भारतीय सेना के अस्त्र-शस्त्र, जलयान एवं वायुयान
भारत में सेनाओं के प्रयोग करने के लिए अनेक शस्त्रों का निर्माण किया जाता है। इनमें प्रमुख निम्नलिखित हैं :-
(1) थल सेना के प्रयोग करने के लिए
(ए) विजयंत टैंक-इस टैंक का निर्माण आवड़ी नामक स्थान पर किया जाता है। इस टैंक का भार 37 टन है। इसकी गति 56 किलोमीटर प्रति घंटा है।
(बी) वायकर्स-भारत में निर्मित यह दूसरा टैंक है। इसके अतिरिक्त भारतीय सेना के पास विदेशी टैंक एएमएक्स 13 (फ्रांसीसी) सेंचुरियन (ब्रिटिश) पीटी-76 (रूसी) टी-54, टी-55 व टी-90 (रूसी) अर्जुन हैं।
(2) जल सेना के प्रयोगार्थ
(ए)आईएनएस मैसूर-यह पहले नाइजीरिया के नाम से जाना जाता था, यह 8000 टन का क्रूजर है।
(बी) डेस्ट्रोयर-रणजीत, राजपूत, राणा, गंगा, गोमती, गोदावरी आदि हैं।
(सी) फ्रिगेट्स-आईएनएस त्रिशूल, तलवार, पनडुब्बी निरोधक फ्रिगेट हैं। एण्टी एयरक्राफ्ट, ब्रह्मïपुत्र व्यास तथा बेतवा हैं। पनडुब्बी निरोधक जलयान नीलगिरि व मझगांव डॉक में निर्मित हैं। हिमगिरि, उदयगिरि, दूनागिरि फ्रिगेट जलयान हैं।
(डी) पनडुब्बी-कलवेरी, कुर सुरार, कावेरी, शंकुल तथा शल्की पनडुब्बी भारतीय नौसेना के पास हैं। पोतरोधी क्लब प्रक्षेपास्त्रों से युक्त किलो क्लास पनडुब्बी आईएनएस सिंधुशस्त्र को 19 जुलाई 2000 कों सेंट पीटर्सबर्ग (रूस) में भारतीय नौसेना में शामिल किया गया है। स्कोर्पीन पनडुब्बियां फ्रांस में खरीदने का करार हो चुका है।
(ई) आईएनएस विराट-इसको पहले एचएमएस हर्मीज कहा जाता था। यह भारत का एकमात्र एयरक्राफ्ट कैरियर है। यह युद्घपोत सन 2010 तक देश की सेवा करेगा।
(एफ) धनुष-स्वदेश निर्मित प्रक्षेपास्त्र का सफल परीक्षण 11 अप्रैल 2000 को उड़ीसा में चांदीपुर परीक्षण केन्द्र के निकट एक पोत आईएनएस सुभुद्रा से किया गया। पृथ्वी प्रक्षेपास्त्र के ही प्रतिरूप कहे जाने वाले इस प्रक्षेपास्त्रं को विशेष रूप से नौसेना के लिए विकसित किया गया है तथा इसका प्रक्षेपण युद्घ पोत से ही किया जा सकता है। इसका नवीनतम परीक्षण 30 मार्च 2007 को सफलतापूर्वक किया गया। इस मिसाइल का यह चौथा परीक्षण था।