इस्लामी साम्राज्य स्थापित करने की कोशिशें
आतंकवादी हमलों द्वारा विश्व में
इस्लामी साम्राज्य स्थापित करने की कोशिशें
आतंकवाद धर्म आधारित ही होता है यह साबित कर दिया पिछले दो दिनों में हुए दुनिया के दो हिस्सों में आतंकवादी हमलों ने। पहला हमला शनिवार 21 सितम्बर, 2013 को केन्या के नैरोबी शहर के एक माॅल में हुआ जिसमें इस्लामी जिहादियों ने वहां पर मौजूद मुसलमानों को अलग कर गैर इस्लामियों (काफिरों) को चुन-चुन कर मारा, जिसकी जिम्मेदारी अलकायदा से जुडे अल शबाब जुट ने ली तथा दूसरा पाकिस्तान के पेशावर में रविवार 22 सितम्बर, 2013 को एक ऐतिहासिक चर्च पर जिहादियों ने आत्मघाती हमला किया जिसमें 78 के लगभग निर्दोष मारे गये जिसकी जिम्मेदारी इहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान ने ली। जिस समय यह आत्मघाती हमला हुआ उस समय चर्च में 600-700 के लगभग लोग मौजूद थे।
आज पूरी दुनिया इस्लामी आतंकवाद से त्रस्त है। दशकों से जारी इन इस्लामी हमलों से ऐसा लगता है कि ये पूरी दुनिया में इस्लामी साम्राज्य स्थापित करना चाहते हैं अर्थात् ‘‘दारुल हरब’’ को ‘‘दारुल इस्लाम’’ में परिवर्तित करना चाहते है। इस्लाम के अनुसार जहां इस्लामी राज्य नहीं है उसे ‘‘दारुल हरब’’ कहा जाता है। इस्लाम के जिहादी इसी कार्य को पूरा करने के लिए गैर इस्लामियों (काफिरों) को मारते हैं ताकि उनके दिलों में इतनी दहशत पैदा हो सके कि वे अपना देश छोडकर चले जाएं अथवा इस्लाम कबूल करले।
भारत पर सन् 712 मंे इस्लामी आक्रांता मोहम्मद बिन कासिम के नेतृत्व में इस्लाम का आक्रमण इस्लामी राज्य स्थापित करने के लिए किया था तब से लेकर आजतक इस्लाम के इन जिहादियों ने भारत में इस्लामी राज्य स्थापित करने के लिए इतिहास के अनुसार लगभग 80 करोड़ हिन्दुओं का नरसंहार किया है, भारत का विभाजन कर एक अलग इस्लामी देश पाकिस्तान का निर्माण किया, कश्मीर घाटी से हिन्दुओं को मार-मार कर भगाया, हिन्दुओं के मन्दिरों पर हमले किये, उनका विध्वंस किया और आज भी ये हमले जारी है। ये जिहादी बम-विस्फोट कर निरपराध हिन्दुओं का रक्त बहा रहे है। भारत में इस्लामी राज्य स्थापित हो इसके लिए बार-बार पाकिस्तान आक्रमण कर रहा है और अपने यहां प्रशिक्षित किए हुए आतंकवादियों को भारत में भेज रहा है। यहां मौजूद कुछ अलगाववादी मुस्लिम नेता व संगठन इनका साथ देते है।
हमारे देश में झूठी धर्मनिरपेक्षता का राग अलापने वाले राजनेता, बुद्धिजीवीं तथा सेकुलर मीडिया कहते है कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता। उन्हें अपनी आंखों पर बंधी इस नकली धर्मनिरपेक्षता की पट्टी को हटाकर सच्चाई को देखना व समझना होगा कि यदि इस धार्मिक उन्माद को न रोका गया तो वह दिन दूर नहीं जब समूचे देश का इस्लामीकरण कर इसे ‘‘दारुल इस्लाम’’ बना दिया जाएगा।
अतः भारत तथा पूरे विश्व को इस्लाम की इस साम्राज्यवादी विचारधारा व युद्ध को समझना होगा तथा इसको रोकने के लिए प्रयत्न पूर्वक प्रभावशाली उपाय करके इस पर अंकुश लगाने के उपरांत ही विश्व में मानवता की रक्षा हो सकेगी।
आर. के. गुप्ता