देश की दूसरी आजादी के लिए जागरण आवश्यक:शास्त्री

पश्चिम बंगाल में गो-हत्या निषेध को लेकर संघर्ष कर रहे ब्रह्मचारी ऊपानंद का कहना है कि पश्चिम बंगाल में सरकार का गो-रक्षा के प्रति कोई दायित्व बोध नही है। यहां मुस्लिम तुष्टिकरण जमकर हो रहा है, गो-वंश संवर्द्घन की बजाए गो-वंश विनाश की घातक नीतियां बन रही हैं। जिससे गो-वंश के लिए खतरा पैदा हो गया है। उन्होंने कहा कि हिंदू ट्रस्ट भवन में सरकार की पक्षपात पूर्ण नीतियों के कारण हिंदुओं को गणेशोत्सव नही करने दिया जाता। खड़गपुर में बजरंगबली की पूजा नही होने दी गयी जिससे स्पष्ट है कि सरकार का दृष्टिकोण बहुसंख्यकों के लिए अच्छा नही है।ब्रह्मचारी ऊपानंद ने इस बात पर अफसोस जाहिर किया कि हिंदुओं को होली पर रंग डालने से तथा दीपावली पर पटाखे छोड़ने से प्रतिबंधित किया जाता है, जबकि मुस्लिम त्यौहारों पर ऐसा नही किया जाता। उन्होंने कहा कि यदि साम्प्रदायिक दंगे होने की ही बात है तो वह किसी भी त्यौहार पर हो सकते हैं। इसलिए प्रत्येक त्यौहार पर जरूरी सावधानी बरती जानी चाहिए, लेकिन जब यह सावधानी केवल हिंदुओं के लिए दीखती है तो अच्छा नही लगता।

उन्होंने कहा कि सरकार की इमामों की भत्ता देने की योजना भी गलत है। इससे संविधान की पंथनिरपेक्ष व्यवस्था का मखौल बनकर रह गया है। राज्य की नजर में सबके लिए समान व्यवस्था होनी चाहिए, और साम्प्रदायिक आधार पर नागरिकों के मध्य पक्षपात नही होना चाहिए गायों की हत्या के लिए उनका कहना था कि हम लोग जब इन हत्याओं के विरोध में न्यायलयों में जाते हैं तो वहां भी बंगाल सरकार की हिंदु विरोधी नीतियों का लाभ गऊ हत्यारे उठा ले जाते हैं। लेकिन हम इस सबके बावजूद संघर्ष कर रहे हैं और हम हार हालत में गऊ हत्या निषेध कराके ही दम लेंगे। उन्होंने इस बात पर बहुत ही दुख व्यक्त किया कि हिंदू जब अपना विशेष पर्व विजय दशमी मनाते हैं तो उसी समय मुसलमान हिंदुओं को परेशान करने के लिए बहुत पीड़ा  पहुंचाते हैं। पर्याप्त शिकायतों के बावजूद शासन प्रशासन का कोई सहयोग हमें न ही मिलता। जहां भी जाते हैं वहीं से निराशा ही हाथ आती है।

ब्रह्मचारी ऊपानंद ने ‘उगता भारत’ के विषय में कहा कि इसके राष्ट्रवादी चिंतन से पश्चिम बंगाल का जनमानस प्रभावित हुआ है और मैं आशा करता हूं कि इसका राष्ट्रवादी चिंतन भविष्य में भी लोगों का मार्गदर्शन करता रहेगा।वरिष्ठ समाजसेवी और आर्य समाजी युवा नेता योगेश शास्त्री ने एक विशेष बातचीत में हमें बताया कि पश्चिम बंगाल ने आजादी पूर्व से ही देश को मार्गदर्शन देने का प्रयास किया और यह सौभाग्य की बात है कि राष्ट्रवाद की पहली चिंगारी यहीं से पैदा हुई। उस चिंगारी को सुभाष चंद्र बोस ने विश्व पटल पर स्थापित कर बंगाल का नाम रोशन किया। उन्होंने कहा कि इस सबके बावजूद आज हम कहां खड़े हैं और पश्चिम बंगाल की सरकार बहुसंख्यकों के हितों पर किस प्रकार कुठाराघात कर रही है, यह देख कर  दुख होता है।

श्री शास्त्री ने कहा कि भारत को आजादी इसलिए मिली थी कि अब इस देश की संस्कृति और धर्म का पूर्ण  विकास हो सकेगा, लेकिन आजादी के 67 वर्षों के भीतर ही स्थिति बद से बदत्तर हो गयी है जिसकी कल्पना भी नही की गयी थी।गो-हत्या निषेध की पूर्ण व्यवस्था कानूनी रूप से तो कर दी गयी परंतु वास्तव में गोहत्या पहले से भी अधिक खतरनाक स्तर पर चलरही है। आजादी से पहले देश में 300 कत्लखाने थे जिनकी संख्या अब चालीस हजार हो गयी है। ऐसी स्थिति में गोवंश कैसे बचेगा? यह सोचने की बात है। उन्होंने कहा कि देश में जो भी सरकार आई हैं उन्होंने ईमानदारी से गोहत्या निषेध के लिए कार्य करना नही चाहा। यदि सोच में और नीयत में फर्क नही होता तो गोहत्या निषेध कार्य अब से दशकों पहले पूर्ण हो गया होता। उन्होंने कहा कि इसके बावजूद हम संघर्ष करते रहेंगे और लोगों में दूसरी आजादी के लिए जागरण का काम करते रहेंगे।

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