आइए जानें – एनडीपीएस (NDPS) एक्ट के बारे में

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मिथिलेश कुमार सिंह

एनडीपीएस एक्ट 1985 के तहत इसकी स्थापना हुई थी। जाहिर तौर पर किसी भी नशीले पदार्थ की रोकथाम के लिए ही इसे बनाया गया है। वह चाहे नशे का उत्पादन हो, उसका स्टोरेज हो, उसकी बिक्री हो या फिर नशीले पदार्थ का ट्रांसपोर्ट करना हो, यह एक्ट हर तरह के नशे से जुड़ी एक्टिविटी को रोकता है।

हाल फिलहाल देश भर में अभिनेता सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले में अलग-अलग स्तर पर बहस चल रही है। कोई इसे सुसाइड मान रहा है, तो कोई इसे मर्डर! लेकिन इन सबके बीच नशे का कारोबार करने वाले गैंग के भी बारे में भी नित-नए खुलासे हो रहे हैं। माना जा रहा है कि ड्रग एडिक्शन की वजह से एक अभिनेता की जान गई।

इस बीच भारत सरकार की एजेंसी एनसीबी (NCB) यानी नारकोटिक्स कंट्रोल ब्यूरो इस मामले की जांच कर रही है और इस मामले से जुड़े कई अभियुक्तों की गिरफ्तारी भी हुई है। ऐसे में इससे जुड़े कानूनों की बात भी हर जगह सामने आ रही है। यूं सामान्य कानूनों की की सामान्य जानकारी हर एक को होती है, लेकिन ड्रग कंट्रोल से जुड़े एनडीपीएस एक्ट (Narcotic Drugs and Psychotropic Substances Act, 1985) के बारे में कम लोग ही जानते हैं। आइए इस पर एक नजर डालते हैं।

एनडीपीएस (नारकोटिक ड्रग्स एंड साइकॉट्रॉपिक सब्सटेंस) एक्ट 1985 के तहत इसकी स्थापना हुई थी। जाहिर तौर पर किसी भी नशीले पदार्थ की रोकथाम के लिए ही इसे बनाया गया है। वह चाहे नशे का उत्पादन हो, उसका स्टोरेज हो, उसकी बिक्री हो या फिर नशीले पदार्थ का ट्रांसपोर्ट करना हो, यह एक्ट हर तरह के नशे से जुड़ी एक्टिविटी को रोकता है। अगर कोई इस एक्ट का पालन नहीं करता है तो उसके लिए कड़ा दंड भी उसी अनुपात में निर्धारित किया गया है। आइये जानते हैं इससे सम्बंधित कुछ धाराओं के बारे में।

धारा 15

अगर कोई व्यक्ति किसी भी वजह से एनडीपीएस एक्ट अथवा सम्बंधित लाइसेंस रूल्स का उल्लंघन करता है तो इस कार्य को दंडनीय माना जाता है। पापी स्ट्रा (पोस्ता) से सम्बंधित उल्लंघन के मामलों, जिसमें नशीले पदार्थ की मात्रा 1 किलोग्राम तक शामिल रहती है, तो ऐसे में 10000 रूपये का जुर्माना अथवा 1 साल तक जेल की सजा अथवा दोनों से दंडित किया जा सकता है। इसी प्रकार अगर नशीले पदार्थों की मात्रा 1 किलो से अधिक और 50 किलोग्राम से कम पायी जाती है तो सजा 100000 का जुर्माना अथवा 10 साल तक दंड दिया जा सकता है। वहीं 50 किलोग्राम से अधिक मात्रा पाए जाने पर मिनिमम 10 साल तक सजा और अधिकतम 20 साल तक कारावास की सजा हो सकती है और 100000 से ₹200000 के बीच में जुर्माना लगाया जा सकता है।

धारा 16

इसी प्रकार एनडीपीएस एक्ट की धारा 16 में अगर कोका का पौधा अथवा उसकी पत्ती के संबंध में कोई नियम का वायलेशन होता है, तो उसके लिए भी सजा निर्धारित की गई है। इसमें कोका के पौधे की खेती करना या उसके किसी भी भाग का कलेक्शन करना, बिक्री करना, खरीदना इत्यादि प्रतिबंधित किया गया है और इसमें 10 साल कारावास की सजा और ₹100000 जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

धारा 17

एनडीपीएस एक्ट की धारा 17 की बात करें, तो इसमें अगर कोई अफीम का उत्पादन, निर्माण करता है, उसे अपने पास रखता है, उसकी खरीद-बिक्री करता है, तब वह सजा का हकदार है और इसमें छोटी मात्रा के लिए 1 साल तक जेल या 10000 का जुर्माना अथवा दोनों का प्रावधान है। इसी प्रकार से अगर उसकी मात्रा अधिक है तो 10 साल तक की सजा और अगर बड़े स्तर पर अफीम की मात्रा पायी जाती है तो 10 से 20 साल तक की सजा हो सकती है। इसमें अधिकतम जुर्माने की राशि ₹200000 है।

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धारा 18

एनडीपीएस एक्ट की धारा 18 में अफीम का कारोबार प्रतिबंधित किया गया है। इसमें अफीम पोस्ता की खेती, उत्पादन अथवा निर्माण को प्रतिबंधित किया गया है। एक्ट के तहत अगर यह कम मात्रा में आपके पास पाया जाता है तो 1 साल तक जेल और 10,000 का जुर्माना, वहीं अधिक मात्रा में पाए जाने पर 10 से 20 साल तक की सजा और अधिकतम दो लाख जुर्माना किया जा सकता है।

धारा 19

एनडीपीएस एक्ट की धारा 19 में किसी भी किसान द्वारा अफीम अवैध रूप से उत्पादन करना शामिल है और लाइसेंस धारी होने के बावजूद भी सरकार के तय खाते से अफीम का गबन करना, सजा का कारण बन सकता है। इसमें कम से कम 10 साल तक की जेल और अधिकतम 20 साल तक की जेल की जा सकती है और एक से ₹200000 के बीच में जुर्माना दिया जा सकता है।

इसी प्रकार से एनडीपीएस एक्ट की धारा 20 है, जो भांग/ गांजा के पौधे के संबंध में है। इसमें भी कमोवेश ऐसी ही सजा है। एनडीपीएस एक्ट की धारा 21 ड्रग के उत्पादन और निर्माण के संबंध में निश्चित की गई है और इसमें भी कमोबेश सजा उसी प्रकार की रखी गई है, जैसी उपरोक्त धाराओं में है, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि किसी भी तरह के ड्रग का उत्पादन करने पर भारत का एनडीपीएस एक्ट कठोर रुख अख्तियार करता है।

एनडीपीएस एक्ट की धारा 22 में किसी भी नशा के प्रोडक्ट हेतु मिले लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन प्रतिबंधित करता है, तो धारा 23 भारत में नशीली दवाओं के आयात निर्यात के लिए सजा निर्धारित करता है।

एनडीपीएस एक्ट की धारा 24 इसी संबंध में नशीले पदार्थों के बाहरी लेनदेन के लिए कड़ा रुख अख्तियार करती है, तो धारा 25 यह बताती है कि अगर किसी एक जगह पर यह कारोबार किया जाता है अर्थात अगर आप अपना घर या कोई जगह, अपनी कोई गाड़ी इस तरह के कारोबार के लिए देते हैं तो कड़ी सजा के हकदार हो सकते हैं। धारा 26 किसी भी लाइसेंसधारी अथवा उसके नौकर द्वारा किये गए उल्लंघन हेतु सजा निश्चित करती है, जिसमें सरकार को गलत सूचनाएं देना भी शामिल है।

एनडीपीएस एक्ट की धारा 27 किसी भी नशीली दवा के सेवन से संबंधित है और इसे प्रतिबंधित किया गया है। 27 क में इस प्रकार के अवैध व्यापार को प्रतिबंधित किया गया है और इसका वित्त पोषण करने वाले अपराधियों को कड़े दंड का प्रावधान किया गया है।

जाहिर तौर पर नसे का सेवन, अच्छे से अच्छे व्यक्ति को नष्ट कर सकता है और उसे समाज से काट सकता है। समाज से कटने के पश्चात ऐसा देखा गया है कि कई युवक या युवती सुशांत सिंह राजपूत की तरह आत्महत्या के मार्ग में प्रवृत्त हो सकते हैं, इसलिए हर एक को इस बारे में सजग होना चाहिए, ताकि नशे के सेवन और उसके किसी भी प्रकार के उत्पादन, भंडारण उसके कारोबार, ट्रांसपोर्टेशन से पूरी तरह कानून के दायरे में कार्य किया जाए, अन्यथा एनडीपीएस एक्ट 1985 आपको सालों साल तक जेल की सलाखों के पीछे धकेल सकता है।

इन सभी धाराओं के अतिरिक्त 31A में एक बार दोष सिद्ध होने के पश्चात् अगर दोबारा वही अपराध किया जाता है तो उसमें मृत्युदंड दिए जाने का प्रावधान भी है।

एनडीपीएस के पहले डेंजरस ड्रग्स अधिनियम 1930 कार्य करता था, और यूएन कांफ्रेंस के बाद एनडीपीएस एक्ट 1985 का गठन किया गया।

कोका अर्थात कोकीन, कैनाबिस अर्थात भांग और पोस्त अर्थात अफीम के इर्द गिर्द नशे का कारोबार घूमता है और यह एक्ट भी इसी के इर्द गिर्द कार्य करता है।

इसमें दंड देने के लिए ड्रग की मात्रा मुख्य रोल प्ले करती है, जिसमें अल्प मात्रा, वाणिज्यिक मात्रा और दोनों के बीच की मात्रा काउंट की जाती है। सजा भी इसी मात्रा पर निश्चित है, जैसे अल्प मात्रा में प्रतिबंधित ड्रग मिलने पर दस हज़ार का जुर्माना एवं 1 वर्ष की जेल होती है। वाणिज्यिक अर्थात बड़ी मात्रा में ड्रग मिलने पर बीस साल की जेल एवं एक से दो लाख का जुर्माना होता है, जबकि दोनों के बीच की मात्रा में ड्रग पाए जाने पर दस साल जेल एवं एक लाख का जुर्माना दंड के तौर पर निश्चित किया गया है।

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