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सनातन वैदिक संस्कृति का इतिहास नदियों के इतिहास वर्णन के बगैर अधूरा है| नदियों का विकास ही भारत का विकास है जब नदियां सदानीरा समृद्ध गंदगी अतिक्रमण से मुक्त थी तभी भारत समृद्ध था| रामायण महाभारत जैसे ऐतिहासिक महाकाव्य नैतिक शिक्षाप्रद ग्रंथों में सैकड़ों नदियों का नाम सहित अनेक प्रसंगों में उल्लेख आता है| इन्हीं तत्वों के अध्ययन से मेरे मन में उत्सुकता जागी आखिर भारत में छोटी बड़ी साहक तथा ट्रिब्यूटरी कुल कितनी नदियां हैं? इन नदियों पर अतिक्रमण पर्यावरण संकट की क्या स्थिति है? आदि आदि नौ बिंदुओं पर सूचना जल संसाधन विकास मंत्रालय भारत सरकार जो अब जल शक्ति मंत्रालय हो गया से मांगी थी|
जो जानकारी मिली वह इस प्रकार है भारत में छोटी-बड़ी सदाबहार मौसमी नदियों सहित 20459 नदियां बहती है| जिन की कुल लंबाई 470961 किलोमीटर है| नदियों के बेसिन की कुल लंबाई 4306457 किलोमीटर है| नदियों ने पूरे भारत को मुख्य 20 हिस्सों में बांट रखा है |यहां एक जानकारी बताना चाहूंगा नदियों की लंबाई व नदियों की बेसिन की लंबाई दोनों ही अलग भौतिक संरचना है| नदियों का बेसिन वह इलाका होता है जहां नदियां अपना पानी आसपास में छोड़ती हैं जरूरत पड़ने पर वापस लेती हैं जैसे झील स्थानीय बरसाती नाले वेटलैंड आदिके माध्यम से |
भगवान की यह अनूठी व्यवस्था है देश का प्रत्येक गांव कस्बा बेसिन में ही बसा हुआ है | नदी भारत माता की नस नाडिया है| हमने अतिक्रमण कर नदियों के बेसिन में नदियों के मार्ग पर बड़ी-बड़ी आवासीय कॉलोनी काट दी तथा शहर बसा दिए हमने नदियों के तंत्र को अस्त-व्यस्त कर दिया| जबकि हमारे पूर्वज नदियों के जल तंत्रों चैनल पर कोई सरचना आवास नहीं बनाते थे| और एक जानकारी जल शक्ति मंत्रालय के ही अधीन नदी विकास अभिकरण से मिली आजादी के बाद से भारत में नदियों को जोड़ने की बात की जा रही है जिससे पूर्वी दक्षिणी भारत जो मॉनसून में बाढ़ से डूब जाता है उसका पानी पश्चिमी सूखे भारत में पहुंच जाए सिंचाई की समस्या का समाधान हो जाए अतिरिक्त जल बहकर समुंदर में ना जाए… देश का जल संसाधन बच जाए लेकिन आपको दुख होगा आज तक यह परियोजना कागजों पर ही नियोजन स्तर पर है एक पैसा इस पर खर्च नहीं हुआ| जल शक्ति मंत्रालय इस सवाल पर चुप्पी साध गया कि भारत में संकटग्रस्त पर्यावरण प्रदूषण से ग्रस्त कुल कितनी नदियां हैं कितनी नदियां मार्च 2020 तक लुप्त हो चुकी हैं 20,000 से अधिक नदियों की संख्या तो मंत्रालय ने बता दी लेकिन मंत्रालय को इनमें शामिल हजारों नदियों के विषय में पता नहीं है वह अतिक्रमण से ग्रस्त है या जमीन पर मौजूद है भी या नहीं इस मामले में अपील की गई है| आप जल संसाधन के स्थान पर जल शक्ति मंत्रालय कर दीजिए मंत्रालय के नामकरण से कुछ नहीं होगा जब तक ईमानदार मेहनती नौकरशाह धरातल पर उतर कर काम नहीं करेंगे भारत की नदियां आज फिर किसी राजा भगीरथ की बाट जोह रही है| जल शक्ति मंत्रालय के निठल्ले पलायन वादी अधिकारी वेबीनार कर अपने काम की इतिश्री कर लेते हैं| एक बात और भारत में 1 दर्जन से अधिक कृष्णा महानदी वंश धारा रावी व्यास जैसी नदियों पर जल विवाद है कुछ बात अंतर राज्य कुछ राष्ट्रीय तो कुछ अंतर्राष्ट्रीय हैं… नदियों का विकास तो दूर नदियों पर झगड़ा कर रहे हैं हमारे राज्य व संस्थान… नदियों को लेकर दुश्मन देश से विवाद तो जायज है लेकिन आपसी राज्यों का लड़ना झगड़ना यह क्या शोभा देता है?
राजनीतिक तौर पर नदियों की दुर्दशा के लिए किसी भी एक केंद्र सरकार व राज्य सरकार को दोषी नहीं ठहराया जा सकता आजादी से लेकर आज तक की पूरी शासन व्यवस्था दोषी है|
आप विचार करें|
आप भी कमेंट बॉक्स में अपने आसपास की किसी स्थानीय नदी या किसी बड़ी नदी की सहायक नदी का नाम व फोटो प्रेषित करने की कृपा करें|
आर्य सागर खारी✍