अक्टोबर 2020 में बढ़कर 58.9 हो गया है। अक्टोबर 2020 में पीएमआई के स्तर में हुई वृद्धि पिछले 13 वर्षों में सबसे अधिक वृद्धि दर है। इस इंडेक्स का 50 के अंक से अधिक होना दर्शाता है कि उत्पादन गतिविधियों में वृद्धि दृष्टिगोचर हो रही है एवं यदि यह इंडेक्स 50 के अंक से नीचे रहता है तो इसका आश्य होता है कि उत्पादन गतिविधियों में कमीं हो रही है।
देश में उत्पाद को एक राज्य से दूसरे राज्य में ले जाने के लिए ई-वे बिल जारी किया जाता है। आज ई-वे बिल जारी किए जाने का स्तर भी कोविड-19 के पूर्व के स्तर पर पहुंच गया है। अर्थात, जितने ई-वे बिल प्रतिदिन औसतन जनवरी एवं फ़रवरी 2020 में जारी किए जा रहे थे लगभग इसी स्तर पर आज भी जारी किए जाने लगे है। हाल ही में जारी किए गए खुदरा महंगाई की दर के आंकड़ों में भी थोड़ी तेज़ी दिखाई दी है। इसका आश्य यह है कि देश में उत्पादों की मांग में वृद्धि हो रही है।
माह अक्टोबर 2020 में वस्तु एवं सेवा कर की उगाही में बहुत अच्छी वृद्धि दर्ज हुई है। यह माह सितम्बर 2020 में हुई 95,480 करोड़ रुपए की उगाही से बढ़कर माह अक्टोबर 2020 में 105,155 करोड़ रुपए हो गई है। यह माह अप्रेल 2020 में घटकर 32,172 करोड़ रुपए हो गई थी एवं माह मई 2020 में बढ़कर 62,151 करोड़ रुपए तथा माह अगस्त 2020 में 86,449 करोड़ रुपए की रही थी।
अक्टूबर माह में वाहनों की बिक्री में भी बढ़त दर्ज की गयी है। ग्राहकों के बीच खरीदारी धारणा में सुधार और मांग बढ़ने से देश की दो प्रमुख कार कम्पनियों मारुति सुजुकी और हुंदै मोटर्स की बिक्री में इस दौरान दहाई अंक की वृद्धि दर्ज की गयी है। होंडा कार्स इंडिया, टोयोटा किर्लोस्कर मोटर और महिंद्रा एंड महिंद्रा की घरेलू बिक्री में भी अक्टूबर में बढ़त रही है। दोपहिया वाहन श्रेणी में देश की सबसे बड़ी कंपनी हीरो मोटोकॉर्प के लिए मासिक बिक्री के लिहाज से अक्टूबर सबसे अच्छा महीना रहा। टाटा मोटर्स का भी कहना है कि अब उनकी कंपनी के छोटे व्यावसायिक वाहनों की बिक्री कोरोना वायरस महामारी से पहले के स्तर पर पहुंचने लगी है। महामारी तथा इसकी रोकथाम के लिये देश भर में लगाये गये लॉकडाउन का सबसे बुरा असर स्वरोजगार तथा कम-मध्यम आय वाले वर्ग के ऊपर हुआ था। छोटे व्यावसायिक वाहनों की बिक्री से इस वर्ग के आर्थिक हालात में भी सुधार हुआ है।
उपभोक्ता सामानों जिसमें तमाम इलेक्ट्रानिक्स उत्पाद, होम फर्निशिंग और फर्नीचर आदि शामिल हैं, की बिक्री भी नये रिकॉर्ड बना रही है। यही नहीं रियल एस्टेट क्षेत्र में भी तमाम डिस्काउंट्स के चलते अच्छी रौनक देखने को मिल रही है। सभी कम्पनियों के मोबाइल फोन भी खूब बिक रहे हैं। लैपटॉप की बिक्री में तो लगातार तेजी दिख रही है क्योंकि ऑनलाइन क्लासेज और वर्क फ्रॉम होम न्यू नॉर्मल हो गये हैं।
यही नहीं अक्टूबर महीने में यूपीआई के जरिये 200 करोड़ रुपए का भुगतान किया गया जो कि अपने आप में एक बड़ा रिकॉर्ड है और अर्थव्यवस्था में तेजी का सूचक भी है।
देश में पेट्रोल की बिक्री भी माह जनवरी 2020 के 24.56 लाख टन की तुलना में माह सितम्बर 2020 में 24.19 लाख टन की रही है अर्थात कोरोना महामारी के पूर्व के स्तर को लगभग प्राप्त कर लिया गया है।
भारत का विदेशी मुद्रा भंडार भी दिनांक 23 अक्टोबर 2020 को 56,050 करोड़ अमेरिकी डॉलर के रिकार्ड स्तर पर पहुंच गया है जो 25 अक्टोबर 2019 को 44,260 करोड़ अमेरिकी डॉलर के स्तर पर था। इस प्रकार पिछले एक वर्ष के दौरान विदेशी मुद्रा भंडार में 11,790 करोड़ अमेरिकी डॉलर की वृद्धि हुई है, जो 26.63 प्रतिशत की आकर्षक वृद्धि दर है। इसी प्रकार, अप्रेल से अगस्त 2020 के दौरान देश में प्रत्यक्ष विदेशी निवेश में भी 13 प्रतिशत वृद्धि दृष्टिगोचर हुई है और यह 3,573 करोड़ अमेरिकी डॉलर का रहा है। इस प्रकार, विदेशी निवेशकों का भी भारतीय अर्थव्यवस्था पर विश्वास झलक रहा है।
यूं तो देश के सकल घरेलू उत्पाद में कृषि क्षेत्र का योगदान 16/17 प्रतिशत ही रहता है परंतु देश की लगभग 60 प्रतिशत आबादी ग्रामों में ही निवास करती है अतः रोज़गार के लिए यह आबादी मुख्यतः कृषि क्षेत्र पर ही निर्भर रहती है। इसके चलते आजकल कृषि क्षेत्र, केंद्र सरकार की नज़र मे, प्राथमिकता की श्रेणी में आ गया है। जिसके चलते देश में गावों में ही ट्रैक्टर, दो पहिया वाहन, एवं कम लागत वाले चार पहिया वाहनों की बहुत अच्छी मांग उत्पन्न हो रही है। देश एवं विभिन्न राज्यों की सरकारों का जितना अधिक ध्यान कृषि क्षेत्र की ओर बना रहेगा देश में उतनी अधिक आर्थिक गतिविधियां बढ़ेंगी। जबकि पूर्व में, देश में दिल्ली, तमिलनाडु एवं महाराष्ट्र जैसे राज्य आर्थिक दृष्टि से विकास के मुख्य केंद्र रहे हैं। परंतु, हाल ही में इन प्रदेशों में कोरोना महामारी का प्रभाव बहुत ज़्यादा देखने में आया है अतः वर्तमान में इन केन्द्रों में आर्थिक विकास प्रभावित होता दिख रहा है। इसीलिए, वर्तमान में ग्रामीण इलाक़ों के माध्यम से ही देश के आर्थिक विकास को गति मिल रही है।
हालांकि आर्थिक गतिविधियां पूरे देश में ही सफलतापूर्वक प्रारम्भ हो चुकी हैं परंतु विशेष रूप से ग्रामीण इलाक़ों में मनरेगा योजना के अंतर्गत पिछले 1 से 2 माह के दौरान असाधारण काम हुआ है। साथ ही, इस बीच प्रधानमंत्री ग़रीब कल्याण योजना पर भी तेज़ी से कार्य प्रारम्भ हुआ जिसके कारण विशेष रूप से ग्रामीण इलाक़ों में रोज़गार के नए अवसर निर्मित हुए हैं। लॉकडाउन के दौरान, देश में ग़रीब परिवारों को खाने पीने का सामान, देश की जनता के सहयोग से, उपलब्ध कराया गया था। इसके प्रबंधन की भी मुक्त कंठ से प्रशंसा की गई है। इस प्रकार तो देश में एक मिसाल क़ायम हुई है क्योंकि इतना बड़ा देश एवं इतनी अधिक जनसंख्या के बावजूद सामान्यतः किसी भी तरह की विपत्ति अथवा नागरिकों में पीड़ा देखने को नहीं मिली।
देश की अर्थव्यवस्था में जो तेज़ी देखने में आ रही है, वह अल्पकालीन नहीं होकर लंबे समय तक आगे जाने को तैयार दिख रही है। इसी कारण तो कई अंतरराष्ट्रीय वित्त संस्थान भारत के सकल घरेलू उत्पाद में वर्ष 2021-22 में 9 प्रतिशत से भी अधिक की वृद्धि की सम्भावनाएं व्यक्त कर रहे हैं।
लेखक भारतीय स्टेट बैंक से सेवा निवर्त उप-महाप्रबंधक हैं।