कोरोना संकटकाल में देश की जनता को बेहतर भरोसा दिलाने में सफल रहे हैं केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ हर्षवर्धन

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जब राजनीति व्यापार बन चुकी है और जनसेवा को भूलकर राजनीतिज्ञ पैसे कमाने की अंधी दौड़ में सम्मिलित हो चुके हैं, तब भी भारतीय लोकतंत्र के लिए ऐसे कई शानदार स्तंभ हैं, जिनके कारण भारत का लोकतंत्र जिन्दा है और चलता हुआ दिखाई देता है ।सचमुच राजनीति में इस समय चिराग लेकर ढूंढना पड़ता है कि कौन राजनीतिक इस समय पूर्ण निष्ठा के साथ अपने कर्तव्यों का पालन कर रहा है । जब ऐसे किसी जनप्रतिनिधि को ढूंढने खोजने की बात आती है तो निश्चय ही डॉ हर्षवर्धन का नाम ह्रदय पटल पर अपने आप ही उभर आता है ।
केंद्र की मोदी सरकार में जिन मंत्रियों का अपना एक शानदार राजनीतिक कैरियर है, उनमें डॉक्टर हर्षवर्धन का नाम सबसे आगे है। डॉ हर्षवर्धन जिस निष्ठा के साथ अपने कार्य में लगे रहते हैं उसकी प्रशंसा न केवल उनके समर्थक बल्कि विरोधी भी करते देखे जाते हैं । वे बचपन से ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सदस्य रहे हैं। ये भारतीय जनता पार्टी के टिकट पर 1993 में कृष्णा नगर विधानसभा क्षेत्र से चुने गये थे और दिल्ली की पहली विधानसभा के सदस्य बने। इन्हें दिल्ली की सरकार में कानून और स्वास्थ्य मन्त्री नियुक्त किया गया। 1996 में ये शिक्षा मन्त्री बने। राज्य के स्वास्थ्य मंत्रालय में अपने समय के दौरान इन्होंने अक्टूबर 1994 में पोलियो उन्मूलन योजना का शुभारम्भ किया। कार्यक्रम सफल रहा और फ़िर इसे भारत सरकार द्वारा पूरे देश भर में अपनाया गया।
हर्षवर्धन 1998 और 2003 में फिर से कृष्णा नगर से विधानसभा के लिए चुने गये। 2008 विधानसभा चुनाव में अपनी मुख्य प्रतिद्वन्द्वी भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की पार्षद दीपिका खुल्लर को 3,204 मतों द्वारा हराने के साथ ही इन्होंने विधानसभा की चौथी बार सदस्यता प्राप्त की। इस प्रकार हर्षवर्धन विधानसभा चुनाव इतिहास में कभी भी पराजित नहीं हुए। इन्हें अपनी पार्टी का एक अनुभवी और सम्मानित सदस्य माना जाता है। वास्तव में डॉ हर्षवर्धन अपने आपमें अजेय इसलिए बन पाए हैं कि वह व्यवहार कुशल ,विनम्र और अपने लोगों से सहज रूप में घुल मिलकर बात करने वाले राजनीतिज्ञ हैं।
चुनाव से सवा महीने पूर्व 23 अक्टूबर 2013 को उन्हें दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिये राज्य के मुख्यमन्त्री पद का उम्मीदवार घोषित किया गया। 2013 के दिल्ली राज्य विधानसभा चुनाव में उनके नेतृत्व में भारतीय जनता पार्टी ने कुल 66 सीटों पर अपने प्रत्याशी चुनाव में उतारे जिनमें से 31 विजयी हुए। पिछले चुनाव के मुकाबले भाजपा ने वोटों का प्रतिशत कम रहने के बावजूद 8 सीटें अधिक जीतीं। त्रिकोणीय मुकाबले में उनकी पार्टी पहले स्थान पर रही जबकि उन्होंने स्वयं कृष्णा नगर विधान सभा सीट भारी अन्तर से जीती।
13 दिसंबर 1954 को दिल्ली में जन्मे डॉ॰ हर्षवर्धन ऐसे भारतीय राजनेता हैं जो भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के सदस्य हैं। ये कृष्णा नगर विधानसभा क्षेत्र से दिल्ली विधानसभा के सदस्य रहे हैं। डॉ. हर्ष वर्धन वर्तमान में दिल्ली के चांदनी चौक लोकसभा क्षेत्र से सांसद हैं और केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी और पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन, पृथ्वी विज्ञान मंत्री हैं। इनके नेतृत्व में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में तमाम उपलब्धियां हासिल की हैं। पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री के तौर पर इन्होंने पर्यावरण की रक्षा के लिए एक बड़े नागिरक अभियान ‘ग्रीन गुड डीड्स’ की शुरुआत की है। इस अभियान को ब्रिक्स देशों ने अपने आधिकारिक प्रस्ताव में शामिल किया है।
डॉ हर्षवर्धन पेशे से नाक, कान और गले के रोगों के चिकित्सक हैं। दिल्ली में भारतीय जनता पार्टी की सरकार (1993-1998) के दौरान इन्होंने स्वास्थ्य मन्त्री, कानून मन्त्री और शिक्षा मन्त्री सहित राज्य मन्त्रिमण्डल में विभिन्न पदों पर कार्य किया। हर्षवर्धन दिल्ली विधानसभा चुनाव के इतिहास में कभी नहीं हारे हैं।
प्राइवेट अस्पतालों में लगातार मंहगें होते जा रहे ईलाज व दवाओं के अत्यधिक मूल्य के कारण खुद को ठगा सा महसूस कर रही आम जनता को स्वास्थय मंत्री डा. हर्षवर्धन से आशाएं है कि वे ईलाज को सस्ता करने के साथ ही दवा कम्पनियों द्वारा दवा पर लागत से कई-कई गुणा एमआरपी अंकित करने की व्यवस्था पर रोक लगाते हुए। दवाओं पर कमीशन की अधिकतम मात्रा निर्धारित करने का काम करेंगे। जिससे गरीब व मध्यम वर्गीय परिवार आसानी से अपने परिवार का ईलाज करा सकेगा।
कोरोना महामारी के खिलाफ जंग में केंद्र की मोदी सरकार जिस प्रकार कमर कसकर मैदान में उतरी है उसमें सरकार को सफलता दिलाने में डॉ हर्षवर्धन वह अपना अनुभव और उनकी अपनी कार्यशैली भी बहुत मददगार साबित हुई है । उन्होंने संकट के इस काल में अपने मंत्रालय को बखूबी चला कर दिखाया है । जिससे लोगों का सरकार में विश्वास बढ़ा है। वास्तव में कोई भी मंत्री तभी सफल कहा जा सकता है जब वह संकट के काल में अपने मंत्रालय को सफलतापूर्वक संचालित करके दिखाएं और यह खूबी डॉक्टर हर्षवर्धन के भीतर है ।
डॉ हर्षवर्धन ने देश के लोगों का विश्वास हिलने नहीं दिया है और अब इस बात की प्रबल संभावनाएं बनती जा रही हैं कि शीघ्र ही कोरोना वैक्सीन हमारे पास होगी । जिससे देश बहुत जल्दी संकट काल से बाहर निकलेगा । केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने कोरोना वैक्सीन के ब्लू प्रिंट के बारे में ऐसी जानकारी अभी हाल ही में दी है। उनका कहना है कि अगले साल तक वैक्सीन तैयार हो जाएगी।
ज्ञात रहेगी कोरोना के वैक्सीन को लेकर दुनिया भर में प्रयास चल रहे हैं। कई देशों ने वैक्सीन बना लेने का दावा भी किया है, लेकिन अभी तक किसी भी वैक्सीन को वैश्विक रूप से इस्तेमाल की अनुमति नहीं मिली है । ऐसे में स्वास्थ्य मंत्री का दावा 130 करोड़ भारतीयों को सुकून देने वाला है।
हर्षवर्धन ने ‘संडे संवाद’ में कोविड वैक्सीन का ब्लू प्रिंट लोगों के सामने रखा। उन्होंने बताया कि सरकार ने 40-50 करोड़ COVID-19 वैक्सीन खुराक इस्तेमाल करने की योजना बनाई है । हमारा लक्ष्य जुलाई 2021 तक 20-25 करोड़ लोगों तक वैक्सीन पहुंचाना है। राज्यों को अक्टूबर के आखिर तक प्राथमिकता वाले जनसंख्या समूहों की जानकारी भेजने की सलाह दी गई है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री के मुताबिक, COVID -19 वैक्सीन देने में पहली प्राथमिकता स्वास्थ्य कर्मियों को दी जाएगी। वैक्सीन की खरीद केंद्र सरकार करेगी और हर खरीद को ट्रैक किया जाएगा। भारतीय वैक्सीन निर्माताओं को पूरी सरकारी सहायता दी जा रही है। हालांकि, उन्होंने कहा कि भारत COVID-19 ह्यूमन चैलेंज ट्रायल में काम करने की योजना नहीं बना रहा। सरकार यह सुनिश्चित करेगी कि वैक्सीन हर किसी को उपलब्ध हो। गौरतलब है कि भारत में 3 वैक्सीन पर काम चल रहा है, जिनमें से दो स्वदेशी हैं। इसके अलावा, दूसरे देशों में विकसित होने वाले टीकों पर भी भारत सरकार की नजर है।
हर्षवर्धन ने कहा, ‘अग्रिम मोर्चे के स्वास्थ्य कर्मियों की सूची में सरकारी और निजी क्षेत्र के चिकित्सक, नर्स, पैरामेडिकल कर्मी, स्वच्छता कर्मी, आशा कार्यकर्ता, निगरनी अधिकारी और संक्रमित मरीजों का पता लगाने, उनकी जांच करने तथा उनके उपचार से जुड़े अन्य कर्मी शामिल होंगे. सरकार बड़े पैमाने पर मानव संसाधन तैयार करने, प्रशिक्षण, निगरानी और अन्य चीजों के लिये भी काम कर रही है. जुलाई 2021 तक करीब 20-25 करोड़ लोगों के लिये 40-50 करोड़ (टीके की) खुराक प्राप्त करने और उनका उपयोग करने का अनुमान है’।
उन्होंने यह भी कहा कि सरकार टीकों के तैयार हो जाने पर उनका निष्पक्ष एवं न्यायपूर्ण वितरण सुनिश्चित करने के लिये चौबीसों घंटे काम कर रही है। नीति आयोग के सदस्य (स्वास्थ्य) वी के पॉल की अध्यक्षता में एक उच्च स्तरीय समिति पूरी प्रक्रिया का खाका तैयार कर रही है। संवाद के दौरान एक व्यक्ति की आशंकाओं को दूर करने की कोशिश करते हुए केंद्रीय मंत्री ने कहा कि टीके की कोई कालाबाजारी नहीं होगी । उन्होंने कहा, टीका पूर्व निर्धारित प्राथकिता के आधार पर वितरित किया जाएगाा और यह एक तय कार्यक्रम के मुताबिक किया जाएगा. पारदर्शिता, जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिये पूरी प्रक्रिया का ब्योरा आने वाले महीनों में साझा किया जाएगा। रूस के ‘स्पुतनिक-V’ टीके के भारत में तीसरे चरण के क्लीनिकल परीक्षण के बारे में पूछे जाने पर वर्धन ने स्पष्ट किया कि यह विषय अभी विचारार्थ है और अब तक कोई फैसला नहीं लिया गया है।
कोरोना की रफ्तार की बात करें तो भले ही देश में कोरोना के मामले 65 लाख के पार पहुंच गए हैं, लेकिन अच्छी खबर ये है कि ठीक होने वालों की संख्या भी बढ़ रही है। डॉ. हर्षवर्धन के अनुसार कोरोना को कंट्रोल करने के मामले में भारत की स्थिति बाकी देशों की तुलना में काफी ठीक है. देश में कोरोना से ठीक होने वालों की बढ़ती दर और घटती मृत्यु दर इसके उदाहरण हैं।
पिछले एक महीने से लगातार मामले घट रहे हैं। ज्यादातर राज्यों में भी कोरोना के मामले कम हो रहे हैं। 17 राज्यों में करीब 90% से ज्यादा मरीज हैं। ठीक होने वाले मरीजों की संख्या में तेजी देखने को मिली है। अब तक 55 लाख से ज्यादा लोग ठीक हुए हैं।दुनिया में सबसे ज्यादा लोग भारत में ठीक हुए है। हमारा रिकवरी रेट बढ़कर 84.13 पहुंच गया है. साथ ही अब तक 8 करोड़ के करीब टेस्ट हुए हैं।
पिछले 24 घंटे में संक्रमण के 75 हजार 829 नए केस सामने आए हैं और 940 लोगों की मौत हुई है। जबकि पिछले 24 घंटे में 82 हजार 260 लोग इलाज से ठीक भी हुए हैं। देश में कोरोना वायरस से अब तक 65 लाख 49 हजार 374 लोग संक्रमित हुए हैं, जिनमें से 55 लाख 9 हजार 967 लोग ठीक हो चुके हैं। देश में इस समय 9 लाख 37 हजार 625 कोरोना संक्रमितों का इलाज जारी है।
केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि वैश्विक महामारी के दौर में देश और ज्यादा मजबूत हुआ है। PPE किट का उत्पादन हो या जरूरी चिकित्सा उपकरणों की पूर्ति भारत इस समय अपने साथ-साथ दूसरे देशों के साथ भी खड़ा है। भारत ने दुनिया के बड़े से बड़े और छोटे से छोटे देशों को जरूरी दवाईयां पहुंचाई हैं। कोरोना के खिलाफ अब तक की हमारी रणनीति ही भारत का सुरक्षा कवच रही है और इसी के दम पर भारत इस अदृश्य दुश्मन को हराने की तरफ आगे बढ़ रहा है।
देश को वास्तव में इस समय मजबूत इच्छाशक्ति वाली सरकार की आवश्यकता है , जिससे निश्चित रूप से मोदी पूरा कर रहे हैं । लेकिन मोदी भी उस समय तक अधूरे ही माने जाएंगे जब तक उनके पास मजबूत इच्छाशक्ति वाले मंत्री ना हो और इस प्रकार के मंत्रियों में डॉ हर्षवर्धन हमेशा अव्वल रहे हैं । जो भी जिम्मेदारी केंद्र सरकार में या संगठन में उनको कभी मिली है या दी गई है उसे उन्होंने पूरी मेहनत और लगन के साथ निभा कर यह दिखाया है कि वह जनसेवा को अपनी राजनीति का प्रमुख आधार मानते हैं । वास्तव में ऐसी मान्यता ही किसी अच्छे राजनीतिक व्यक्ति की सबसे बड़ी पहचान होती है।

रविकांतसिंह ( लेखक प्रमुख समाजसेवी और ‘उगता भारत’ समाचार पत्र के समाचार संपादक हैं )

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