हिन्दुत्व के विनाश के लिए हथियार बनता रिजर्व बैंक
सी.टी धर
मुंबई। रूपये के अवमूल्यन को कम करने के सभी प्रयास के विफल होने के बाद, नीति निर्माताओं ने अब तिरूपति से लेकर शिरडी तक के मंदिरों के दरवाजे खटखटाने की योजना बनाई है, जिसमें स्वर्ण का आयात किये बिना भारतीयों की प्रिय वस्तु को पूरा करने का वरदान बनाना चाहा गया है।
इस मामले के जानकार दो बैंकरों ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक, जो स्वर्ण आयात को कतिपय प्रतिबंधों के जरिए अधिक कठिन बनाता आ रहा है। बैंकों के साथ इस बात पर विचार विमर्श कर रहा है कि मंदिर न्यासों को कैसे अपने सुस्त आभूषणों के कोष को जमा करने हेतु विश्वास दिलाया जाए, सिे बुलियन में बदला जा सके।
उन्होंने मामले की संवेदनशील प्रकृति के कारण अपनी पहचान बताने से इकार कर दिया। सवर्ण और कीमती धातुओं के विशाल खजाने के साथ आंध्र प्रदेश में तिरूपति मंदिर, महाराष्टï्र में शिरडी साई मंदिर बाबा मुंबई में सिद्घिविनायक मंदिर और तिरूवनंतपुरम में पदमनाभास्वामी मंदिर भारत के सर्वोच्च धनी मंदिरों में हैं।
वस्तुत: कई मंदिरों की छत जैसे कि चिदंबरम तमिलनाडु में नटराज मंदिर और तिरूपति मंदिर स्वर्ण से ढके हैं। बैंकर ने कहा कि भारतीय रिजर्व बैंक ने इन मंदिर न्यायों का खाता हैंडलिंग करने वाले बैंकों से कहा है कि वे उन्हें अपनी विशाल स्वर्ण भंडारों को नकदी में बदलने हेतु विश्वास दिलाएं।
किसी सौदे की कोई निश्चिंतता नही लेकिन इन न्यासों की विपरीत प्रकृति और संलग्न स्थानीय राजनीति को देखते हुए मंदिर न्यायों के साथ किसी सौदे की कोई निश्चिंतता नही है। ऊपर उल्लिखित एक बैंकर ने कहा विचार यह है कि नामित बैंक मंदिर न्यास से स्वर्ण खरीदे और तब आभूषणों को बुलियन में बदला जाएगा। इन्हें रूपये को बेचकर भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा खरीदा जाएगा। टिप्पणी चाहने वाले एक ईमेल का भारतीय रिजर्व बैंक ने कोई उत्तर नही दिया है।
पिछले वर्ष 53.6 बिलि यन अमेरिकी डॉलर मूल्य के स्वर्ण आयात को रूपये के अवमूल्यन का कारण माना जाता है, जो वित्त वर्ष 2013 में चालू लेखा घाटे का 61 प्रतिशत है। यद्यपि कि सरकार और भारतीय रिजर्ब बैंक ने स्वीकार किया है कि उच्च मुद्रास्फीति ने निदेशकों को स्वर्ण खरीदने के लिए उकसाया दोनों अब बिलंब से ही सही इस कीमती धातु के आयात के हतोत्साहित करने की कोशिश कर रहे हैं। रूपये ने इस वर्ष एक चौथाई तक अपना मूल्य खो दिया लेकिन अब ठीक हो गया है।
मेकलाई फाईनेन्सियल के मुख्य कार्यपालक जमाल मेकलाई ने कहा कि वित्तमंत्री और भारतीय रिजर्व बैंक के गर्वनर को संयुक्त रूप से शीघ्र ही तिरूमल तिरूपति देवस्थानम (टीटीडी) के न्यासियों से संपर्क करना चाहिए। इन न्यासियों में से तीन राज्य सरकार द्वारा नियुक्त किये गये हैं और वर्तमान राजनीतिक व्यवस्था को देखते हुए यह विशेष लाभकर है। उन्हें निश्चित रूप से प्रार्थना करना चाहिए। यह अतिरिक्त मुद्रा अर्जन के लिए अत्यधिक संपन्न न्यायों के लिए एक अवसर होगा।
तिरूपति लगभग एक हजार टन के स्वर्ण भंडार, जो इस वर्ष भारत के अनुमानित आयात का लगभग दोगुना है, के साथ विश्व के संपन्न मंदिरों में से एक है। देश में 18,000-3,0000 टन के स्वर्ण भंडार का अनुमान लगाया गया है। तथापि कम से कम अभी मंदिर न्यास ऐसी योजना के प्रति इच्छुक प्रतीत नही होते हैं।
ऐसा करने की कोई योजना नही है। भारतीय रिजर्व बैंक के साथ इस बारे में कोई विचार विमर्श नही हुआ है। टीटीडी के एक प्रवक्ता ने कहा कुछ बैंक स्वर्ण जमा योजना चलाते हैं, जहां व्यक्ति 3-7 वर्ष के िलए इस पीली धातु को जमा करते हैं।