🔥हैदराबाद आंदोलन और आर्य समाज🔥
_लाखों वीरों ने जब गर्दन कटवाई थी,_
_सच कहता हूं तब यह आजादी आई थी।_
*आज से लगभग 70 वर्ष पूर्व 17 सितंबर 1948 को हैदराबाद राज्य (वर्तमान का हैदराबाद शहर और कर्नाटक राज्य) का विलय भारतीय संघ मे हुआ था।*
तत्कालीन हैदराबाद राज्य में बहुमत जनता हिन्दू थी पर राजा मुसलमान था। निजाम अपनी रियासत को पाकिस्तान मे मिलाने चाहता था और 1930 से ही हिन्दूओ को इस्लाम कबुलने के लिए असहनीय अत्याचारों द्वारा दबाव बनाया करता था।
हैदराबाद शहर मे प्रथम आर्य समाज की स्थापना 1892 मे हुई थीं। 1938 तक तत्कालीन हैदराबाद राज्य मे 250 से ज्यादा आर्य समाज के केंद्र खुल गए थे। इसी के साथ आर्य समाज ने बहुसंख्यक हिन्दूओ के हित मे अपनी आवाज बुलंद करनी शुरू कर दी थी। जिन्हें धोखा और लालच देकर मुसलमान बनाया गया था उनके लिए शुद्धि आंदोलन चलाया गया।
*इस घर वापसी मे प्रख्यात विद्वान पंडित रामचंद्र देहलवी जी के भाषणो का महत्वपूर्ण योगदान रहता था।*
आर्य समाज को हैदराबाद को इस्लामिक राज्य बनाने मे सबसे बङा रोङा मानते हुए, 1937 में निजाम ने संगठन पर कङे प्रतिबंध लगाने के आदेश दे दिए। इसमे सम्मेलन करने, किसी नई जगह पर हवन करने पर भी प्रतिबंध था। यहां तक की ओ३म् का भगवा झंडा लहराने पर भी जेल भेज दिया जाता था।
*24 अक्टूबर 1938 को आर्य समाज ने महात्मा नारायण स्वामी के नेतृत्व मे निजाम के विरूद्ध पहला सत्याग्रह किया।* इसके बाद करीब 6 और सत्याग्रह हुए।12000 सत्याग्रहियो मे से 7000 हैदराबाद राज्य के बाहर से थे। इसमे बङी संख्या गुरुकुल कांगङी हरिद्वार के ब्रह्मचारीयो सहित देश भर से आए आर्य समाज के कार्यकर्ताओं की थी।सैकड़ों कार्यकर्ताओ को जेल में डाला गया जिसमे से कुछ ने अनशन के दौरान अपने प्राण त्याग दिए।
वहां की आर्य समाज और कार्यकर्ताओं को सार्वदेशिक आर्य प्रतिनधि सभा दिल्ली का नैतिक और आर्थिक सहयोग निरंतर मिलता रहा।सभा समन्वय केंद्र का कार्य भी करती थी।
साभार:-Indian Stream Research Journal का शोधपत्र आर्य समाज का हैदराबाद आंदोलन में योगदान।
हैदराबाद मुक्ति संग्राम के की प्रथम बलिदानी हुतात्मा वेद प्रकाश, पंडित नरेंद्र, स्वामी स्वतंत्रानंद इस आंदोलन के मुख्य नायकों में से थे।विस्तृत जानकारी के लिए फेसबुक पर यह लेख पढ़ें-https://m.facebook.com/story.php?story_fbid=789426395164252&id=100022906952736
*भारत सरकार(गृह मंत्रालय) की वेबसाइट पर उपलब्ध जानकारी के अनुसार उस वक्त हैदराबाद कर्नाटक क्षेत्र के लगभग 70% राष्ट्र भक्त आर्य समाजी थे।* आर्य समाज ही उस वक्त इन राष्ट्र भक्त आंदोलनकारियों का प्रशिक्षण केंद्र था।
प्रमाण:-https://www.google.com/url?sa=t&source=web&rct=j&url=https://www.mha.gov.in/sites/default/files/MovementSSSPensionSch_170415.pdf&ved=2ahUKEwiJyofZju7rAhVS8HMBHVoEA8A4ChAWMAB6BAgAEAE&usg=AOvVaw3-Jd2ZBDmNPx-NxfS_3f9t
इस आंदोलन ने जो एक दशक तक भूमिका निभाई उसी का प्रतिफल था कि लौह पुरुष सरदार वल्लभभाई पटेल के नेतृत्व में 1948 में की गई पुलिस कार्यवाही द्वारा सरलता से हैदराबाद का भारत में विलय कर दिया गया।स्वयं पटेल जी ने इस आंदोलन की महत्त्वपूर्ण भूमिका को बाद में स्वीकारा था।
*ऋषि दयानंद का सैनिक*
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