पाकिस्तान के एक रिटायर्ड सैन्य अधिकारी ने ही अपने देश की पोल खोल दी है
इस्लामाबाद, एएनआइ। पाकिस्तान के एक रिटायर्ड सैन्य अधिकारी ने ही अपने देश की पोल खोल दी है। राइडर्स इन कश्मीर नाम की अपनी किताब में रिटायर्ड मेजर जनरल अकबर खान ने स्वीकार किया है कि सन 1947 में कश्मीर को पाकिस्तान से मिला लेने की नीयत से कबायलियों के साथ पाकिस्तानी सेना ने हमला किया था। पाकिस्तान पूरे कश्मीर पर ही कब्जा करना चाहता था लेकिन भारतीय सेना के वहां आ जाने से उसका मंसूबा पूरा नहीं हो सका था।
अकबर खान का 1947 में कश्मीर में हुए युद्ध में पाकिस्तानी सेना की ओर बड़ा योगदान था। अकबर खान बंटवारे के समय बनी आर्म्ड फोर्स पार्टीशन सब कमेटी में भी थे। अकबर खान ने लिखा है कि सितंबर 1947 में वह पाकिस्तानी सेना के मुख्यालय में हथियारों और उपकरणों के विभाग के निदेशक थे। तभी उनसे कहा गया कि तैयारी करें, हमें कश्मीर पर कब्जा करना है।
हथियारों और गोला-बारूद के विभाग का प्रमुख होने के नाते उनकी जिम्मेदारी युद्ध के लिए सभी आवश्यक इंतजाम करने की थी। हथियारों की ताकत पर ही सेना और अन्य लोगों को कश्मीर पर हमला बोलना था। सरकार का आदेश मिलने के बाद इटली से हथियारों और गोला-बारूद का बंदोबस्त किया गया और उन्हें कश्मीर में मौजूद पाकिस्तानी एजेंटों को भेजा गया। इसका उद्देश्य यह था कि जिस समय पाकिस्तानी सेना और कबायली कश्मीर पर हमला करेंगे, उसी समय कश्मीर के अंदरूनी इलाकों में मौजूद एजेंट वहां पर हिंसा फैलाएंगे।
इससे दो मोर्चो पर सुरक्षा बल फंस जाएंगे और पाकिस्तान आसानी से कश्मीर पर कब्जा कर लेगा। इस कार्रवाई को ऑपरेशन गुलमर्ग का नाम दिया गया था। लेकिन पाकिस्तान को यह पता नहीं चल सका था कि कश्मीर के महाराजा हरि सिंह ने भारत से हाथ मिला लिया है और वहां से मदद मांगी है। पाकिस्तान पर हमला होने के कुछ घंटों के बाद वहां भारतीय सेना पहुंच गई और इसके बाद तस्वीर बदल गई।
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