– मुरली मनोहर श्रीवास्तव
बिहार की सियासत में एनडीए और महागठबंधन अपने सहयोगियों से पहले से ही परेशान हैं। महागठबंधन की अगर बात करें तो इसमें सहयोगी दल हम, रालोसपा, वीआईपी ने दूरी बना ली वहीं एनडीए में जहां तीन दल थे भाजपा-जदयू और लोजपा उसमें लोजपा की अतिमहत्वाकांक्षा ने एनडीए में भी परेशानी खड़ी कर दी है। हलांकि लोजपा के नए युवराज को लोजपा का सिंहासन मिलने के साथ ही वो कुछ ज्यादा ही विश्वास में आ गए हैं और अपने तरीके से बिहार की राजनीति को देख रहे हैं। उन्हें लगता है कि वो जदयू को दरकिनार कर भाजपा के साथ गलबहियां कर सत्ता पर काबिज हो जाएंगे। मगर उन्हें इस बात को भी समझना चाहिए कि सियासत में हर कदम का अलग महत्व होता है। इसलिए इस बात को ध्यान में चिराग पासवान को रखना चाहिए कि सूबे के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जहां राजद के जंगलराज से मुक्ति दिलाते हुए बिहार में बिजली, पानी, सड़क, शिक्षा, स्वास्थ्य सहित हर जाति-धर्म के लिए काम के बूते मैदान में हैं वहीं लोजपा शुरुआती दौर से ही केंद्रीय राजनीति पर खुद को टिकाए रही। केंद्रीय मंत्री रामविलास पासवान चाहे किसी की भी सरकार रही हो ये मंत्री बनकर सत्ता के करीब जरुर रहे हैं और इनका बिहार की जमीनी राजनीति से कोई खास रुचि नहीं रहा है।
पीएम औऱ शाह के नाम पर लोजपा नहीं मांगे वोटः
बिहार विधाननसभा चुनाव में लोजपा एनडीए महागठबंधन से अलग हो गई है। लेकिन इन्हें भाजपा नेताओं के नाम का मोह नहीं छोड़ रहा है। हलांकि लोजपा अध्यक्ष चिराग पासवान अक्सर कहते हैं कि उन्हें प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का आशीर्वाद प्राप्त है और बिहार में लोजपा-भाजपा की सरकार बनेगी। इस खबर के बाद भाजपा ने लोजपा को कड़ा संदेश देते हुए कहा है कि वह बिहार चुनाव में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह का नाम लेकर वोट नहीं मांग सकते हैं। सूत्रों का ये भी कहना है कि लोजपा बिहार चुनाव में किसी भी तरीके से भाजपा का नाम नहीं ले सकती है।
लोजपा के बैनर-पोस्टर से भाजपा की दूरीः
एक तरफ चिराग पासवान कहते हैं कि उनको मोदी का आशीर्वाद प्राप्त है। वहीं बिहार में एनडीए की अग्रणी भूमिका निभाने वाली नीतीश के खिलाफ अपने उम्मीदवार उतारेंगे और भाजपा के साथ सहयोगी की भूमिका में रहेंगे, तो भला सोचिए कि ये कैसे संभव है। बिहार चुनाव में विषम परिस्थिति में खुद को पड़ता देख भाजपा ने लोजपा से कहा है कि उनकी पार्टी के किसी बैनर, पोस्टर या भाषण में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और भाजपा का नाम नहीं लिया जाना चाहिए। आगे उनका कहना है कि जब कोई पार्टी एनडीए से अलग हो गई तो उसे किसी तरीके से प्रधानमंत्री के नाम को उपयोग करने की इजाजत नहीं दी जा सकती है।
भाजपा बोली बिहार में लोजपा से कोई गठबंधन नहीः
चिराग लगातार जदयू नेता नीतीश कुमार पर हमालवर बने हुए हैं। बिहार में नीतीश के विकास को बतोलाबाजी बता रहे हैं। सात निश्चय को चिराग पब्लिक से छलावा बता रहे हैं। चिराग पासवान ने यह भी कहा था कि वे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृहमंत्री अमित शाह को अपना नेता मानते हैं, इसलिए वह उनके नाम पर वोट मांगेंगे। इस घोषणा के बाद चिराग पासवान ने ट्विटर पर एक तस्वीर शेयर की थी, जिसमें वह मोदी के साथ दिख रहे हैं। इस पर खफा जदयू ने भाजपा से स्थिति साफ करने को कहा है। इस इसके बाद चिराग के बयान पर भाजपा ने साफ करते हुए कहा है कि लोजपा के साथ बिहार में उनका किसी किस्म का गठबंधन नहीं है।
चिराग पासवान ने बिहार में खुद को एनडीए से अलग कर लिया। भाजपा के साथ मैच फिक्सिंग खेलना चाहते हैं। ताकि आने वाले वक्त में बिहार की सियासत के राजकुमार बन सकें। लेकिन वो इस बात को भूल रहे हैं कि अगर भाजपा के इशारे पर भी इस तरह का काम कर रहे होंगे तो इसका खामियाजा भाजपा को भी भुगतना पड़ सकता है। क्योंकि बिहार में नीतीश कुमार राजनीति के माहिर खिलाड़ी है, विकास इनका हथियार है। ऐसी स्थिति में किसी भी प्रकार से एनडीए में नीतीश के साथ छल करने की कोशिश की गई तो इसका खामियाजा भाजपा और लोजपा को भी भुगतना पड़ सकता है। हलांकि भाजपा ने इस बात को स्पष्ट कर दिया है कि अगर नीतीश के नेतृत्व पर कोई भरोसा नहीं करेगा तो उन पर पार्टी कड़ा एक्शन ले सकती है। साथ ही नीतीश के नेतृत्व में तीन चौथाई सीटों पर चुनाव जीतने का भाजपा दावा भी कर रही है। अब ऐसे में तो यही कहा जा सकता है बिहार की सत्ता पर नीतीश का विकास मॉडल कारगर साबित होगा और एक बार फिर से विरोधियों को पछाड़ देने में एनडीए सफल होगी।
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