लैटिन भाषा में एक कहावत है- वर्बा वोलांट, स्क्रिप्टा मानेंट. माने- कहे हुए शब्द ख़त्म हो जाते हैं, मगर लिखे हुए शब्द हमेशा के लिए रह जाते है। ये कहावत करीब दो हज़ार साल पुरानी है। तब आवाज़ रेकॉर्ड करने की टेक्नॉलजी नहीं थी। इसीलिए इंसान के मरने के बाद भी उसकी रिकॉर्डिंग ज़िंदा रह जाती है। आज आपको ऐसी ही कुछ रिकॉर्डिंग्स के बारे में बताएंगे जब एक अमेरिकी राष्ट्रपति के दिमाग और ज़ुबान से भारत के लिए निकली गंदगी।
इस अमेरिकी राष्ट्रपति को पाकिस्तान की तानाशाही हुकूमत से हमदर्दी थी।पाकिस्तान के हाथों हो रहा भीषण नरसंहार उसके लिए कोई मुद्दा नहीं था। उसके लिए मुद्दा था भारतीय महिलाओं का रूप-रंग। उसे भारतीय महिलाएं दुनिया में सबसे ज़्यादा कुरूप लगती थीं। वो कहता था कि भारतीय महिलाओं को देखकर वो ‘टर्न ऑफ’ हो जाता है। हैरान होता है कि भारतीय महिलाएं बच्चे कैसे पैदा कर लेती हैं। उसका कहना था कि अफ्रीका के लोगों में फिर भी जानवरों वाला चार्म होता है। मगर हिंदुस्तानी, वो तो बिल्कुल बेकार और बर्बाद होते हैं।
ये वही नस्लीय सोच वाला अमेरिकी राष्ट्रपति है, जिसने हमारी प्रधानमंत्री को ‘चुड़ैल’ कहा था। इस पूर्व राष्ट्रपति की भारत से जुड़ी अपमानजनक टिप्पणियां पहले भी कई बार उजागर हो चुकी हैं। जिन पर अमेरिका को काफी शर्मिंदा होना पड़ा था। अब एक बार फिर अमेरिका को अपने इस पूर्व राष्ट्रपति की भारत पर की गई नस्लीय टिप्पणियों से शर्मसार होना पड़ रहा है।
ये किस राष्ट्रपति की बात कर रहे हैं हम?
बात 49 साल पुरानी है। तारीख़ – 25 मार्च, 1971।स्थान यूनिवर्सिटी ऑफ ढाका, जहां दो हॉस्टल हैं- इक़बाल हॉल और जगन्नाथ हॉल। इकबाल हॉल में मुस्लिम छात्र रहते थे। जगन्नाथ हॉल में हिन्दू छात्र। रात के साढ़े 11 बजे चार M-47 टैंक इन दोनों हॉस्टल्स के सामने रुके। पाकिस्तानी फ़ौज की एक टुकड़ी ये टैंक लेकर वहां पहुंची थी। बिना किसी चेतावनी के इन चारों टैंकों ने छात्रावासों पर बम दागने शुरू किए। करीब पांच मिनट बाद पाकिस्तानी सैनिक हॉस्टल में घुसे और अंधाधुंध गोलियां चलाईं और ज़िंदा बचे छात्रों को हॉस्टल के बाहर दीवार की सीध में खड़ा करके तोप से भून दिया गया। 15-20 मिनट के भीतर करीब 200 छात्रों की हत्या कर दी गई।
ये रात पूर्वी पाकिस्तान, वर्तमान बांग्लादेश, के इतिहास में काली रात कहलाती है। इसी रात के बाद पाकिस्तान के पूर्वी और पश्चिमी हिस्से के बीच गृह युद्ध शुरू हुआ। नौ महीने तक चले इस सिविल वॉर का अंत किया भारत ने। दिसंबर 1971 में भारत को इस युद्ध में शामिल होना पड़ा। हमने पाकिस्तानी सेना को हराया और इसके बाद जाकर गठन हुआ।
याहिया खान
पूर्वी पाकिस्तान नरसंहार का दोषी कौन?
बांग्लादेश के गठन की कहानी एक भीषण नरसंहार पर लिखी गई है। इस नरसंहार में पूर्वी पाकिस्तान नरसंहार, जिसमें करीब पांच लाख लोग मारे गए। कई अनुमान मृतकों की संख्या 30 लाख तक बताते हैं। मगर इस जेनोसाइड के लिए अकेले पाकिस्तान दोषी नहीं था। इसमें पाकिस्तान के हाथ मज़बूत करने वाले, उसे नरसंहार के औज़ार देने वाले, उसके लिए इंटरनैशनल सपोर्ट जुटाने वाले उसके दो सबसे बड़े मददगार थे- निक्सन और किसिंगर।
अमेरिका के 37वें राष्ट्रपति थे रिचर्ड निक्सन। 1969 से 1974 तक वह इस पद पर रहे। निक्सन के विदेश मंत्री और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार थे हेनरी किसिंगर। इन दोनों के कार्यकाल का सबसे बड़ा धब्बा है 1971 का पूर्वी पाकिस्तान नरसंहार। इन दोनों को भारत से नफ़रत थी। वो भारत और सोवियत की नज़दीकी से बिफ़रे हुए थे। उन्हें ये बर्दाश्त नहीं था कि भारत सरकार अमेरिका के खिलाफ़ जाकर पूर्वी पाकिस्तान द्वारा किए जा रहे नरसंहार पर स्टैंड ले। अपनी इस नफ़रत के कारण वो न केवल पाकिस्तान के तानाशाह याह्या ख़ान की मदद करते रहे, बल्कि पाकिस्तानी सेना जब आज के बांग्लादेश में नरसंहार कर रही थी, तब ये ही दोनों उस जेनोसाइड की कामयाबी पर खुश भी थे।
निक्सन और किसिंगर की पूर्वी पाकिस्तान पॉलिसी क्यूरिस केस है
दरअसल, निक्सन प्रशासन का एक बड़ा हिस्सा अपनी सरकार की पूर्वी पाकिस्तान पॉलिसी से असहमत था। उन दिनों भारत में अमेरिका के राजदूत थे किनिथ कीटिंग। वो निक्सन और किसिंगर से बार-बार कह रहे थे कि पाकिस्तान अपने पूर्वी हिस्से में नरसंहार कर रहा है। इसीलिए अमेरिका को उसकी मदद रोक देनी चाहिए। पता है, कीटिंग के इस स्टैंड पर निक्सन ने उनके पीठ पीछे किसिंगर से क्या कहा था? निक्सन ने कहा था-
70 साल के कीटिंग को बस में कर सके, क्या ये कला हिन्दुस्तानियों के पास है?
इसके जवाब में किसिंगर ने कहा था-
मिस्टर प्रेज़िडेंट, हिन्दुस्तान के लोग चापलूसी में महारथी होते हैं। चाटुकारिता में उनका कोई जोड़ नहीं। ऐसे ही ख़ुशामद कर-करके तो वो 600 सालों से सर्वाइव कर रहे हैं। बड़े ओहदों पर बैठे लोगों की चापलूसी में बहुत पारंगत होते हैं भारतीय।
निक्सन और किसिंगर ने इतने बरस पहले वाइट हाउस में क्या बातचीत की?
अमेरिका में डिक्लासिफ़िकेशन की एक रवायत है। यहां एक तय समय के बाद पुरानी सरकारों से जुड़े कई दस्तावेज़ सार्वजनिक किए जाते हैं। कई बार सूचना के अधिकार के तहत आए आवेदनों पर भी पुराने रेकॉर्ड्स सार्वजनिक होते हैं। इसी प्रक्रिया के तहत निक्सन अडमिनिस्ट्रेशन से जुड़े कई रेकॉर्ड्स भी पब्लिक हुए। इनमें दस्तावेज़ भी हैं और ऑडियो रिकॉर्डिंग्स भी। ये ही रिकॉर्डिंग्स हमें निक्सन और किसिंगर द्वारा भारत को लेकर कही गई अपमानजनक टिप्पणियों का ब्योरा देती हैं।
निक्सन से जुड़े रेकॉर्ड कई चरणों में सार्वजनिक हो रहे हैं। मई 2020 में भी इन दस्तावेज़ों की एक खेप आई।वाइट हाउस ने अपनी वेबसाइट पर निक्सन की कई रिकॉर्डिंग्स को पब्लिक किया। मगर काफी दिनों तक इस पर किसी की नज़र नहीं गई। फिर 3 सितंबर को गैरी बेस ने न्यू यॉर्क टाइम्स में इस पर एक लेख लिखा। गैरी बेस इंटरनैशनल अफेयर्स में प्रोफेसर हैं। निक्सन, किसिंगर और 1971 के युद्ध पर उन्होंने काफी काम किया है। इस विषय पर 2013 में ‘दी ब्लड टेलिग्राम’ नाम की उनकी क़िताब भी आई थी।
निक्सन की कुछ ओछी टिप्पणियां
NYT में छपे गैरी बेस के लेख के बाद से ही निक्सन की इन नई रिकॉर्डिंग्स पर ख़बरें होने लगीं। इनमें भारत और भारतीय महिलाओं पर की उनकी कई ओछी टिप्पणियां भी शामिल हैं। ये टिप्पणियां 1971 में पूर्वी पाकिस्तान के भीतर हो रहे नरसंहार के दौरान की गयीं थीं। देखिए उन ओछी टिप्पणियों को:-
1. हिन्दुस्तानी औरतें दुनिया में सबसे बदसूरत होती हैं। इस बात में कोई शक़ नहीं।
2. ये हिन्दुस्तानी लोग सबसे ज़्यादा सेक्सलेस इंसान हैं। लोग ब्लैक अफ्रीकन्स को लेकर बोलते हैं। मैं कहता हूं कि उनमें तो फिर भी जानवरों वाला थोड़ा सा चार्म होता है, मगर ईश्वर, वो भारतीय, छी। वो तो बिल्कुल बेकार होते हैं।
3. हिन्दुस्तानियों को देखकर मेरा मज़ा किरकिरा हो जाता है। मैं टर्न ऑफ़ हो जाता हूं। हेनरी, बताओ तो ज़रा। इनको देखकर कोई टर्न ऑन कैसे होता होगा?
4. हिन्दुस्तानियों को देखकर घृणा होती है। उन पर सख़्त होना आसान है।
5. मुझे नहीं पता कि हिन्दुस्तानी बच्चे कैसे पैदा करते हैं?
निक्सन के बयान पर पहले भी कई बार हंगामा हो चुका है
इससे पहले साल 2000 और 2005 में भी अमेरिकी स्टेट डिपार्टमेंट ने निक्सन से जुड़े कुछ दस्तावेज़ पब्लिक किए थे। इनमें सामने आया कि निक्सन चाहते थे भारत में भुखमरी और अकाल आ जाए। इन डॉक्यूमेंट्स में 5 नवंबर, 1971 को निक्सन और किसिंगर के बीच हुई एक बातचीत पर ख़ूब हंगामा हुआ था। उस समय भारत में कांग्रेस की सरकार थी। पार्टी की मुखिया सोनिया गांधी ने निक्सन और किसिंगर की इंदिरा पर की गई फब्तियों की काफी निंदा की थी। ये मामला इंटरनैशनल मीडिया में भी काफी रिपोर्ट हुआ था। इससे शर्मिंदा हेनरी किसिंगर ने तब इंदिरा पर की गई अपमानजनक टिप्पणियों के लिए माफ़ी भी मांगी थी। किसिंगर ने सफ़ाई देते हुए कहा था कि वो कोल्ड वॉर के दौर की बात है। तब तनाव और गुस्से में ग़लत बातें निकल गईं।
निक्सन और किसिंगर की इंदिरा पर कही जो बात सबसे ज़्यादा रिपोर्ट हुई, वो तब की है जब नवंबर 1971 में इन दोनों ने भारतीय प्रधानमंत्री से मुलाकात की थी। मीटिंग के बाद इंदिरा के बारे में गॉसिप करते हुए निक्सन ने किसिंगर से कहा था-
देखिए इंदिरा गांधी और अमेरिका के राष्ट्रपति के बीच क्या बात हुई थी. – YouTubeहमने तो उस बूढ़ी चुड़ैल के ऊपर थूक ही दिया।
इसके जवाब में किसिंगर बोले- भारत के लोग वैसे भी बास्टर्ड होते हैं।
निक्सन और इंदिरा की ये मीटिंग क्यों हुई थी?
ये मीटिंग नवंबर 1971 में उस वक़्त हुई थी, जब इंदिरा गांधी अमेरिका के दौरे पर गई थीं। उनका मकसद था अमेरिका को ये बताना कि पूर्वी पाकिस्तान में कितना बड़ा नरसंहार हो रहा है। इस नरसंहार के कारण भारत में भी बड़ा मानवीय संकट पैदा हो गया। भारत के उत्तर पूर्वी इलाकों में पूर्वी पाकिस्तान से भागकर आ रहे शरणार्थियों की बाढ़ आ गई थी। एक करोड़ से ज़्यादा संख्या में आए ये शरणार्थी भारत के लिए मानवीय आपदा थे। भारत बार-बार इस संकट की तरफ दुनिया का ध्यान खींचने की कोशिश कर रहा था। मगर सोवियत के सिवाय किसी ने भारत की अपील नहीं सुनी। ऐसे में इंदिरा गांधी नवंबर 1971 में निक्सन से आमने-सामने की बातचीत के लिए अमेरिका पहुंचीं। इंदिरा ने कहा कि पूर्वी पाकिस्तान में हो रहे घटनाक्रम के कारण भारत में जो संकट पैदा हो हुआ है, उसे देखते हुए अब और चुप बैठना नई दिल्ली के लिए मुमकिन नहीं है।
मगर इंदिरा की अपील पर निक्सन ने कोई गंभीरता नहीं दिखाई
उल्टा पीठ पीछे उन्हें ‘बिच’ और ‘चुड़ैल’ कहा। भारत इसके बाद भी संयम दिखाता रहा। वो तो जब 3 दिसंबर, 1971 को पाकिस्तान ने भारत पर हवाई बमबारी शुरू की, तब भारत आधिकारिक तौर पर इस युद्ध में शामिल हुआ। इस हमले की ख़बर मिलते ही निक्सन ने किसिंगर को फोन मिलाया। इस टेलिफ़ोनिक बातचीत में निक्सन ने कहा-
हमने उस बिच (प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी के संदर्भ में) को चेतावनी दी थी। उनसे कहो कि पश्चिमी पाकिस्तान के हमले पर भारत द्वारा शिकायत करना ऐसा ही है, जैसे रूस ये दावा करे कि फिनलैंड ने उस पर हमला कर दिया।
भारत और पाकिस्तान के बीच 3 दिसंबर, 1971 को शुरू हुआ ये युद्ध 14 दिन तक चला। इस दौरान शुरुआती एक हफ़्ते में ही पाकिस्तान की हालत ख़राब होने लगी। किसी भी क़ीमत पर इस्लामाबाद की मदद को आमादा निक्सन और किसिंगर, पाकिस्तान के लिए इंटरनैशनल सपोर्ट जुटाते रहे। दोनों ने चीन से भी भारत पर दबाव बनाने को कहा। मगर सोवियत के प्रेशर में चीन इस मामले से पीछे रहा। बाद के सालों में जारी इस बातचीत के ब्योरे के मुताबिक, निक्सन ने तब किसिंगर से कहा था-
वो बदनाम अमेरिकी राष्ट्रपति, जिसने भारतीय प्रधानमंत्री को गाली दी थी – Richard Nixon called Indian prime minister Indira Gandhi a bitch in 1971ये हिंदुस्तानी तो कायर होते हैं न?
इसके जवाब में किसिंगर बोले थे-
हां, कायर तो होते हैं। मगर उनकी पीठ पर रूस है। रूस ने ईरान और तुर्की समेत कई देशों को धमकी दी है। कहा है कि अगर वो पाकिस्तान की मदद करते हैं, तो बहुत बुरा होगा। रूसियों ने सारा खेल ख़राब कर दिया है।
क्या सच में सोवियत ने ही पाकिस्तान को जिताने का अमेरिकी खेल बिगाड़ दिया था?
जवाब है, हां। अमेरिका की तमाम कोशिशों के बावजूद पाकिस्तान युद्ध में पिछड़ रहा था। ऐसे में निक्सन प्रशासन ने अमेरिकी नौसेना की 7वीं फ्लीट को बंगाल की खाड़ी के लिए रवाना किया। ये उस समय दुनिया का सबसे बड़ा वॉरशिप था। साथ ही, ब्रिटिश नौसेना ने भी अपने एयरक्राफ्ट ईगल को भारतीय समुद्री सीमा के नज़दीक रवाना कर दिया। ये दोनों फ्लीट्स न्यूक्लियर पावर्ड थे।
ख़ुद को सबसे महान बताने वाले दो देश मिलकर दुनिया के सबसे बड़े लोकतांत्रिक देश को न्यूक्लियर हमले की धमकी दे रहे थे। वो भी किसके लिए? लाखों लोगों की जान लेने वाले पाकिस्तान को जिताने के लिए।अमेरिका और ब्रिटेन की प्लानिंग भारत पर दोतरफ़ा हमला करने की थी। ऐसे में भारत की मदद के लिए फिर आगे आया सोवियत। उसने अपनी एक न्यूक्लियर नौसैनिक फ्लीट भारत की मदद के लिए रवाना की। सोवियत ने साफ कर दिया कि अगर ये दोनों भारत पर हमला करेंगे, तो सोवियत उसका जवाब देगा।
भारत का फाइनेस्ट मिलिटरी मोमेंट
सोवियत से मिली इस मदद के कारण 16 दिसंबर, 1971 को भारत ने पाकिस्तान को हरा दिया। इतिहास इस जीत को भारत का फाइनेस्ट मिलिटरी मोमेंट मानता है। यही इतिहास निक्सन और किसिंगर की पूर्वी पाकिस्तान पॉलिसी को अमेरिका का नैतिक और सामरिक पतन भी मानता है। इतिहासकार कहते हैं कि निक्सन और किसिंगर ने अपनी कुंठा को अपनी विदेश नीति पर हावी होने दिया। भारत के प्रति अपनी नस्लीय नफ़रत के कारण उन्होंने एक नरसंहार को समर्थन दिया। ये चैप्टर न केवल निक्सन प्रशासन, बल्कि अमेरिकी इतिहास के सबसे शर्मनाक एपिसोड्स में गिनी जाती है।
निक्सन से जुड़े कई दस्तावेज़, कई रिकॉर्डिंग्स अभी पब्लिक होनी बाकी है। कई पब्लिक हुई रिकॉर्डिंग्स ऐसी हैं, जहां कई हिस्सों को बीप करके जारी किया गया है। अमेरिका के कई लोग इन रिकॉर्डिंग्स को समूचा जारी करने की मांग कर रहे हैं। इसके लिए वो सूचना के अधिकार जैसे संवैधानिक राइट्स का इस्तेमाल कर रहे हैं।कितनी अद्भुत बात है कि हम अमेरिकी सिस्टम की ही बदौलत उनकी सरकार के सबसे घृणित कारनामों के बारे में जान पाए हैं।
इंडिया फर्स्ट से साभार