हिंदू महासभा ने दिया राष्ट्रपति को ज्ञापन
हिंदू महासभा ने राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी को राष्ट्रीय अध्यक्ष स्वामी चक्रपाणि महाराज के नेतृत्व में ज्ञापन सौंपकर मांग की है कि विश्व हिन्दू परिषद द्वारा विश्व से अब तक अरबों रुपये रामभक्तों से श्रीरामजन्मभूमी पर भव्य मन्दिर निर्माण के नाम पर चन्दा इकट्ठा किया गया उसके आय व्यय के हिसाब की जांच सी.बी.आई से की जाए । ज्ञापन में कहा गया है कि 6 दिसम्बर 1992 को अयोध्या के श्रीरामजन्मभूमि के शिखर को तोड़ने वाले संघ, विश्व हिन्दू परिषद एवं भाजपा पर मन्दिर तोड़े जाने का केस चलाया जाए एवं इनको प्रतिबन्धित किया जाए । साथ ही श्रीरामजन्मभूमि केस माननीय सुप्रीम कोर्ट में लम्बित है, इसके तत्काल निर्णय हेतु फास्ट टैऊक कोर्ट बनायी जाए ।
ज्ञापन के विषय में जानकारी देते हुए राष्ट्रीय महामंत्री डा. इंदिरा तिवारी ने हमारे संवाददाता को बताया कि ज्ञापन में राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा है कि श्रीराम मन्दिर का निर्माण देश के सन्त व राम भक्त धार्मिक सौहार्द एवं राष्ट्रीय एकता-अखण्डता के साथ करेंगे ।
आर्थिक रुप से कमजोर सनातनधर्मी संतो एवं पुजारियों को भी सरकार द्वारा मासिक वेतन दिया जाए । इसके अलावा सनातनधर्म के मन्दिरों, आश्रमों व अन्य धार्मिक आयोजन हेतु संतो के नेतृत्व में ”धर्मपीठ” की स्थापना की जाए एवं सन्तों को मानसरोवर, अमरनाथ, चारधाम आदि सभी धार्मिक यात्रा सरकार द्वारा नि:शुल्क करायी जाए।
ज्ञापन में मांग की गयी है कि देश में शराब व अन्य नशे पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाया जाए ।
वर्तमान उत्तराखण्ड की बहुगुणा सरकार को बर्खास्त कर राष्ट्रपति शासन लगाया जाए एवं उत्तराखण्ड में आयी प्राकृतिक आपदा को राष्ट्रीय आपदा घोषित करते हुए पीड़ितों को मुआवजा दिया जाए ।
अंत में गंगा की मूलधाराओं (मुख्यत: भागीरथी, अलकनन्दा, मन्दाकिनि) से बांध परियोजनाओं को हटाया जाए तथा यमुना की अविरलता, निर्मलता को भी सुनिश्चित किया जाए ।
साथ ही गौ-हत्या एवं जीव-हत्या पर पूर्ण प्रतिबन्ध लगाया जाए तथा गौ को राष्ट्रीय प्राणी घोषित किया जाए।देश की सीमा को पाकिस्तान, चीन, बांग्लादेश व अन्य से सुरक्षित किया जाए । श्रीराम सेतु को राष्ट्रीय धरोहर घोषित किया जाए ।
डा. इंदिरा तिवारी ने बताया कि राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने पार्टी नेता की बातों को बड़े ध्यान से सुना और उन पर सकारात्मक कार्यवाही करने का संकेत दिया। डा. तिवारी ने कहा कि ज्ञापन में ये भी मांग की गयी है कि स्वामी रामदेव एवं आचार्य बालकृष्ण के खिलाफ सरकार द्वारा अखिल भारतीय संत समिति के दिनांक 29 अप्रैल 2011 के पत्र को माध्यम बनाकर किये जा रहे उत्पीड़न पर तत्काल रोक लगायी जाए साथ ही पत्र की प्रामाणिकता की ब्लू जांच हो। ज्ञापन देने के बाद डा. इंदिरा तिवारी यहां संवाददाताओं से मुखातिब हो रही थीं।