आज उत्तर प्रदेश में घटने वाली किसी भी अप्रिय घटना को योगी विरोधी अपने बिकाऊ मीडिया के सहयोग से इतना उछालते हैं, मानो अब से पहले कभी कोई ऐसी घटना ही नहीं हुई। लेकिन योगी विरोधी यह भूल रहे हैं कि उत्तर प्रदेश से अधिक गैर-भाजपाई राज्यों में हो रही हैं, लेकिन राहुल, प्रियंका और इनका समर्थक मीडिया चुप्पी साधे रहता है, आखिर यह दोहरा मापदंड क्यों?
उत्तर प्रदेश के हाथरस की घटना को लेकर पूरे देश में विरोध हुआ। सभी ने इस घटना पर जम कर विरोध और बहस की लेकिन इस बीच कुछ कुछ घटनाएँ पीछे छूट गईं। ऐसी ही एक घटना हुई थी राजस्थान के बारां जिले में, जहाँ एक महिला को बंधक बना कर उनके साथ सामूहिक दुष्कर्म की वारदात को अंजाम दिया गया।
इस बीच पीड़िता ने राहुल गाँधी से सवाल पूछा है कि वह यहाँ (बारां) क्यों नहीं आते हैं? पिछले कुछ समय से राजस्थान में महिलाओं के साथ ज़्यादती के कई मामले सामने आए हैं, लेकिन वहाँ की घटनाओं पर सभी ने मौन धारण कर रखा है।
न्यूज़ नेशन में प्रकाशित ख़बर के मुताबिक़ पीड़िता ने राहुल गाँधी को संबोधित करते हुए कई बातें कहीं। पीड़िता ने पूछा:
“राहुल गाँधी बारां क्यों नहीं आ सकते हैं? राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत तक दूसरे राज्य में घटनाएँ होने पर वहाँ जाते हैं, लेकिन अपने ही प्रदेश में स्थित बारां नहीं आते हैं। मुझमें और हाथरस की बेटी में क्या फर्क है, अन्याय तो मेरे साथ भी हुआ है। मैं भी हाथरस की बेटी जैसी हूँ। मैं चाहती हूँ कि मेरे साथ भी न्याय हो, राहुल गाँधी और प्रियंका गाँधी यहाँ (बारां) आएँ। मेरे मामले पर भी सुनवाई हो और मुझे भी न्याय मिलना चाहिए।”
इसके बाद पीड़िता ने आपबीती सुनाई। उन्होंने बताया कि 1 जुलाई 2020 को दो लोग आए और कहा कि उनके माता-पिता ने खेत पर बुलाया है। इसके बाद आरोपित पीड़िता को उसके घर वालों के पास लेकर जाने के बदले डरा-धमका कर श्योपुर ले गए।
वहाँ उन्होंने पीड़िता को महीनों तक एक कमरे में बंद कर दिया और उसके साथ बलात्कार किया। पीड़िता ने यह भी बताया कि आरोपितों ने उसके साथ जबरदस्ती करके शादी के कागज़ पर हस्ताक्षर भी करा लिए थे। इसके अलावा आरोपित रात के वक्त पीड़िता के साथ मारपीट भी करते थे।
तमाम कोशिशों के बाद पीड़िता उनके चंगुल से छूट कर बाहर आई, तब उसने 7 अगस्त को सीसवाली थाना क्षेत्र में इस मामले की शिकायत दर्ज कराई थी। इस मामले में पुलिस का रवैया भी बेहद लापरवाही भरा है और अभी तक एक भी आरोपित गिरफ्तार नहीं किया गया है। पीड़िता ने इस मामले में पुलिस अधीक्षक से भी मदद की गुहार लगाई थी।
वहीं पुलिस ने अक्टूबर 3 को इस मामले पर बयान देते हुए कहा था कि पीड़िता 1 जुलाई से लापता थी। वह 7 अगस्त को पुलिस थाने आई थी और उसने बलात्कार व अपहरण की शिकायत दर्ज कराई थी। फ़िलहाल इस मामले में जाँच जारी है, आरोपित अभी पुलिस की गिरफ्त से बाहर हैं। अधिकारियों का अपने बचाव में कहना था कि कोरोना वायरस महामारी के चलते जाँच में समय लगा।
इस दौरान पुलिस अधीक्षक ने जाँच कर रहे पुलिस अधिकारी का स्थानांतरण भी कर दिया था। पीड़िता ने बताया कि बलात्कार करने वाले आरोपित उसे और उसके परिवार वालों को लगातार धमकी दे रहे हैं। जिसके चलते उसे और उसके पूरे परिवार को अपना घर तक छोड़ना पड़ गया। पिछले 2 महीने से पीड़िता और उसका परिवार अपने रिश्तेदार के घर रह रहा है और आरोपित बेख़ौफ़ होकर घूम रहे हैं।
पीड़िता के चाचा का कहना था कि पुलिस बिलकुल सहयोग नहीं कर रही है। जब उन्होंने पीड़िता की मेडिकल जाँच के लिए निवेदन किया तब थानाध्यक्ष ने कहा, “क्या मैं तुम्हारा नौकर हूँ? क्या मैं इस लड़की का मिट्टी का पुतला बना कर थाने में लगवा दूँ।”
सबसे ज़्यादा हैरानी की बात यह है कि पुलिस ने इस मामले में अभी तक कोई कार्रवाई नहीं की है। आरोपितों ने डरा-धमका कर शादी के लिए साइन तक करा लिया है और लगातार धमकियाँ दे रहे हैं।