आत्मनिर्भरता व अध्यात्म भारतीय संस्कृति तथा सभ्यता की पहचान

प्रोफेसर विजय कुमार कौल

(लेखक दिल्ली यूनिवर्सिटी में डिपार्टमेंट ऑफ फाइनेंस और बिजनेस इकोनॉमिक्स में प्रोफेसर है।)

प्रकृति ने इस देश को प्रचूर, सभ्यता, वनस्पति, जीव जंतु, जल आदि प्रदान कर इसे पूरी तरह से आत्मनिर्भर बनाने में सहायता दी। हमारे मनीषियों तथा ऋषियों ने इसके आधार पर निश्चिंत होकर समाज का भौतिक तथा आध्यात्मिक विकास किया। यहां की संपदा को पाने के लोभ में ढेर सारे विदेशी आक्रमण भी होते रहे और पिछले 1000 वर्षों में उन्होंने यहां की सामाजिक व आर्थिक व्यवस्था को चोट पहुंचाने का कार्य किया। स्वतंत्रता प्राप्ति के बाद हमारी सरकारों ने द्वारा पश्चिमी सोच व माक्र्सवादी विचारधारा से प्रभावित होकर आर्थिक व सामाजिक व्यवस्था को अपनाया, जिसके कारण गरीबी व सामाजिक असमानाताएं बेरोजगारी आदि समस्याएं आज भी विद्यमान हंै। हमने कुछ आर्थिक व्यवस्थाओं में परिवर्तन भी किया। विशेषकर वर्ष 1990 से हम वैश्वीकरण की ओर मुड़ गये, परंतु हमारी मूलभूत समस्याएं गरीबी और असमानाताएं समाप्त नहीं हुईं। 2019 आते-आते हमारी बेरोजगारी की समस्या गंभीर रूप धारण कर रही थी। इस बीच कोरोना महामारी का जनवरी 2020 में आगमन हुआ। भारतीय अर्थव्यवस्था की हालत पहले से ही खराब थी। कारोना महामारी के कारण यह स्थिति और बिगड़ गई। लॉकडाउन के कारण सभी आर्थिक और सामाजिक क्रियाकलापों पर रोक लग गई। सबसे बड़ी चोट गरीब मजदूरों पर हुई। लघु उद्योग बंद हो गए, पटरी पर बैठ रोजी रोटी चलाने वालो का कार्य बंद हो गया। इसी बीच चीन के साथ युद्ध होने की आशंकाएं भी उत्पन्न हुईं। देश के पूर्वी तथा पश्चिमी तटों पर चक्रवात ने काफी नुकसान पहुँचाया।

अर्थव्यवस्था को गति देने के लिए भारत सरकार ने लॉकडाउन के साथ ही साथ कई आर्थिक उपायों व सुधारों की घोषणा की। मई में आत्मनिर्भर भारत पैकेज की घोषणा व उनके बाद अन्य उपायों की सूचना दी जा रही है। अभी कोरोना महामारी के चलते अनिश्चिता की स्थिति बनी हुई है। वर्तमान की इस पृष्ठभूमि में हमें भारत सरकार द्वारा उठाए गए कदमों तथा आर्थिक सुधारों को देखना होगा। क्या आत्मनिर्भर भारत अभियान देश में आर्थिक व सामाजिक परिवर्तन का संकेत है? क्या यह देश को पश्चिमी व माक्र्सवादी विचारधारा से मुक्त कर एक नई तथा भारतीय दिशा में ले जाने का संकल्प है? क्या यह वैश्वीकरण की वर्तमान धारा से स्वदेशी की ओर ले चलने का प्रयास है?

महामारी से पूर्व भारत व विश्व की स्थिति
सन 1990 के आते-आते विश्व में शीत युद्ध जो कि अमेरिका व सोवियत संघ में चल रहा था समाप्त हो गया। सोवियत संघ का विभाजन हुआ जर्मनी का एकीकरण विश्व की मुख्य घटनाएं थी, जिन्होंने विश्व राजनीति को नया मोड़ दिया। इसी बीच भारतवर्ष ने अपने आर्थिक सुधारों तथा उपायों की घोषणा कर औद्योगीकरण और वैश्वीकरण की ओर कदम बढ़ा दिया। विदेशी पूँजी और कंपनियों के लिए भारत में कार्य करने का निमंत्रण दिया। इसी बीच माक्र्सवादी चीन भी अपने यहां आर्थिक सुधार कर अर्थव्यवस्था में पूंजीवाद का उपयोग कर रहा था। चीन की सरकार का पूंजीवाद बहुत ही नियंत्रित सरकारी पूंजीवाद था जो कि राज्य की सरकारी कंपनियों के लिए, देश व विदेश में कार्य करने की छूट के साथ था।

परिणाम यह हुआ कि जहां भारत ने पिछले 30 वर्षों में काफी आर्थिक प्रगति की, वहीं हमारे लघु उद्योग वैश्वीकरण और चीन की बनी सस्ती वस्तुओं की मार को सह नहीं पाए। कुछ बड़े उद्योगों ने इसका लाभ उठाकर विकास अवश्य किया। कुछ नए उद्योगों का विकास, जैसे कि आईटी सेक्टर आदि ने नये युवाओं को नये रोजगार के अवसर अवश्य प्रदान किए। दूसरी ओर, चीन ने इस बीच काफी विकास किया। वर्ष 2001 में डब्ल्यू एच ओ का सदस्य बनने के बाद हमारे यहां भी सस्ती चीनी वस्तुओं की बाढ़ आ गयी हमारी लघु उद्योग धंधे बंद हो गए। उद्यमियों ने उत्पादन बंद करके व्यापार करना शुरू कर दिया। संक्षेप में कोरोना महामारी से पूर्व चीन एक शक्तिशाली देश के रूप में उभरा और उसने सभी पड़ोसी देशों को आतंकित करना शुरू किया।

नवंबर 2019 में कोरोना विषाणु की भनक पड़ी। दिसंबर 2019 में और जनवरी 2020 में चीन के वुहान क्षेत्र में इसका विस्तार हुआ। चीन के संदेहास्पद व्यवहार से लगता है कि यह एक कृत्रिम विषाणु है, जोकि चीन ने अपने विरोधियों को दबाने के लिये बनाया गया परंतु यह उनके नियंत्रण से बाहर होकर वुहान की जनता को पीडि़त कर, विश्व में फैल गया। इससे बचने के लिए सभी आर्थिक सामाजिक व राजनीतिक गतिविधियों पर रोक लगानी पड़ी। भारत में 23 मार्च से लॉक डॉउन घोषित किया गया। पिछले पाँच महीनों से अधिक समय से देश में पूर्ण तथा आंशिक लॉक डॉउन के कारण आर्थिक गतिविधियां रुकी पड़ी हैं। उद्योग-धंधे प्रभावित हुए, उनसे जुड़े सभी रोजगार बंद हो गए। अपना गाँव छोड़ कर रोजगार के लिए शहर गए लोगों में एक डर भी पैदा हो गया। कुछेक स्थानों पर विभिन्न राजनीतिक दलों ने बहुत ही गैरजिम्मेदाराना व्यवहार करते हुए बजाय प्रवासी मजदूरों की सहायता करने के उन्हें गाँव वापस लौटने के लिए उकसाया। इससे यह स्वास्थ्य संकट, आर्थिक संकट से सामाजिक संकट में बदल गया। सरकार द्वारा इसे नियंत्रित करने के लिए पहले बस चलाई उन्हो रेल भी शुरू कर, सभी को घर पहुंचाया। अभी भी संकट जारी है और अनिश्चितता बनी हुई है।

आर्थिक सुधार व आत्मनिर्भर अभियान
देश की स्वतंत्रता के बाद एक पंचवर्षीय योजना के अंतर्गत नियोजित आर्थिक विकास का प्रयास किया गया था। इसमें राज्य व राज्य के नियंत्रण वाले औद्योगिक संस्थानों को प्राथमिकता दी गई थी। 1980 के आते आते इस विकास व्यवस्था की कमजोरियां तथा कमियां उजागर हो गईं। इसके चलते धीरे धीरे इस पब्लिक सेक्टर प्रभुन्ता वाली व्यवस्था में बदलाव कर निजी क्षेत्र को प्रोत्साहित किया गया। 1980 में भारतीय बाजारों को पूरी तरह से विदेशी पूंजी व कंपनियों के लिए खोल दिया गया। यह एक नया बदलाव था एक नियमित अर्थव्यवस्था से उदारीकरण की ओर कदम। इसका लाभ कुछ क्षेत्रों व बड़े औद्योगिक इकाइयों को हुआ, परंतु लघु उद्योग नष्ट हो गए। काफी मजदूर, अनौपचारिक क्षेत्रों में कार्य को मजबूर होते चले गए। सरकारीकरण और निजीकरण दोनों के ही परिणामों से यह समझ में आने लगा था कि वर्तमान वैश्वीकरण सभी युवाओं को नौकरी देने में समर्थ नहीं है। इसके लिए कुछ अन्य उपाय करने पड़ेंगे। मोदी सरकार द्वारा मई 2020 में आत्मनिर्भर भारत में 20 लाख करोड़ रुपये की योजना की घोषणा इसी दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है।
प्रत्यक्षत: यह मुख्य रूप से कोरोना महामारी से उत्पन्न समस्याओं को सुलझाने का प्रयास है परंतु साथ ही इस अवसर का उपयोग कर देश में मूलभूत नीति में परिवर्तन की ओर उठाया गया कदम है। सरकार के पैकेज में गरीबों के लिए खाद्य, गैस व नगरी हस्तावरण की घोषणा, लघु व मध्यम उद्योगों के लिए ऋण की प्रोत्साहन योजना व स्टर्टअप उद्यमियों को समर्थन; कृषि में आधारभूत परिवर्तन कर माध्यमों को हटाकर देश एक बाजार के रूप में घोषित करवाना सभी उद्योगों को निजी क्षेत्र के लिए खोलते हुए रक्षा क्षेत्र को भी निजी क्षेत्र के लिए मुक्त किया, स्वास्थ्य सेवाओं की मूलभूत सुविधाओं के लिए बड़ी रकम शिक्षा के क्षेत्र में ऑनलाइन की सुविधा व रेडियो स्टेशन की सुविधा, खनिज पदार्थों का क्षेत्र भी निजी क्षेत्र के लिए खोला। प्रवासी मजदूरों की सुविधाओं के लिए एक देश एक राशन कार्ड की सुविधाएं। किराये पर व शमशान के सुविधाओं की घोषणा की गई कृषि व पशुपालन क्षेत्र के लिए निवेश बढ़ाया। दवाइयां व स्वास्थ्य उपकरणों वह इलेक्ट्रॉनिक क्षेत्र के लिए पहले ही घोषणा कर दी गई थी। पुन: जुलाई 2020 के महीने में गरीब व मजदूरों के लिए घोषित खाद्यान्न आदि की सुविधाओं को बढ़ाकर नवंबर 2020 तक कर दिया गया है।

प्रश्न यह उठता है कि क्या यह पूर्व में निर्धारित उदारीकरण व वैश्वीकरण से भिन्न है? यह तो पूरी तरह से सभी क्षेत्रों को निजी क्षेत्र के लिए खोल दिया है। हां पूर्ण ध्यान से देखें तो देश में उत्पादन की सभी वस्तुओं को उत्पन्न करने का प्रयास है। वैश्वीकरण में हमारी निर्भरता चीन व अन्य देशों पर बढ़ गई थी, उस दृष्टि से इस निर्भरता को पूर्ण रूप से समाप्त करने की योजना पर कार्य हो रहा है। निजी क्षेत्र को प्रोत्साहन का उद्देश्य देश के युवा उद्यमियों को प्रेरित कर देश निर्माण में सहयोग देने की योजना है। आज देश में शिक्षित युवा उद्यमी व व्यवसायियों की कमी नहीं है, उन्हें प्रोत्साहन व समर्थन चाहिए। इस युवा उद्यमियों व व्यवसायियों की सेवा को देश निर्माण में प्रेरित करने का पैकेज, आत्मनिर्भर भारत है। यह देश को विश्व व्यापार से दूर करने की योजना नहीं है। प्रधानमंत्री ने स्पष्ट शब्दों में कहा कि हमें अपनी लोकल यानी स्थानीय वस्तुओं को गुणवत्ता के साथ बनाने व उपयोग करने की आवश्यकता है। साथ ही इन वस्तुओं को विश्व बाजार में ले जाने का प्रयास करना है। यह पूर्णतया स्वदेशी आर्थिक योजना को कार्यान्वित करने की ओर कदम है। हम यदि अपनी भारतीय अर्थव्यवस्था के पूर्व के समय को देखें तो यहां राज्य का व्यापार व व्यवसाय में नियन्त्रण बहुत ही कम था। चाणक्य अर्थव्यवस्था इसका प्रमाण है। यहां सभी आवश्यक वस्तुओं का निर्माण काम देश में ही होता था। यहां समुदाय व गांव के आधारित व्यवस्था स्वालब्बन का आत्मनिर्भर व्यवस्था थी। सामूहिक रूप से व्यक्ति व समाज को नियंत्रण करने वाली अर्थव्यवस्था थी।

औद्योगिक क्रांति के बाद, उत्पादन प्रणाली में परिवर्तन आया है। शहरीकरण का विकास हो सामूहिक सुरक्षा की भावना कम होते हुए व्यक्ति केंद्रित व व्यवसाय को बढ़ावा मिला है। राज्य का नियंत्रण बदलता चला गया। हमारे देश में विभिन्नता के साथ आत्मनिर्भरता हमारे देश की सामाजिक व आर्थिक व्यवस्था की विशेषता है। इसी विविधता का उपयोग विकेन्द्रीयकरण की नीति से व उद्यमियों को स्वतंत्र रूप से कार्य करने की सुविधा के साथ उपयोग किया जा सकता है।

वर्तमान में राज्य द्वारा अर्थव्यवस्था का नियंत्रण व समन्वय आवश्यक है। राज्य के शक्तिशाली होने की आवश्यकता है परंतु साथ ही आर्थिक उन्नति व सुदृढ़ता भी उतनी ही आवश्यक है। भारत की विविधता को देखते हुए आत्मनिर्भर अर्थव्यवस्था निजी क्षेत्र का सहयोग आवश्यक है। देश की युवा पीढ़ी को प्रोत्साहन दें, अपनी क्षमता दिखाने की आवश्यकता है। यहां विदेशी व माक्र्सवादी विचारधारा से भी उद्यमिता आधारित अर्थव्यवस्था की ओर कदम है। यही भारत को उन्नति व सुदृढता की और ले जाएगी आत्मनिर्भर भारत अभियान उसी दिशा में उठाया गया कदम है।

आत्मनिर्भर भारत के कार्यान्वय में चुनौतियां- माक्र्सवादी विचारधारा के लोग राज्य की प्राथमिकता को मानते हुए, सरकार का दायित्व हुआ नियंत्रण हर क्षेत्र में चाहते हैं। स्वदेशी सोच व विकेंद्रीकरण को प्राथमिक देते हुए, आर्थिक उन्नति व विकास की बात की जाती है। परंतु इसके लिए सभी स्तरों पर सहयोग अपेक्षित है।

हमारे यहां संघीय ढांचा है जिसमें केंद्र व राज्य सरकारों का अपना अपना दायित्व है आत्मनिर्भर भारत अभियान के लिए कार्यान्वय के लिए सभी राज्य सरकारों, जिला प्रशासन पंचायत राज्य अधिकारी का सहयोग आवश्यक है। सभी के सहयोग से ही इसका ठीक कार्यान्वयन किया जा सकता है। कार्य के निष्पादन का निरीक्षण आवश्यक है।

इस तरह की कार्यप्रणाली बनाने की आवश्यकता है कि गांव, पंचायत, तहसील व जिला स्तर पर आवश्यकताओं को उपलब्ध प्राकृतिक संपदा व साधनों की मैपिंग की जाए। वहां के साधनों का उपयोग कर वस्तुओं का निर्माण किया जाए। निर्मित वस्तुओं को शहर व मंडी ले जाने की सुविधाएं प्रदान की जाए। इस कार्य के लिए किसी किसी सुविधाओं साधन की आवश्यकता है उसे निश्चित कर प्रदान किया जाए।

कोरोना महामारी ने बताया कि ग्रामीण क्षेत्र जहां कृषि संबंधित कार्य होते हैं व डिजिटल इंडिया दोनों आवश्यक है। डिजिटल सुविधाओं का उपयोग सूचना आदान प्रदान करने व शिक्षा आदि के क्षेत्र में खूब चल रहा है। परंतु अभी भी डिजिटल कनेक्टिविटी एक बड़ी समस्या है। अन्य सुविधा के साथ इस पर अधिक ध्यान देने की आवश्यकता है। सामाजिक सुरक्षा के क्षेत्र में नकदी हस्तांतरण में इसका उपयोग सर्व विदित है। सभी देशवासियों को डिजिटल प्रशिक्षण भी प्रदान किया जाना चाहिए। गांव व पंचायत स्तर डिजिटल प्रशिक्षण आत्मनिर्भर भारत के कार्यन्वयन, निरीक्षण व नियंत्रण में भी काफी सहयोग दे सकता है।

देश की बेरोजगारी की समस्या को व प्रवासी मजदूरों के पुनर्वास की चुनौती को देखते हुए, सभी मजदूरों को प्रशिक्षण दिया जाए। गांव व जिला स्तर पर इनमें से कुछ अपना व्यवसाय वह कार्य करने के ही उद्यमिता कि प्रशिक्षण के लिए तैयार किये जाएं। ग्रामीण उद्यमिता की एक योजना बनाई जाए यह आत्मनिर्भर भारत की ओर बहुत ही महत्वपूर्ण कदम होगा और साथ-साथ बेरोजगारी की समस्या पर भी लगाम लगायेगा।

वैश्वीकरण के दौर में हमारी निर्भरता चीन पर बहुत बढ़ गई है, उसे समाप्त करना एक बहुत बड़ी चुनौती है। आत्मनिर्भर भारत अभियान में इस और काफी सोच दिखाई है। परंतु विशेषज्ञों का मत है कि फार्मा में एपीआई व इलेक्ट्रॉनिक मेंं यह शीघ्र संभव नहीं है। मेरा मत यह है कि यह संभव है और फार्मा के सभी एपीआई हमारे यहां की बनते थे परंतु सस्ती वस्तु के चक्कर में हमने इसे बंद कर दिया। हमारी फार्मा कंपनियों द्वारा इसे बनाया जा सकता है, अवश्य प्रारंभ में इसकी लागत बढ़ जाएगी परंतु धीरे-धीरे इस पर भी नियंत्रण कर कम किया जा सकता है। इलेक्ट्रॉनिक में कई वस्तुएं हमें आयात करनी पड़ती हैं। इसके देश में निर्माण के लिए सरकार ने प्रोत्साहन व योजना बनाई है। हमारे युवा उद्यमी शक्ति को पहचानते हुए उसे प्रोत्साहन देते हुए हम यह सब कार्य कर सकते हैं। हमारे देश में जब भी कोई संकटकालीन स्थिति रही, उसी में हमने नये-नये व कठिन से कठिन कार्य कर के दिखाएं।

बेरोजगारी की समस्या ग्रामीण विकास की व कृषको की समस्या का समाधान आधारभूत क्रियाओं सड़क पुल पोर्ट रेलवे की ग्राम और शहर से कनेक्टिविटी का निर्माण की योजना से दूर होगा। इसके लिए आवश्यक कार्य करना, राज्य सरकारों की सहमति लेना भी शामिल है। यह कार्य ग्रामीण क्षेत्रों में कर्मचारी आधारित है क्लस्टरों की पुनर्जीवन व समर्थन को भी बढ़ावा देगा। इसके साथ ही साथ औद्योगिक कलस्टरों को भी पुनर्जीवित व समर्थन देते हुए औद्योगिक वस्तुओं के निर्माण करने की, वर्तमान औद्योगिक अति जोकि डिजिटल तकनीकी केंद्र प्रयोग के साथ संबंधित है का उचित उपयोग करते हुए हमें अपनी मैन्युफैक्चरिंग की क्षमता को बढ़ाना है। इससे हम काफी नौकरियां भी उत्पन्न कर सकते हैं।

समाज में राष्ट्र के प्रति निष्ठा की भावना व प्रशासन द्वारा उचित प्रयास कर देश की सभी चुनौतियों का सामना किया जा सकता है। आज देश स्वतंत्र है युवा देश है। युवा वर्ग में आगे बढऩे की लालसा है। सरकार भी इस दिशा में कार्य कर रही है। इसका परिणाम सुखद ही होगा।

भविष्य की ओर
भारतवर्ष एक विविधतप्रधान, पा्रकृतिक संपदा से परिपूर्ण, विशाल जनसंख्या वाला देश है। इसकी युवा शक्ति सांस्कृतिक व प्रकृतिनिष्ठ सोच इसे ऊंचाई पर ले जा सकती है। हमें अपनी शक्ति को पहचान कर चलने की आवश्यकता है।
वर्तमान में चल रहे आर्थिक संकट कोरोना महामारी वह चीन का अतिक्रमण हमें प्रेरणा देता है, अधिक कार्य करने की हमें कुछ कार्यों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है।
(1) हमें अपनी स्वास्थ्य सुविधाओं के इकोस्टिक को सुदृढ़ करना है। आज की तकनीकी का उपयोग करते हुए फार्मा स्वास्थ्य सेवाएं, योजना आदि के साथ योग को मिला कर एक समग्र स्वास्थ्य इकोस्टिम का निर्माण करने की आवश्यकता है। यह रोजगार भी उत्पन्न करेगा स्वास्थ्य व्यक्तियों का निर्माण भी होगा निर्यात से विदेशी मुद्रा भी वर्जित की जा सकती है।
(2) नव ज्ञान का सृजन भी हमारी प्राथमिक होनी चाहिए। हमारे सांस्कृतिक धरोहर वह आस्थाओं के सात वर्तमान तकनीकी के विकास में भी हमारा सहयोग व अ अग्रणी भूमिका आवश्यक है।
(3) रक्षा क्षेत्र में बहुत परिवर्तन हो रहे हैं। साइबर स्पेस नया क्षेत्र उभर कर आया है। हमारी क्षमता दूसरे देशों के मुकाबले में कम है। क्षमता सिर्फ अपने को बचाने की ही नहीं बल्कि दूसरों को आघात पहुंचाने की भी चाहिए। रक्षा के क्षेत्र में हमारे निर्भरता अभी भी दूसरे देशों पर है। इस क्षेत्र में बहुत कार्य करने की आवश्यकता है। आत्मनिर्भर भारत तभी सक्षम होगा जब हम रक्षा के क्षेत्र में दूसरों पर निर्भर नहीं रहें।
(4) उपयुक्त सभी कार्यों के लिए हमारी शिक्षा प्रणाली को सुदृढ़ करने की आवश्यकता है। शिक्षा प्रणाली में गुणवत्ता के साथ देश की राष्ट्रीय की सांस्कृतिक धरोहर वह संपदा की रक्षा के लिए संवेदनशील होना भी आवश्यक है। इसके व्यक्तिकेंद्रीत अधिकार आधारित शिक्षा जिसमें सभी कार्यों के लिए हम राज्य की ओर देखते हैं, को बदलने की आवश्यकता है। हमारी संस्कृति में कर्तव्यनिष्ठा का महत्त्व रहा है। सिर्फ अधिकार आधारित व्यवस्था भ्रष्टाचार का कारण है। हमारे यहां धर्म यानी अपने समुदाय तथा समाज के प्रति कर्तव्यों, को शिक्षा में उचित स्थान देने की आवश्यकता है।
(5) आर्थिक विकास के लिए उद्यमिता आधारित व्यवस्था को बढ़ाने के लिए प्रशिक्षण कर्मचारी आधारित क्लस्टरो व औद्योगिक कलस्टरो का पुनर्जीवन आधारभूत सुविधाओं में निवेश आदि कार्यों का प्रोत्साहन देना होगा।

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