ग्रेटर नोएडा। ‘उगता भारत’ समाचार पत्र के वैचारिक पिता और प्रेरणा स्रोत महाशय राजेंद्र सिंह आर्य को उनकी 29 वीं पुण्यतिथि के अवसर पर समस्त ‘उगता भारत’ परिवार की ओर से विनम्र श्रद्धांजलि अर्पित की गई । इस अवसर पर स्वर्गीय श्री आर्य के के सम्मान में कहा गया कि पिता ईश्वर की प्रेरक शक्ति का नाम है । पिता उस अदृश्य सत्ता परमपिता परमेश्वर का एक साक्षात स्वरूप है जो संसार में एक देवदूत बनकर हमारे निर्माण के लिए आता है और जब हम सक्षम व समर्थ हो जाते हैं तो ईश्वर की व्यवस्था में हमें सौंपकर स्वयं कहीं फिर किसी दूसरे निर्माण के लिए अनंत में विलीन हो जाता है , पिता उस पावन परंपरा का नाम है जो हर जन्म और हर काल में हमें निर्माण व सृजन के लिए मिलती है और जिसके सहारे हम जीवन में सदा ही आगे बढ़ने का साहस करते हैं ।
पिता हमारी अदृश्य चेतना है। पिता हमारे हृदय में बसी हुई आत्मशक्ति है , प्रेरणा शक्ति है । उद्बोधन की शक्ति है , जो हमें प्रत्येक प्रकार की निराशा ,उदासी और हताशा की स्थिति से उबारने का संदेश देती है।
पिता की सत्ता का बोध वही कर सकता है जो पिता के मूल्य को समझता है और उसके अभाव में रोना जानता है।
पूज्य पिताश्री स्वर्गीय महाशय राजेंद्र सिंह आर्य जी को आज कहने के लिए तो हमसे बिछड़े हुए 29 वर्ष हो चुके हैं , परंतु सच यह है कि 29 वर्ष के इस काल में ऐसी दूरी का आभास कभी नहीं हुआ कि वह हमसे दूर हो गए हैं । जीवन के हर मोड़ पर , हर गतिविधि में , हर कार्य में और हर क्षेत्र में उनकी याद ने हमारा मार्गदर्शन किया है। उनके आदर्शों और सिद्धांतों ने हमें सदा संभलने और कुछ बेहतर करने की प्रेरणा दी है।
इतिहास के प्रति उनके असीम अनुराग और समर्पण के भाव ने हमें वैदिक इतिहास और आर्यावर्तकालीन भारत के गौरव को उद्घाटित और प्रस्तुत करने की शक्ति प्रदान की है । उनकी वेदभक्ति ने हमें ईश्वरीय व्यवस्था के प्रति समर्पित रहने के लिए प्रेरित किया है, जबकि उनकी देशभक्ति ने हमें राष्ट्र और राष्ट्रीय मूल्यों को सिंचित करने का महत्वपूर्ण संदेश दिया है।
उनकी अनुपम भ्रातृभक्ति ने हमें भाइयों के प्रति असीम प्रेम और श्रद्धाभाव रखने के लिए प्रेरित किया है तो उनकी परिवार के प्रति निर्माण की भावना ने हमें उत्कृष्ट जीवन मूल्य को धारित करने की अनुपम और गौरवमयी परंपरा प्रदान की हैं ।
‘भारतवर्ष का सच्चा इतिहास’ उन्हें कंठस्थ था। जिसके सामने वह किसी भी ऐसे छद्म इतिहासकार के इतिहास वर्णन को अस्वीकार्य मानते थे जो भारत के गौरव को धुंधलाकर प्रस्तुत करने की हिमाकत करता हो । अपने आर्यावर्तकालीन भारत के प्रति ऐसे उत्कृष्ट श्रद्धाभाव को उन्होंने हमें एक संस्कार के रूप में प्रदान किया , जिसके कारण आज हम उनके दिखाए गए मार्ग पर चलते हुए भारतीय इतिहास के शोध पर कुछ कर पाने में समर्थ हो पा रहे हैं । ऐसे पूज्य पिता , आदर्श देव और महामनीषी के पुत्र होने पर हमें गर्व है , जिन्हें अपने श्रद्धा सुमन अर्पित करते हुए उनकी उम्र तीसरी पुण्यतिथि के अवसर पर हम नम आंखों से अपनी श्रद्धांजलि अर्पित करते हैं।
हम ईश्वर से प्रार्थना करते हैं कि पूज्य पिताश्री जहां भी हों , वहीं संपन्न और प्रसन्न रहें और उन जैसा पिता हर जन्म में हमें प्राप्त हो।
श्रद्धांजलि देने वालों में समाचार पत्र के मुख्य संरक्षक प्रोफेसर विजेंद्र सिंह आर्य, चेयरमैन श्री देवेंद्र सिंह आर्य ,मुख्य संपादक डॉ राकेश कुमार आर्य , सह संपादक श्रीनिवास आर्य , अमृत आर्य, सौरभ आर्य वरुण आर्य, अनिल भाटी , आशीष आर्य, अमन आर्य आदि उपस्थित थे।
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