नई दिल्ली । अखिल भारत हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष बाबा पंडित नंदकिशोर मिश्रा ने कहा है कि ‘जय भीम – जय मीम’ का नारा लगाना हिंदू समाज को कमजोर करने का एक षड़यंत्र है। जिसमें देश के कई राजनीतिक दल और भारत को खंड खंड करने वाली शक्तियों का विशेष रूप से हाथ है।
हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि डॉक्टर भीमराव अंबेडकर इस प्रकार के नारों के कड़े विरोधी थे । उन्होंने उस समय इस्लाम को न अपनाकर बौद्ध धर्म को अपनाया था, जो कि हिंदू धर्म के अधिक निकट है । उन्होंने कहा कि ‘थॉट्स ऑन पाकिस्तान’ नामक पुस्तक में भीमराव अंबेडकर जी ने जिस प्रकार इस्लाम की पोल खुली है उससे पता चलता है कि वह इस्लाम को भी अपना सकते थे लेकिन इस धर्म को उन्होंने इसलिए नहीं अपनाया कि वहां पर दलित समाज का और भी अधिक शोषण होता ।
हिंदू महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष ने कहा कि हमें आर्य समाज के वैज्ञानिक दृष्टिकोण को अपनाकर मनु की आदर्श व्यवस्था के अनुसार अपने हरिजन भाइयों के साथ न्याय करने के लिए सामाजिक आंदोलन चलाना होगा । उन्होंने कहा कि हिंदू महासभा दलितों के उद्धार का कार्य सावरकर जी के काल से करती चली आ रही है । हम अपने प्रत्येक हरिजन भाई को अपने समाज का एक अभिन्न अंग मानते हैं , इसलिए ‘जय भीम जय मीम’ कहने वालों को समझ लेना चाहिए कि अब ‘जय हिंदू – जय हरिजन’ का नारा हमारे लिए मार्गदर्शक होगा। जिसका अभिप्राय है कि हिंदू हरिजन के बिना अधूरा है । हरिजन हमारे समाज का वह अभिन्न भाग है जिसके बिना हमारा हिंदू इतिहास पूर्ण नहीं होता। हमारा सांझा इतिहास , सांझी संस्कृति, सांझा विचार और साझा उद्देश्य है ,इसलिए अपने हाथ को हम अपने साथ रखना चाहेंगे। जिसे हम से अलग करने के षड्यंत्र में लगी शक्तियों का हमें मिलकर सामना करना होगा।