सामाजिक व्यवस्था पर एक करारा व्यंग
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– _राजेश बैरागी-_
किसी भी कार्यालय का मुख्य प्रवेश द्वार स्वागत पटल से बाधित होता है। अच्छे खासे सूटेड-बूटेड आदमी से स्वागत पटल पर जैसी पूछताछ होती है वैसी शायद सीबीआई भी नहीं करती। स्वागत करने वाली बाला या बाल आपसे तनिक भी प्रभावित नहीं होते। उन्हें अंदर से संदेश है तो आपका स्वागत और नहीं तो आपकी वापसी तय है।आप जितना चाहें कि आपका स्वागत हो परंतु इसी कार्य के लिए नियुक्त बाला या बाल मजाल है कि अपने कर्तव्य का जरा भी पालन करें।कोरोना काल में स्वागत पटल और मजबूत हुए हैं। वहां अब स्वागत का आधा स भी नहीं बचा है।

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