सत्ता हस्तांतरण की प्रक्रिया का सार [ हिन्दू राजनैतिक दल की आवश्यकता लेखमाला ] भाग -6

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४९. १८५७ का संग्राम वस्तुतः भारत के राजाओं के दो समूहों का आपसी संग्राम था जिसमे एक पक्ष ने अंग्रेजों का साथ लिया और दिया . ध्यान रहे लिया भी ,केवल दिया नहीं .(थोड़ी भी स्वतंत्र बुद्धि हो तो राजस्थान के राजाओं को विक्तोरिया से हाथ मिलाते चित्र देख लो जो संग्रहालयों में हैं :२ बराबरी के राजाओं का मिलन दिखेगा .)
५० . १८५८ से भारत के लगभग आधे भाग पर अंग्रेज भारतीयों की साझेदारी में अर्ध भोक्ता शासक हो गए . ( २० वीं शताब्दी के प्रारंभ में अंग्रेजों द्वारा छपे मानचित्र सार्वजानिक हैं ,उन्हें देखिये .उनमे ब्रिटिश क्षेत्र और देसी राजाओं के क्षेत्र अलग अलग है :स्वतंत्र क्षेत्र हैं :जम्मू ,लद्दाख ,कश्मीर घाटी ,आधा पंजाब और आधा हरयाना जिनमे कई राज्य थे ,सिन्धु, अफगानिस्तान ,गजनी और गोर (कई मूर्ख इन्हें विदेश मानते हैं ,ये भारत की रियासते हैं ),बलूचिस्तान ,पख्तूनिस्तान ,,चंबा ,थानेश्वर, कुल्लू ,काँगड़ा, कुमायूं ,कन्नौज ,अवध, इलाहाबाद, काशी , जौनपुर, रामपुर, रोहिल्खंड ,मीरजा पुर (यानी लक्ष्मी मैया का निवास ,मूर्खों का कल्पित किसी मिर्ज़ा का पुर नहीं ), मथुरा ,मेरठ,मेव , असम , कूचबिहार ,नागालैंड, मेघालय,मणिपुर, त्रिपुरा, बंगाल, बिहार का बड़ा हिस्सा ,ओड़िसा ,छतीसगढ़ ,बस्तर ,भोपाल ,बुंदेलखंड,गोंडवाना, ग्वालियर,इन्दोर,रीवा पन्ना ,सीधी ,सिंगरौली , छतरपुर ,,झाँसी, मालवा,भरतपुर, धौलपुर,नौगाँव , बांस बाड़ा ,सिरोही ,हमीरपुर ,डूंगरपुर , करोली ,किशनगढ़ ,कुशलगढ़, पालनपुर,प्रतापगढ़ ,शाहपुरा ,टोंक ,कालिंजर,अलवर ,जयपुर ,अजमेर ,जोधपुर ,आमेर ,मारवाड़ ,जैसलमेर, बीकानेर, उदयपुर ,मवाद, चित्तोड़ ,कोटा ,बूंदी ,गुजरात वके २० प्रमुख राज्य ,महाराष्ट्र के १५ प्रमुख राज्य ,बरार ,हैदरबाद,विजयनगर ,मैसूर ,कर्णाटक की कई रियासतें ,आंध्र की कई रियासतें ,तमिलनाडु के कई राज्य , तंजावर ,कोछें , ट्रावन्कोर आदि आदि ..
जो लोग इन्हें भी ब्रिटिश क्षेत्र मानते हैं और अंग्रेजों के गुलाम बताते हैं ,उन ;लार उचित शासन आने पर देश द्रोह का मुकदमा चल सकता है क्योंकि वे स्वतंत्र राज्यों को जबरन गुलाम बताते हैं और अंग्रेजों की अयाचित भक्ति में डूबे हैं
जो राज्य १९४७ तक स्वाधीन थे ,उनके स्वाभिमानी लोग इन झूठे इतिहासकारों की क्या गत बनायेंगे समय मिलने पर ,यह सोच लीजिये.
अगर ये ब्रिटिश क्षेत्र थे तो अंग्रेजी सत्ता का हस्तांतरण पाने के बाद कांग्रेस शासकों को इनसे संधियाँ क्यों करनी पड़ीं ५२५ राजाओं से संधियाँ की गयीं।(क्रमशः)
(साभार) प्रस्तुति -श्रीनिवास आर्य

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