संजय सक्सेना
उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की दस सीटों के लिए होने वाले चुनाव में मतदान की संभावना काफी कम नजर आ रही है। बिखरा विपक्ष और इनमें एकजुटता की कमी से किसी एक दल के पास पर्याप्त विधायक न होने के कारण शायद ही शक्ति प्रदर्शन जैसी स्थिति उत्पन्न हो।
चुनाव आयोग ने उत्तर प्रदेश में 25 नवंबर को खाली हो रही राज्यसभा की 10 सीटों के लिए 9 नवंबर को चुनाव कराने का निर्णय लिया है। चुनाव आयोग ने इसका कार्यक्रम जारी कर दिया है। कार्यक्रम के अनुसार 20 अक्टूबर को अधिसूचना जारी होगी। 27 तक नामांकन व 28 अक्टूबर को पर्चों की जांच होगी। 2 नवंबर तक नाम वापसी होगी। 9 नवंबर को मतदान व मतगणना होगी, जिन सीटों पर चुनाव हो रहा है, उनमें 4 सीटें सपा के, 3 भाजपा के, 2 बसपा के और 1 सीट कांग्रेस के पास है। सपा के रामगोपाल यादव, जावेद अली, चंद्रपाल सिंह यादव, रवि प्रकाश, भाजपा के अरूण सिंह, केंद्रीय मंत्री हरदीप सिंह पुरी व नीरज शेखर का कार्यकाल खत्म हो रहा है। वहीं, बसपा के वीर सिंह व राजाराम और कांग्रेस के पीएल पुनिया की सीट पर चुनाव होगा। इस बार भाजपा को बड़ा फायदा मिलना तय है।
उत्तर प्रदेश में राज्यसभा की दस सीटों के लिए होने वाले चुनाव में मतदान की संभावना काफी कम नजर आ रही है। बिखरा विपक्ष और इनमें एकजुटता की कमी से किसी एक दल के पास पर्याप्त विधायक न होने के कारण शायद ही शक्ति प्रदर्शन जैसी स्थिति उत्पन्न हो। यह भी माना जा रहा है कि सभी विपक्षी दल अपने बागियों से आहत हैं। बगावत बढ़ने की आशंका से भी वोटिंग से बचने की कोशिश होगी। उधर सपा प्रमुख अखिलेश यादव ने प्रो. राममगोपाल यादव को उम्मीदवार घोषित करके मतदान की संभावना को और कमजोर कर दिया है।
9 नवंबर को होने वाले राज्यसभा चुनाव के साथ ही संसद के ऊपरी सदन का समीकरण काफी बदल जाएगा। जिन 10 सीटों पर चुनाव होने हैं उसमें बीजेपी का पलड़ा भारी है। 10 सीटों में 8 पर तो बीजेपी आसानी से जीत दर्ज कर लेगी, लेकिन बीजेपी का लक्ष्य 9 सीटों पर जीत दर्ज कराने का होगा। अगर मौजूदा समय की बात करें तो यूपी विधानसभा में अभी 395 विधायक हैं और 8 सीटें खाली हैं। यूपी विधानसभा की मौजूदा स्थिति के आधार पर नवंबर में होने वाले चुनाव में जीत के लिए हर सदस्य को करीब 37 वोट चाहिए। यूपी विधानसभा में सत्ताधारी बीजेपी की मौजूदा ताकत को देखें तो उसके पास अपने 305 विधायक हैं। ऐसे में इस संख्या बल के दम पर भाजपा नवंबर में 10 में से 8 सदस्यों को चुनकर उच्च सदन में आसानी से भेज सकती है। यदि बीजेपी प्रत्याशी को अतिरिक्त समर्थन मिल गया तो यह संख्या 9 तक पहुंच सकती है। भारतीय जनता पार्टी के लिए अतिरिक्त एक सीट जीतने की संभावना इसीलिए बन सकती है, क्योंकि मौजूदा गणित के मुताबिक 8 सदस्यों के लिए वोटिंग के बावजूद उसके पास अपने अतिरिक्त 13 वोट बचेंगे। इसमें अपना दल का 9 वोट शामिल करने से यह संख्या 22 तक पहुंच जाएगी।
बीजेपी के अंदरूनी सूत्रों के मुताबिक उसे कुछ विपक्षी विधायकों का भी समर्थन मिल सकता है। रायबरेली के हरचंदपुर और सदर सीट से कांग्रेस विधायक राकेश सिंह और अदिति सिंह जिस तरीके से कांग्रेस के खिलाफ बागवत कर रहे हैं। बीजेपी को उम्मीद है कि ये दोनों राज्यसभा के लिये बीजेपी का साथ दे सकते हैं। वहीं बीजेपी में शामिल हो चुके पूर्व राज्यसभा सांसद नरेश अग्रवाल के बेटे नितिन अग्रवाल भी कहने के लिए तो समाजवादी पार्टी के विधायक हैं, लेकिन वह भी राज्यसभा में बीजेपी के लिए वोट कर सकते हैं।
विधायकों की संख्या के मुताबिक एक सीट समाजवादी पार्टी के पाले में जा सकती है। इस हिसाब से प्रो. रामगोपाल यादव की जीत सुनिश्चित है। समाजवादी पार्टी के पास 48, बहुजन समाज पार्टी के पास 18, बीजेपी की सहयोगी अपना दल के 9, कांग्रेस के 7, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी के 4, राष्ट्रीय लोकदल के 1 और 3 निर्दलीय विधायक हैं। नवंबर में दस सीटों के लिए होने वाले चुनाव के बाद राज्यसभा में एनडीए बहुमत का आंकड़ा पार कर लेगा। 245 सदस्यों वाली राज्यसभा में इस वक्त भारतीय जनता पार्टी के पास अपने कुल 87 सांसद हैं जबकि, एनडीए का कुल आंकड़ा 114 का है। ऐसे में नवंबर में यूपी में हो रहे चुनाव में बीजेपी को उम्मीद के मुताबिक 10 में से 09 सीटें सीटें मिल गईं तो एनडीए अपने दम पर बहुमत के आंकड़े को छू लेगा। यानि उम्मीद के मुताबिक बीजेपी को जीत मिल गई तो राज्यसभा में बीजेपी की संख्या 97 पहुँच जाएगी, जबकि एनडीए की संख्या 124 को छू लेगी, जो बहुमत के आंकड़े की संख्या पार करती है।