प्रधानमंत्री मोदी का राष्ट्र के नाम संबोधन – क्या कह गया ?
मोदीजी का हाल ही में सम्बोधन आप सबने सुना होगा और मैंने भी सुना..
उन्होंने *सामान्य लोगों के लिए* कोरोना के खतरे और सावधानी रखने की सलाह दी.
लेकिन मुझे तो उनके पूरे संबोधन में … उनकी *रामचरित मानस की चौपाई* याद रह गई.
क्योंकि, मुझे नहीं लगता है कि आज 6-7 महीने बाद भी *एक राष्ट्र प्रमुख* को सामने आकर मास्क और सैनिटाइजर की उपयोगिता समझाने की जरूरत पड़े.
*रिपु रुज पावक पाप प्रभु अहि गनिअ न छोट करि।*
*अस कहि बिबिध बिलाप करि लागी रोदन करन।।*
*अर्थात- शत्रु, रोग, अग्नि, पाप, स्वामी और सर्प को कभी छोटा नहीं समझना चाहिए.*
इसीलिए, मेरे हिसाब से तो ये साफ और महत्त्वपूर्ण संदेश दे दिया कि हिंदुस्तान के अंदर ही छिपे दुश्मनों को छोटा समझने की भूल न करें. क्योंकि, उसके पीछे अपने ही गद्दार लोग हैं। जिसका जीता जागता उदाहरण देखने और पढ़ने के लिए इतिहास में जाने की भी जरूरत नहीं है। कश्मीर का ताज़ा इसी सप्ताह का उदाहरण है कि कैसे मौका परस्त गिद्ध नेता एक जगह जमा हो गए हैं और वे दुश्मनों के एजेंडे पर काम कर रहे हैं.
वे इतने शातिर हैं कि *साइकिल चोर तबरेज* की घटना को भी अंतरराष्ट्रीय स्तर पर ले कर चले जाते हैं और हम 100 करोड़ होकर भी उनका मुँह ताकते रह जाते हैं. इसीलिए, उनसे सावधानी रखने की जरूरत है.
साथ ही उन्होंने चीन और पाकीस्तान के संबंध में भी बता दिया कि हम उनकी हर चाल को समझ रहे हैं और हम उन्हें कम करके नहीं आंक रहे हैं.
आज भले ही ये “गज़वा-ए-हिंद” (हिंदुस्तान पर राज) वाले शांत पड़े हैं और उनके सरपरस्त वामपंथी और फ़िल्म इंडस्ट्री के छुपे जेहादी कहीं नजर नहीं आ रहे हैं, लेकिन, उन्हें कमजोर समझने की भूल नहीं करनी चाहिए!
साथ ही उन्होंने कहा कि… “लॉक डाउन गया है … कोरोना नहीं..!
शायद… इस बात से उनका तात्पर्य था कि… भले ही अभी दुश्मन शांत पड़े हैं लेकिन वे देश छोड़कर भाग नहीं गए हैं या मर नहीं गए हैं… बल्कि, वे अपने लिए अनुकूल समय का इंतजार कर रहे हैं…
इसीलिए, जब तक वैक्सीन ना आये अर्थात, जब तक नई जनसंख्या नीति, NRC और UCC ना आ जाए…
राजनीति में हर बात साफ-साफ नहीं बोली जाती है और उसमें गंभीर बातें इशारों में कही जाती है.