विश्व में केवल वेद ही विश्व बंधुत्व को बढ़ाते हैं : महेंद्र आर्य
दादरी देवेंद्र सिंह आर्य ग्राम छाँयसा में चले सामवेद पारायण यज्ञ में मुख्य वक्ता के रूप में बोलते हुए आर्य प्रतिनिधि सभा गौतमबुद्ध नगर के प्रधान और आर्य समाज के नेता महेंद्र सिंह आर्य ने कहा कि विश्व में केवल वेद ही विश्व बंधुत्व की भावना को बढ़ाते हैं ,अन्य कोई धर्म ग्रंथ नहीं । उन्होंने कहा कि संसार में जितने अन्य ग्रंथ अपने आप को किसी संप्रदाय की पुस्तक के रूप में घोषित करते हैं वे संप्रदायवाद को बढ़ावा देते हैं। जबकि वेद सच्चे भाईचारे को जन्म देता है । उन्होंने कहा कि वैदिक संस्कृति का मूल आधार यज्ञ है और यज्ञ की भावना का प्रचार प्रसार करना वैदिक संस्कृति का प्रमुख उद्देश्य है । इस भावना से संसार और समाज में विश्व बंधुत्व का संदेश जाता है । जिससे हम वसुधैव कुटुंबकम की पवित्र भावना में बन्धते हैं ।
श्री आर्य ने कहा कि वेदों में ईश्वर ने मनुष्य के जीवन में काम आने वाले सभी विषय के सम्बन्ध में लिखा हुआ है। जिनमें विश्व बन्धुत्व की भावना पर विशेष जोर दिया गया है, जिससे विश्व में सुख व शान्ति बनी रहे। उन्होंने ऋग्वेद के मंत्र अज्येष्ठा सो अकनिष्ठा स एते सं भ्रातरो वा वृधुः सौभागाय। की व्याख्या करते हुए कहा कि इस मंत्र में कहा गया है कि हम सब भाई-भाई हैं। न कोई बड़ा है और न कोई छोटा है। सौभाग्य के लिए हम सब परस्पर मिल कर उन्नति करें।
जबकि अथर्ववेद के एक मंत्र में माता भूमिः पुत्रोऽहं पृथिव्याः कहकर प्रार्थना की गई है कि- भूमि हमारी माता है और हम सब उसकी सन्तान हैं।
इसी प्रकार सर्व भूतेषु चात्माने ततो न विचिकिन्सति।
अर्थ- हे मनुष्य! तू सब प्राणियों में अपनी आत्मा को देख और सबकी आत्मा को अपने आत्मा के समान समझ।
श्री आर्य ने कहा कि संसार में वास्तविक सुख शांति और भाईचारे की स्थापना केवल वेदों के अध्ययन और उनकी संस्कृति के प्रचार-प्रसार से ही संभव है।
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