चीनी और पाकिस्तानी जासूसों की बढ़ती पैठ काफी चिंताजनक
योगेश कुमार गोयल
स्पेशल सेल द्वारा खुलासा किया गया है कि राजीव शर्मा 2010 से 2014 के बीच चीनी सरकार के मुखपत्र और भारत के खिलाफ खुलकर विषवमन करने वाले अखबार के रूप में विख्यात ‘ग्लोबल टाइम्स’ में साप्ताहिक स्तंभ लिखता था।
हाल ही में पाकिस्तान और चीन के लिए जासूसी करने के दो अलग-अलग मामलों में एक सैन्यकर्मी तथा एक पत्रकार को गिरफ्तार किया गया है। पाकिस्तानी सेना के लिए जासूसी करने के आरोप में जयपुर में मिलिट्री इंजीनियरिंग विंग में तैनात सैन्यकर्मी महेश कुमार को हरियाणा में गिरफ्तार किया गया जबकि देश से जुड़ी रक्षा संबंधी संवेदनशील जानकारियां चीनी खुफिया एजेंसी को देने के आरोप में दिल्ली के स्वतंत्र पत्रकार राजीव शर्मा को गिरफ्तार किया गया है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल द्वारा पीतमपुरा निवासी पत्रकार राजीव शर्मा से पूछताछ के बाद एक चीनी महिला किंग शी और उसके नेपाली सहयोगी शेर सिंह उर्फ राज बोहरा को भी दबोचा गया है। इन पर मुखौटा कम्पनियों के माध्यम से राजीव शर्मा को बड़ी रकम देने का आरोप है। शी करीब सात साल पहले छात्र वीजा पर भारत आई थी और नर्सिंग की पढ़ाई करने के बाद शेर सिंह के साथ मिलकर दिल्ली में ही ‘एमजेड फार्मेसी’ तथा ‘एमजेड मॉल्स’ के नाम से मुखौटा कम्पनियां चलाने लगी। इन्हीं कम्पनियों के जरिये चीन से आने वाली रकम का हिस्सा सूचनाओं के एवज में राजीव को मुहैया कराया जाता था। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल के मुताबिक चीनी खुफिया विभाग ने पत्रकार राजीव को भारतीय सेना की संवेदनशील जानकारियां देने का काम सौंपा था और उसे हर सूचना के लिए करीब 73 हजार रुपये मिलते थे। डीसीपी संजीव यादव के अनुसार राजीव 2016 से ही चीनी खुफिया एजेंसियों को रक्षा एवं रणनीति से जुड़ी महत्वपूर्ण सूचनाएं दे रहा था और उस दौरान डेढ़ साल में ही सूचनाएं लीक करने के एवज में उसे 40-45 लाख रुपये मिले थे।
पुलिस सूत्रों का कहना है कि आरोपी पत्रकार सेना की तैनाती, भारत-म्यांमार सैन्य सहयोग के पैटर्न, सीमा मुद्दे इत्यादि मसलों पर चीनी खुफिया एजेंसियों को सूचनाएं उपलब्ध करा रहा था। स्पेशल सेल द्वारा खुलासा किया गया है कि राजीव शर्मा 2010 से 2014 के बीच चीनी सरकार के मुखपत्र और भारत के खिलाफ खुलकर विषवमन करने वाले अखबार के रूप में विख्यात ‘ग्लोबल टाइम्स’ में साप्ताहिक स्तंभ लिखता था और उन्हीं स्तंभों के आधार पर वहां के एक खुफिया अधिकारी माइकल ने लिंक्डइन के जरिये राजीव से सम्पर्क किया था। उसी के बाद आरोपी पत्रकार द्वारा डोकलाम के अलावा भूटान-सिक्किम-चीन त्रिकोणीय जंक्शन पर भारत सरकार की नीतियों, सेना की तैनाती और हथियारों के अलावा रणनीतिक तैयारी की जानकारी भी चीनी एजेंसियों को दी। उस पर आरोप यह भी है कि वह इन दिनों गलवान के अलावा एलएसी पर सेना की तैयारियों, तैनाती और आगे की रणनीतियों के बारे में भी चीन को सूचनाएं उपलब्ध करा रहा था। हालांकि दिल्ली प्रेस क्लब के अध्यक्ष आनंद सहाय ने राजीव शर्मा की गिरफ्तारी को पुलिस का मनमाना कारनामा करार देते हुए कहा है कि 40 वर्षों से पत्रकारिता में सक्रिय वह एक स्वतंत्र और अनुभवी पत्रकार हैं लेकिन जिस तरह के आरोप राजीव पर लगाए गए हैं, वे बेहद गंभीर हैं और अगर वाकई उन्हें चीनी स्रोतों से पिछले वर्षों में लाखों की रकम मिली है तो उसकी जांच होनी ही चाहिए और दोषी पाए जाने पर कठोरतम सजा मिलनी ही चाहिए। दरअसल अगर एक वरिष्ठ पत्रकार पैसों के लालच में ऐसी देशद्रोही गतिविधियों में संलिप्त होता है तो यह बेहद गंभीर अपराध है और पत्रकारिता पर भी बहुत बड़ा कलंक है।
जासूसी के दूसरे मामले में दबोचे गए मिलिट्री इंजीनियरिंग विंग जयपुर के सैन्यकर्मी महेश कुमार को एक पाकिस्तानी लड़की ने हनी ट्रैप में फंसा रखा था। उस पर आरोप है कि वह कई महीनों से जयपुर की आर्मी ब्रिगेड तथा वहां तैनात वहां तैनात वरिष्ठ अधिकारियों के संबंध में खुफिया जानकारियां उस तक पहुंचा रहा था। करीब ढाई साल पहले सेना में भर्ती हुए महेश की दोस्ती फेसबुक पर एक पाकिस्तान हसीना से हुई थी और बहुत जल्द वह हनीट्रैप का शिकार होकर उस हसीना के प्यार में पागल हो गया। वह पाकिस्तानी सेना के लिए काम कर रही उस लड़की से वीडियो और ऑडियो चैट भी कर रहा था। उसी दौरान वह महिला उससे भारतीय सेना से संबंधित गोपनीय सूचनाएं मांगने लगी। महिला के सम्पर्क में आने के बाद उसे पैसे मिलने के भी सबूत सामने आए हैं। रेवाड़ी जिले के दखौरा गांव का रहने वाला महेश दो माह से भारतीय सेना लखनऊ की इंटेलीजेंस विंग के रडार पर था। रेवाड़ी के पुलिस अधीक्षक अभिषेक जोरवाल के अनुसार आरोपी ने क्या-क्या सूचनाएं उक्त पाकिस्तानी महिला जासूस को दी, एसटीएफ उसकी जांच कर रही है।
बहरहाल, चंद रुपयों के लालच में अपना जमीर बेचकर देश के साथ गद्दारी करने के लगातार सामने आ रहे ऐसे मामले बेहद संवेदनशील और हैरान-परेशान करने वाले हैं। कुछ दिनों पहले भी आईएसआई के लिए जासूसी कर रहे भारत के तीन रक्षाकर्मियों को राजस्थान पुलिस द्वारा पकड़ा गया था, जो आईएसआई को रणनीतिक सैन्य प्रतिष्ठानों के बारे में जानकारी मुहैया करा रहे थे। पिछले साल आंध्र प्रदेश पुलिस, नौसेना की खुफिया इकाई तथा केन्द्रीय खुफिया एजेंसियों की संयुक्त कार्रवाई में भी सात नौसैनिकों को जासूसी के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उसी मामले में इस साल फरवरी माह में खुफिया एजेंसी द्वारा पाकिस्तान के लिए जासूसी करने के आरोप में तेरह लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जो हनीट्रैप के शिकार होने के बाद सोशल मीडिया के जरिये पाकिस्तानी एजेंटों को नौसेना से संबंधित संवेदनशील सूचनाएं लीक किया करते थे। किसी देश द्वारा दूसरे देश की सैन्य जासूसी कराने के मामले कोई नई बात नहीं है लेकिन जब अपने ही देश के पत्रकार या सेना के जवान अथवा अधिकारी ही ऐसे मामलों में संलिप्त पाए जाने लगें तो स्थिति बेहद गंभीर हो जाती है।
देश के रक्षा और सैन्य प्रतिष्ठानों में चीनी और पाकिस्तानी जासूसों की बढ़ती पैठ काफी चिंताजनक है। सबसे बड़ी चिंता की बात यह है कि सेना के जवानों के अलावा पिछले कुछ वर्षों में सेना और रक्षा प्रतिष्ठानों के बड़े-बड़े अधिकारी, वैज्ञानिक, राजनयिक और अब पत्रकार भी ऐसे मामलों में पकड़े जा रहे हैं। सेना के जवान या पत्रकार जैसे बेहद जिम्मेदार लोग भी अगर थोड़े लालच और विलासितापूर्ण जीवन जीने के लिए इस प्रकार दुश्मन देश के लिए जासूसी करते हुए देश के साथ गद्दारी करने लगें तो देश के लिए इससे बड़ी दुर्भाग्य की बात और क्या होगी? जिस प्रकार अब सैन्य अड्डों, सैन्य तथा रक्षा प्रतिष्ठानों, कारखानों इत्यादि की जासूसी करने वालों का नेटवर्क हमारे ही तंत्र में पैठ बना रहा है, वह हमारी सुरक्षा और खुफिया एजेंसियों के लिए गंभीर चुनौती का विषय बनता जा रहा है। ऐसी वारदातों से निपटने की दृष्टि से सेना के खुफिया विभाग की जिम्मेदारी काफी बढ़ जाती है और अब सुरक्षा तथा खुफिया एजेंसियों को विशेष सतर्कता बरतते हुए अपने नेटवर्क को बेहद मजबूत बनाने की ओर ध्यान देना चाहिए।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार तथा कई पुस्तकों के लेखक हैं, उनकी हाल ही में पर्यावरण संरक्षण पर 190 पृष्ठों की पुस्तक ‘प्रदूषण मुक्त सांसें’ प्रकाशित हुई है)