काल का भी काल ब्लैक होल

आज वर्ष 2020 के नोबेल भौतिकी के क्षेत्र में पुरस्कार की घोषणा हो चुकी है| तीन वैज्ञानिकों को सामूहिक रूप से यह पुरस्कार दिया जाएगा लेकिन पुरस्कार की आधी धनराशि 89 वर्ष के ब्रिटिश वैज्ञानिक रॉजर पेनरोज को मिलेगी| यदि हम इन्हें महात्मा रॉजर पेनरोज कहे तो अति उपयुक्त रहेगा…. वर्ष 1915 में अल्बर्ट आइंस्टाइन ने सापेक्षता का सामान्य सिद्धांत दिया था जिसके मुताबिक इस ब्रह्मांड में प्रत्येक पिंड पदार्थ आकाश व समय को प्रभावित करता है….. आइंस्टीन का यह विचार था सूरज जैसे उससे भी भारी तारों ने अंतरिक्ष को झुका दिया है यही कारण है उससे छोटे खगोलीय पिंड उसकी परिक्रमा करते हैं……
आइंस्टीन जहां पर खत्म कर कर गए रॉजर पेनरोज ने वर्ष 1965 में अपना काम उनकी मृत्यु के 10 वर्ष पश्चात शुरू किया…. आइंस्टीन की जनरल थ्योरी ऑफ रिलेटिविटी का प्रयोग करते हुए पेनरोज ने यह सिद्धांत अपनी कैलकुलेशन से दिया यदि पृथ्वी जैसे ग्रह को कंप्रेस कर कंचे के आकार में तब्दील कर दिया जाए तो वह एक रहस्यमई अदृश्य पिंड में तब्दील हो जाएगी जिसे ब्लॉक हॉल कहा जाता है | इसका गुरुत्वाकर्षण इतना बलशाली हो जाएगा कि वह प्रकाश व समय को भी निगल लेगा अर्थात कोई चीज ब्लैक होल से नहीं बच सकती… इस ब्रह्मांड में ऐसे ऐसे ब्लैक होल मौजूद है जिसमें हमारे 10000000000 सूर्य भी समा सकते हैं… उपग्रह ग्रह की ग्रह सूर्य की सूर्य ऐसे अदृश्य पदार्थ ब्लैक होल की परिक्रमा कर रहे हैं अनेक आकाशगंगा में|

रॉजर पेनरोज इकलौते ऐसे वैज्ञानिकों में शामिल है जो यह मानते हैं यह ब्रह्मांड अनंत होने के साथ-साथ सृष्टि चक्र से अनादि है अर्थात प्रलय के बाद उत्पत्ति उत्पत्ति के बाद प्रलय अनादि काल तक सिलसिला चलता रहेगा|

इस विशाल ब्रह्मांड की सुव्यवस्थित रचना के पीछे वह अनंत सर्वशक्तिमान ईश्वर की सत्ता को स्वीकार करते हैं ऐसा उन्होंने अपनी पुस्तक रोड टू रियलिटी, साइकिल ऑफ टाइम में उद्घाटित किया है…. खास बात यह है अल्बर्ट आइंस्टाइन ब्लैक होल जैसे अदृश्य अति विशाल महा पिंड के अस्तित्व को स्वीकार नहीं करते थे… लेकिन पेनरोज ने आइंस्टीन के सिद्धांतों से यह 1965 में ही सिद्ध कर दिया…. सबर का फल कितना मीठा होता है यह इसी बात से पता चलता है पेनरोज की 1965 में दी गई Theory को आज विज्ञान जगत की उल्लेखनीय खोज मानते हुए नोबेल कमेटी ने 55 वर्ष पश्चात उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित करने का फैसला किया|

Roger penrose जैसे अति विलक्षण वैज्ञानिक यह भली-भांति जानते हैं ऐसा वह अनेक इंटरव्यू में कह चुके हैं कि हम केवल 1 फ़ीसदी ब्रह्मांड की व्यवस्थाओं को ही समझ पाए हैं वह भी केवल सैद्धांतिक स्तर पर प्रायोगिक स्तर पर उन्हें साकार करना कतई संभव नहीं है ब्लैक होल के मामले में भी ऐसा ही है….ऐसा केवल सर्वशक्तिमान सर्वव्यापी सत्ता ईश्वर ही कर सकता है|

आदरणीय सत्यपाल पथिक जी का भजन हमें याद आ जाता है|

कौन कहे तेरी महिमा, कौन कहे तेरी माया।…
कौन कहे तेरी महिमा, कौन कहे तेरी माया।
किसी ने हे परमेश्वर तेरा।…-२ अंत कभी ना पाया।…
कौन कहे तेरी महिमा, कौन कहे तेरी माया।…
अज अमर अविनाशी कण कण में व्यापक है। -२
सबसे पहला उपदेशक और अध्यापक है -२
गुरुओ का भी गुरु है इश्वर।…-२ ऋषियो ने फ़रमाया।…
कौन कहे तेरी महिमा, कौन कहे तेरी माया।…
किसी ने हे परमेश्वर तेरा अंत कभी ना पाया
कौन कहे तेरी महिमा, कौन कहे तेरी माया।…

सारे सूरज चाँद सितारे भी तुझमे है। -२
सभी समुन्दर सभी किनारे भी तुझमे है। -२
सृष्टि के अन्दर बाहर तू।…-२ एक समान समाया।…
कौन कहे तेरी महिमा, कौन कहे तेरी माया।…
किसी ने हे परमेश्वर तेरा अंत कभी न पाया
कौन कहे तेरी महिमा, कौन कहे तेरी माया।…

हर प्रलय के बाद जगत निर्माण करें तू। -२
नियत समय पर इसका भी अवसान करें तू। -२
सदा तुझे अनगनित कंठो ने।…-२ झूम झूम कर गाया।…
कौन कहे तेरी महिमा, कौन कहे तेरी माया।…
किसी ने हे परमेश्वर तेरा अंत कभी न पाया
कौन कहे तेरी महिमा, कौन कहे तेरी माया।…

आर्य सागर खारी✍✍✍

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