मिथिलेश कुमार सिंह
आपके पास सबसे पहले कंपनी का नाम होना चाहिए और इसके अलावा एड्रेस प्रूफ आवश्यक है, जिसमें इलेक्ट्रिसिटी बिल, टेक्स अथवा गैस बिल, फोन बिल दिया जा सकता है। साथ ही पार्टनर की आईडी, जिसमें आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस इत्यादि गिनाए जा सकता हैं।
वर्तमान समय में यह जितना आसान है, संभवतः इतना आसान यह कभी नहीं रहा। पहले के समय में इसके डॉक्यूमेंटेशन की प्रक्रिया बेहद टफ थी, तो लालफीताशाही के कारण तमाम स्टार्टअप ऐसा जोखिम लेने से बचते थे। कई लोग तो इस डर और भारी-भरकम फॉर्मेलिटीज के कारण बिना कंपनी रजिस्टर्ड कराए ही कार्य करते थे और इससे सरकार को टैक्स का भारी नुकसान होता था।
जैसा कि हम सभी जानते ही हैं कि भारत में कहीं भी बिजनेस करने के लिए कई सारे नियम हैं और मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स (http://mca.gov.in/) के तमाम नियमों में प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाकर व्यापार करना भी शामिल है। हकीकत तो यह है कि इसके लिए अब आपको बहुत ज्यादा परेशान होने की जरूरत नहीं है।
बदलते समय के कारण यह प्रक्रिया बेहद आसान हो गई है। आइए इसे जानते हैं…
थ्योरी के रूप में अगर इसे समझें तो अगर एक से अधिक व्यक्ति मिलकर साथ में बिजनेस करना चाहते हैं तो प्राइवेट लिमिटेड कंपनी रजिस्टर करा सकते हैं। इसमें कम से कम 2 लोग होने अनिवार्य हैं और अधिक से अधिक इस में 200 मेंबर हो सकते हैं।
इन सभी की उम्र 18 साल से अधिक होनी चाहिए। इसके शेयर्स भी अलग-अलग लोगों में डिवाइड होते हैं, लेकिन शेयर मार्केट में यह कंपनी व्यापार नहीं कर सकती है।
गौरतलब है कि शेयर मार्केट में व्यापार करने के लिए मिनिस्ट्री आफ कॉरपोरेट अफेयर्स द्वारा लिमिटेड कंपनी बनाई जाती है। खैर उसकी चर्चा हम अलग लेख में करेंगे, यहां प्राइवेट लिमिटेड कंपनी बनाने की चर्चा करते हैं।
इसके लिए आपके पास सबसे पहले कंपनी का नाम होना चाहिए और इसके अलावा एड्रेस प्रूफ आवश्यक है, जिसमें इलेक्ट्रिसिटी बिल, टेक्स अथवा गैस बिल, फोन बिल दिया जा सकता है। साथ ही पार्टनर की आईडी, जिसमें आधार कार्ड, वोटर आईडी कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस इत्यादि गिनाए जा सकता हैं। साथ ही सभी का पैन कार्ड जरूरी है, तो पासपोर्ट साइज फोटो भी इस प्रक्रिया में लगता है।
अगर यह सारे डॉक्यूमेंट आपने अप्लाई किया है तो जितने डायरेक्टर कंपनी में आप रखना चाहते हैं, उनके लिए डीन यानी डायरेक्टर आईडेंटिफिकेशन नंबर के लिए अप्लाई करना होता है, जो मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स से प्राप्त होता है। इसे ऑनलाइन, इसकी वेबसाइट पर भी अप्लाई किया जा सकता है। इसके बाद इंडियन गवर्नमेंट द्वारा आपको डिजिटल सिग्नेचर की जरूरत पड़ती है, जो e-mudra इत्यादि जगहों से लिया जा सकता है।
तत्पश्चात आप मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स यानी एमसीए की वेबसाइट mca.gov.in पर अपनी कंपनी का नाम चेक कर सकते हैं कि वह नाम अवेलेबल है कि नहीं!
अगर वह नाम उपलब्ध है तो आप इसी वेबसाइट से फॉर्म 1a फिल करते हैं और संबंधित फीस जमा करके डिजिटल सिग्नेचर से इसे वेरीफाई करते हैं।
जब यह प्रक्रिया पूरी होती है तो आपको एमओए (MOA), यानी मेमोरेंडम आफ एसोसिएशन और एओए (AOA) रजिस्ट्रेशन के लिए अप्लाई करना पड़ता है और इस हेतु आपको सर्विस रिक्वेस्ट नंबर से फॉर्म एक सबमिट करना पड़ता है। इसमें फिर आप एनेक्सचर सबमिट करते हैं, जिसमें सभी तरह की जानकारी होती है।
इसके बाद जो स्टेप आता है वह पावर ऑफ अटार्नी सबमिट करने का स्टेप आता है और तत्पश्चात फॉर्म नंबर 18 में कंपनी का रजिस्टर्ड ऑफिस क्या होगा, उसका डिक्लेरेशन देना पड़ता है। इसमें कंपनी के डायरेक्टर, उसके सेक्रेटरी या मैनेजिंग डायरेक्टर का सिग्नेचर होता है और साथ ही संबंधित जानकारी इसमें दी गई होती है।
पहले के समय में यूं प्राइवेट लिमिटेड कंपनी को रजिस्टर कराने से लोग बचते थे, क्योंकि इसकी डिजाल्व होने की प्रक्रिया काफी टफ थी, लेकिन अब यह बेहद आसान हो गई है। अतः अगर आप एक ऑफिशियल कंपनी चलाना चाहते हैं तो इसे एक विकल्प के तौर पर इस्तेमाल कर सकते हैं। हालांकि इसकी लिमिटेशंस यह है कि पब्लिक को आप कोई शेयर नहीं जारी कर सकते, बल्कि इस कंपनी में शेयरधारकों की संख्या 50 से अधिक नहीं हो सकती है। इससे अधिक के शेयर होल्डर्स अगर आप रखना चाहते हैं तो मिनिस्ट्री ऑफ कॉरपोरेट अफेयर्स द्वारा लिमिटेड कंपनी की तरफ जा सकते हैं।