गाजियाबाद ( एल. एस. तिवारी) वर्ल्ड एनआरआई एसोसिएशन यूएसए की ‘विश्व शांति और भारत का दर्शन’ विषय पर आयोजित की गई एक वेबीनार को मुख्य वक्ता के रूप में संबोधित करते हुए ‘उगता भारत’ के संपादक डॉ राकेश कुमार आर्य ने कहा कि विश्व शांति के लिए संयुक्त राष्ट्र अपनी विश्वसनीयता खो चुका है। आर्य ने कहा कि इस विश्व संस्था को मंदिर बनाने का संकल्प न लेकर कलह, क्लेश, कटुता और पारस्परिक घृणा का एक ऐसा केंद्र बना दिया गया है जहां सब देश अपने-अपने हितों के लिए लड़ते हैं ।
श्री आर्य ने कहा कि मजहब के नाम पर खेमेबंदी कर विश्व को तीसरे विश्वयुद्ध की ओर धकेलने के लिए पैशाचिक प्रवृतियां अपना काम कर रही हैं। विश्व के बहुत से लोगों को यह उम्मीद है कि यदि तीसरा विश्व युद्ध हुआ तो उनका मजहब जीतेगा और यदि मजहब जीतेगा तो उसके बाद सारी दुनिया उनके मजहबी झंडे के नीचे होगी । जबकि यह प्रवृत्ति पूर्णतया गलत है। डॉक्टर आर्य ने कहा कि भारत के ऋषियों का चिंतन वसुधैव कुटुंबकम और कृण्वन्तो विश्वमार्यम् के दृष्टिकोण को लेकर आगे बढ़ता था । जिसमें पूरी वसुधा को अपना परिवार मानकर एक दूसरे के प्रति कर्तव्य निर्वाह को प्राथमिकता दी जाती थी।
डॉ आर्य ने कहा कि संसार की जितनी भी राजनीतिक विचारधाराएं इस समय प्रचलित हैं उन सबने मनुष्य को स्वार्थी बनाया है, जबकि भारत की परंपरा स्वार्थ को मारकर परमार्थ के लिए मानव निर्माण करने की है। हमारा मानना है कि अधिकारों की लड़ाई से संसार में शांति स्थापित नहीं हो सकती बल्कि कर्तव्यों के निर्वाह पर ध्यान केंद्रित करने से विश्व शांति स्थापित हो सकती है । कर्तव्य निर्वाह की प्रवृत्ति से सारे संसार का वातावरण कर्तव्य बोध से भर जाता है ।जिससे सब एक दूसरे को अपना भाई मानने लगते हैं। डॉ आर्य ने कहा कि आज के भटकते हुए वैश्विक समाज को भारत का वसुधैव कुटुंबकम का आदर्श ही सच्ची शांति प्रदान कर सकता है।
वेबीनार को संबोधित करते हुए ‘उगता भारत’ के चेयरमैन देवेंद्रसिंह आर्य ने कहा कि विश्व समाज के लिए भारत के वेदों की मान्यताएं यदि लागू कर दी जाएं तो सच्ची विश्व शांति स्थापित हो सकती है। उन्होंने कहा कि मजहबी दृष्टिकोण और वीटो पावर संपन्न देशों का दूसरे देशों पर रौब झाड़ने का स्वभाव वर्तमान विश्व के लिए शांति को मृग मरीचिका बनाए हुए हैं। जबकि राष्ट्र निर्माण पार्टी के महासचिव डॉ आनंद कुमार ने कहा कि विश्व को भारत का इस बात के लिए ऋणी होना चाहिए कि सच्ची मानवता का पाठ पढ़ाने की सामर्थ्य केवल भारत के वैदिक चिंतन में है। उन्होंने वेद के शांति पाठ का उल्लेख करते हुए कहा कि वास्तविक शांति की उपासना केवल भारत के चिंतन में ही संभव है। यदि इसको आज के विश्व के द्वारा मान्यता प्रदान कर दी जाए तो सारा विश्व प्रेम और भाईचारे का घर बन कर रह जाएगा।
इस वेबीनार में श्रीमती वंदना ,राजाराम ,श्रीमती निर्मला, अंकुश, मां राज्यलक्ष्मी, जितेंद्र सिंह चौहान, जेपी प्रजापति ,स्वामी श्रद्धानंद जी ने भी अपने विचार व्यक्त किए। वैबिनार का संचालन श्रीमती राज्यलक्ष्मी द्वारा किया गया।