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वैदिक साधन आश्रम तपोवन, देहरादून महात्मा आनन्द स्वामी जी की प्रेरणा से बावा गुरुमुख सिंह, अमृतसर द्वारा स्थापित वैदिक ध्यान साधना का देश का प्रमुख केन्द्र व आश्रम है। लगभग 7 दशक पहले इस आश्रम की स्थापना हुई थी। इस आश्रम का स्वर्णिम अतीत है। हम इस आश्रम से सन् 1970 से एक श्रोता व दर्शक के रूप में जुड़े रहे हैं। हमने यहां अनेक विद्वानों व साधु-महात्माओं के दर्शन किये हैं तथा उनके विद्वतापूर्ण विचारों को सुना है। स्वामी सत्यपति, स्वामी विद्यानन्द विदेह, स्वामी सोम्बुद्धानन्द सरस्वती, महात्मा दयानन्द वानप्रस्थ, महात्मा बलदेव जी (चान्दपुर-बिजनौर), ऋषिभक्त रामलाल मलिक (दिल्ली), महात्मा आर्यभिक्षु, स्वामी दिव्यानन्द सरस्वती ब्र. कृष्ण दत्त जी सहित डा. नन्दिता शास्त्री, डा. प्रियम्वदा वेदभारती, स्वामी चित्तेश्वरानन्द सरस्वती, आचार्य आशीष दर्शनाचार्य, पं. सत्यपाल पथिक, श्री दिनेश पथिक, पं. नरेश दत्त आर्य, पं. सत्यपाल सरल, पं. रुहेल चन्द जी, श्री मामचन्द पथिक जी, आजाद सिंह आजाद, श्री कल्याणदेव जी, श्रीमती मीनाक्षी पंवार, श्री सारस्वत मोहन मनीषी जी आदि अनेक विद्वानों, भजनोपदेशकों तथा ऋषिभक्तों के दर्शन करने के साथ उनको सुना भी है। तपोवन आश्रम वैदिक विधि के अनुसार साधना करने वाले साधकों के लिये अत्युत्तम स्थान है। अतीत में यहां महात्मा आनन्द स्वामी जी एवं महात्मा प्रभु आश्रित जी सहित अनेक योगियों ने दीर्घ काल तक साधना कर यहां समाधि का लाभ प्राप्त किया है।
आश्रम की स्थापवा के समय से ही यहां वेद परायण यज्ञ एवं योग साधना शिविरों का समय समय पर आयोजन किया जाता रहा है। कोरोना काल से पूर्व भी यहां वर्ष में दो बार ग्रीष्मोत्सव तथा शरदुत्सव के आयोजनों सहित चतुर्वेद पारायण यज्ञ, ध्यान साधना शिविर एवं युवकों युवतियों के चरित्र निर्माण एवं उनका वैदिक धर्म से परिचय कराने के लिये अनेक शिविरों आदि का आयोजन किया जाता रहा है। आश्रम इन गतिविधियों के साथ एक जूनियर हाईस्कूल तथा गोशाला का संचालन भी करता है। आश्रम की दो इकाईयां हैं जिनके बीच की दूरी 3.00 किमी. है। प्रमुख इकाई नालापानी गांव तपोवन में स्थित है तथा दूसरी इकाई इस आश्रम से 3 किमी. दूरी पर पहाड़ियों एवं वनों से आच्छादित निर्जन एवं शान्त स्थान में हैं। दोनों ही स्थानों पर भव्य यज्ञशालायें, सभागार वा सत्संग हाल आदि सहित साधकों व विद्वानों के निवास के लिए कुटियायें उपलब्ध हैं। समय समय पर यहां उपासना व योग साधना शिविर, वेद पारायण यज्ञ, व उच्च कोटि के विद्वानों के व्याख्यान आदि आयोजित किये जाते रहे हैं। कोरोना महामारी के कारण आश्रम को सन् 2020 का अपना ग्रीष्मोत्सव एवं शरदुत्सव रद्द करना पड़ा है। इस अभाव की पूर्ति, आश्रम की गतिविधियों को नियमित करने व गति देने के लिये आश्रम के अधिकारियों व विद्वान सदस्यों ने आश्रम में ‘सामवेद पारायण यज्ञ एवं गायत्री यज्ञ’ की योजना बनाई है। यह 7 दिवसीय आयोजन 2 नवम्बर से 8 नवम्बर, 2020 तक आयोजित किया गया है। इस सामवेद पारायण एवं गायत्री यज्ञ के ब्रह्मा ऋषिभक्त एवं उच्च कोटि के विद्वान योग साधक स्वामी चित्तेश्वरानन्द सरस्वती जी होंगे। यज्ञ में मंत्र पाठ गुरुकुल पौंधा देहरादून के ब्रह्मचारीगण करेंगे। पारायण यज्ञ में व्याख्यानों के लिये आचार्य आशीष दर्शनाचार्य एवं आर्य विद्वान पं. सूरतराम शर्मा जी प्रातः सायं दोनों समय उपलब्ध रहेंगे। व्याख्यान के लिये आचार्य डा. धनंजय आर्य, आचार्य गुरुकुल पौंधा एवं वेद विदुषी आचार्या डा. अन्नपूर्णा जी को भी आमंत्रित किया गया है। इनकी सहमति भी प्राप्त हो गई है। इनके प्रवचन भी श्रोताओं व साधकों को सुनने को मिलेंगे। इस आयोजन को भक्तिरस से सराबोर करने के लिये प्रसिद्ध ऋषिभक्त भजनोपदेशक वाणी के जादूगर तथा उदार वेद प्रचारक पं. नरेशदत्त आर्य, बिजनौर भी उपस्थित रहेंगे। वर्तमान समय में ऐसा साक्षात धार्मिक आयोजन दुर्लभ ही है। यज्ञ की व्यवस्था व संचालन पं. सूरत राम शर्मा जी द्वारा की जायेगी। आश्रम के मंत्री श्री प्रेमप्रकाश शर्मा जी ने बताया कि इस आयोजन में भाग लेने के लिये सभी ऋषिभक्त एवं आर्य देवियां, बहिन व बन्धु कोरोना निगेटिव का प्रमाण पत्र साथ लेकर आयें जिससे किसी को किसी प्रकार कष्ट न हो और सब स्वस्थ रहें।
हम यह भी उल्लेख करना चाहते हैं कि आश्रम के पास भूमि एवं भवनों की दृष्टि से वृहद परिसर है जिसकी देखरेख व रखरखाव में प्रभूत धन व्यय किया जाता है। आश्रम के पास अपनी आय के स्थाई साधन नहीं है। इस कारण आश्रम के कार्यों का व्यवस्थित संचालन करने में कई प्रकार से रुकावटें व व्यवधान आते रहते हैं। आश्रम की ओर से हम आर्य श्रेष्ठ दानी महानुभावों से विनती करते हैं कि वह सब अपनी ओर से छोटी व बड़ी जो भी धनराशि दान कर सकते हैं, अवश्य दान दें। इसी से आश्रम अपनी गतिविधियों का संचालन कर सकता है अन्यथा आर्थिक अभाव होने पर अनेक कार्यों को रोकना संचालकों की विवशता बन जाती है। हम आशा करते हैं कि सभी ऋषिभक्त उदार वैदिक धर्मी इस ओर ध्यान देंगे और आश्रम को अपना सहयोग प्रदान करेंगे। हम यह भी अनुभव कर रहे हैं वर्तमान समय में आश्रम के आयोजनों में ऋषिभक्तों की उपस्थिति उत्तरोत्तर कम हो रही है। यह भविष्य के लिए शुभ संकेत नहीं। आप इस पर विचार करें और अधिक से अधिक संख्या में भाग लें जिससे अधिकारियों का उत्साहवर्धन हो और यह आश्रम चिरजीवी हो सके।
जो बन्धु इस आयोजन में पधारने के इच्छुक हैं वह किसी प्रकार की भी पूछताछ व जानकारी के लिये आश्रम के मंत्री श्री प्रेमप्रकाश शर्मा जी से उनके मोबाइल नं. 9412051586 व कार्यालय नं. 0135-2787001 पर फोन कर जानकारी प्राप्त कर सकते हैं। सामवेद पारायण एवं गायत्री यज्ञ में सभी ऋषिभक्त व यज्ञ प्रेमी बहिनें व बन्धु सादर सप्रेम आमंत्रित हैं। कोरोना संबंधी सभी उपायों का ध्यान रखते हुए यदि आप आ सकते हैं तो आश्रम के इस महत्वपूर्ण आयोजन में अवश्य भाग लें। ओ३म् शम्।
-मनमोहन कुमार आर्य