नीम का पेड़ जितना कड़वा, उतना ही स्वास्थ्य के लिए लाभदायक
प्रस्तुति – श्रीनिवास आर्य
नीम के फायदे इतने अधिक हैं कि इसे धरती का कल्प वृक्ष भी कहा जाता है। एक आम कहावत है कि रात में पेड़ के नीचे सोना रोगों को आमंत्रण देना है, परन्तु यह बात नीम पर लागू नहीं होती। रात में जहाँ सभी पेड़ मनुष्यों के लिए नुकसानदेह कार्बन डाईआक्साइड गैस बाहर छोड़ते हैं, वहीं नीम रात-दिन चौबीसो घंटे मनुष्य जीवन के लिए आवश्यक आक्सीजन गैस बाहर छोड़ता है। वैद्यक ग्रन्थों में वसन्त ऋतु विशेषत चैत्र मास में नीम के कोमल पत्तों के सेवन की विशेष प्रंशसा की गई है। इससे खून साफ होता है तथा पूरे साल बुखार, चेचक आदि भयंकर रोग नहीं होते हैं।
1. नीम बालों के लिए बहुत ही लाभकारी है। बाल झडऩे से लेकर असमय पकने तक जैसी बालों की समस्याओं में इसका प्रयोग किया जा सकता है। नीम के पत्ते तथा बेर के पत्ते समान मात्रा में लेकर दोनों को अच्छी तरह पीस लें। इसका उबटन या लेप सिर पर लगाकर 1-2 घंटे बाद धो डालें। इससे बाल काले, लंबे और घने होते हैं। नीम के पत्तों को पानी में अच्छी तरह उबालकर ठंडा हो जाने पर इसी पानी से सिर को धोते रहने से बाल मजबूत होते हैं, बालों का गिरना या झडऩा रुक जाता है। इसके अतिरिक्त सिर के कई रोगों में लाभ होता है। इससे सिर हुई जुएं तथा लीखें भी मर जाती हैं।
2. जिस आँख में दर्द हो, उसके दूसरी ओर के कान में नीम के कोमल पत्तों का रस गुनगुना कर 2-2 बूँद टपकाएं। दोनों आँखो में दर्द हो तो दोनों कान में टपकाएं। दर्द समाप्त हो जाएगा। यदि आँखों के ऊपर सूजन के साथ ही दर्द हो और अन्दर खुजली होती हो तो नीम के पत्ते तथा सोंठ को पीसकर थोड़ा सैंधा नमक मिलाकर हल्का गर्म कर लें। एक कपड़े की पट्टी पर इसे रखकर आँखों पर बाँधें। 2-3 दिन में आँखो का यह रोग दूर हो जाता है। इस समय ठंडे पानी एवं ठंढ़ी हवा से आँखो को बचाना चाहिए। अच्छा होगा कि यह प्रयोग रात को करें।
3. बैंगन या किसी और सब्जी के साथ नीम के 8-10 पत्तों को छौंक कर खाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं। नीम के पत्तों का रस निकालकर 5 मिली मात्रा में पिलाने से पेट के कीड़े मर जाते है।
4. नीम के पत्तों की 500 मिग्रा राख को कुछ दिनों तक लगातार जल के साथ दिन में 3 बार खाने से पथरी टूटकर निकल जाती है। दो ग्राम नीम के पत्तों को 50 से 100 मिली तक पानी में पीस-छानकर डेढ़ मास तक सुबह, दोपहर तथा शाम पिलाते रहने से पथरी टूटकर निकल जाती है।
5. नीम की सात लाल कोमल पत्तियां और सात दाने काली मिर्च को मिलाकर एक महीने तक नियमपूर्वक खाने से एक साल तक चेचक निकलने का डर नहीं रहता। तीन ग्राम नीम की कोंपलों को 15 दिन तक लगातार खाने से छह मास तक चेचक नहीं निकलती। अगर निकलती भी है तो आँखें खराब नहीं होती।
जब चेचक ठीक हो जाये तो नीम के पत्तों के काढ़े से नहाना चाहिए। जब चेचक के दानों के खुंड सूखकर उतर जाते हैं तो उनकी जगह पर छोटे-छोटे गड्ढे दिखाई देते हैं और आकृति बिगड़ जाती है, उन स्थानों पर नीम का तेल अथवा नीम के बीजों की मगज को पानी में घिसकर लगाया जाय तो दाग मिट जाते हैं। चेचक के रोगी के अगर बाल झड़ जाये तो सिर में कुछ दिनों तक नीम का तेल लगाने से बाल फिर से जम जाते हैं।
9. त्वचा रोगों को दूर करने के लिए संसार में नाम के जैसी कोई दूसरी औषधि नहीं है। नीम की जड़ की ताजी छाल और नीम के बीज की गिरी 10-10 ग्राम दोनों को अलग-अलग नीम के ताजे पत्ते के रस में पीसकर अच्छी तरह मिला लें। मिलाते समय ऊपर से पत्तों का रस डालते जायें, जब मिलकर उबटन की तरह हो जाये, तब प्रयोग में लायें, यह उबटन खुजली, दाद, वर्षा तथा गरमी में होने वाली फुन्सियां, शीतपित्त तथा शारीरिक दुर्गन्ध आदि त्वचा के सभी रोगों को दूर करता है।
कुष्ठ रोगी को बारह महीने नीम के पेड़ के नीचे रहना चाहिए। नीम की लकड़ी की दातुन करनी चाहिए। बिस्तर पर नीम की ताजी पत्तियाँ बिछानी चाहिए। नीम की पत्तियों के काढ़े से नहाना चाहिए। नीम के तेल में नीम की पत्तियों की राख मिलाकर जहाँ पर भी सफेद दाग हो गया हो वहाँ पर रोज लगाना चाहिए। रोज सुबह 10 मिली नीम के पत्ते का रस पीना चाहिए। पूरे शरीर में नीम के पत्ते का रस व नीम के तेल की मालिश करनी चाहिए।
10. हमेशा बहते रहने वाले जख्म को नीम के पत्तों के काढ़े से अच्छी प्रकार धोकर नीम के छाल की राख को उसमें भर दें। 7-8 दिन में घाव पूरी तरह ठीक हो जाता है।
10 ग्राम नीम की गिरी तथा 20 ग्राम मोम को 100 ग्राम तेल में डालकर पकाएं। जब दोनों अच्छी तरह मिल जायें तो आग से उतार कर 10 ग्राम राल का चूर्ण मिलाकर अच्छी तरह हिलाकर रख लें। यह मलहम, आग से जले हुए और अन्य घावों के लिए लाभदायक है।
आग से जले हुए स्थान पर नीम के तेल को लगाने से जल्द लाभ होता है। इससे जलन भी शांत हो जाती है।
50 मिली नीम के तेल में 10 ग्राम कपूर मिला कर रख लें, इसमें रूई का फाहा डुबोकर घाव पर रखने से घाव सूख कर ठीक हो जाता है। इससे पहले घाव को फिटकरी मिले हुये नीम के पत्ते का काढ़े से साफ कर लें।
वर्षा ऋतु में बच्चों के फोड़े-फुंसियां निकल आती हैं ऐसी अवस्था में नीम की 6-10 पकी निबौली को 2-3 बार पानी के साथ सेवन करने से फुन्सियां खत्म हो जाती हैं।
11. नीम के जड़ का छाल खून साफ करने वाले पदार्थों में सर्वश्रेष्ठ है। इसका काढ़ा या ठंडा रस बनाकर 5-10 मिली की मात्रा में नित्य पीने से खून के विकार दूर होते हैं। 10 ग्राम नीम के पत्ते का काढ़ा बनाकर सेवन करने से खून की गरमी में लाभ होता है। 20 मिली नीम के पत्ते का रस और अडूसा के पत्ते का रस में मधु मिलाकर दिन में 2 बार सेवन करने से खून साफ होता है।
नीम के अन्य विशिष्ट उपयोग
1. सुबह उठते ही नीम की दातुन करने तथा फूलों के काढ़े से कुल्ला करने से दांत और मसूढे निरोग और मजबूत होते हैं।
2. दोपहर को इसकी शीतल छाया में आराम करने से शरीर स्वस्थ रहता है।
3. शाम को इसकी सूखी पत्तियों के धुएँ से मच्छर भाग जाते हैं।
4. इसकी मुलायम कोंपलो को चबाने से हाजमा ठीक रहता है।
5. सूखी पत्तियों को अनाज में रखने से उनमें कीड़े नहीं पड़ते।
6. नीम की पत्तियों को पानी में उबाल कर स्नान करने से अनेक रोगों से छुटकारा मिल जाती है। सिर-स्नान से बालों के जुएं मर जाते हैं।
7. नीम की जड़ को पानी में घिसकर लगाने से कील मुंहासे मिट जाते हैं और चेहरा सुन्दर हो जाता है।
8. नीम के तेल में डुबोकर तैयार पोटली को योनि में रखने से गर्भ नहीं ठहरता, अत: यह परिवार नियोजन का अच्छा साधन है।
9. नीम के पत्तों का रस खून साफ करता है और खून बढ़ाता भी है। इसे 5 से 10 मिली की मात्रा में नित्य सेवन करना चाहिए।
10. प्रतिदिन नीम के 21 पत्तों को भिगोई हुई मूंग की दाल के साथ पीसकर, बिना मसाला डाले, घी में पकौड़ी तल कर 21 दिन खाने से और खाने में केवल छाछ और अधिक भूख लगने पर भात खाने से बवासीर में लाभ हो जाता है। नमक बिल्कुल न खाएं (थोड़ा सेंधा नमक ले सकते हैं)।