पटना । भारत हिंदू महासभा की बिहार की राजधानी पटना में चली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में पार्टी के राष्ट्रीय कार्यालय मंत्री विपिन खुराना ने कहा कि 1947 के बाद से अखिल भारत हिंदू महासभा निरंतर मांग करती आई है कि देश में विघटनकारी तत्वों एवं शक्तियों को परास्त करने के लिए ऐसे कानून बनाए जाएं जिससे फिर 1947 के विभाजन वाले तांडव को हिंदू समाज को देखने का अवसर न मिल सके। इसके लिए आवश्यक है कि एक वर्ग द्वारा अपनी बढ़ाई जा रही जनसंख्या पर नियंत्रण करने के लिए केंद्र सरकार कठोर कानून लाए । जो लोग उस कानून का पालन करते हुए नहीं पाए जाएं उनके विरुद्ध कठोर कानूनी कार्यवाही की जाए और उनके कुछ नागरिक अधिकारों पर भी प्रतिबंध लगाया जाए । इसके लिए केंद्र सरकार जो भी निर्णय लेगी उसका अखिल भारत हिंदू महासभा समर्थन करे।
पार्टी के राष्ट्रीय महामंत्री एसडी विजयन में प्रस्ताव प्रस्तुत करते हुए कहा कि देश के संविधान के अंतर्गत जाति , धर्म और लिंग के आधार पर प्रत्येक प्रकार की असमानता को दूर करने का प्रयास किया गया है । इसके अतिरिक्त देश के नागरिकों को यह भी अधिकार दिया गया है कि उनके मध्य जाति , धर्म और लिंग के आधार पर कोई भेदभाव नहीं किया जाएगा , परंतु व्यावहारिक स्वरूप में आरक्षण को जिस प्रकार लागू किया गया है उससे जाति ,धर्म और लिंग के आधार पर ही नहीं बल्कि प्रांतीय और आंचलिक आधार पर भी भेदभाव करने की नीतियों को बढ़ावा मिला है । जिससे समाज में जातीय विद्वेष को प्रोत्साहन मिला है और लोगों में जातीय भेदभाव निरंतर बढ़ता ही जा रहा है । जिसको लेकर अखिल भारत हिंदू महासभा बहुत चिंतित है ।
महामंत्री ने कहा कि पार्टी प्रारंभ से ही आर्थिक आधार पर संरक्षण देते रहने की समर्थक रही है । जिससे समाज के वंचित, दलित, शोषित और उपेक्षित लोगों को साथ लेकर चलने का महाभियान प्रारंभ किया जाना आवश्यक है। इसके लिए वर्तमान आरक्षण की नीति पर पुनर्विचार करते हुए देश में ऐसी परिस्थितियां स्थापित की जाए जिससे दलित , शोषित ,उपेक्षित और वंचित लोगों को प्रगति और विकास की दिशा में आगे बढ़ाया जा सके । इसके लिए पार्टी केंद्र सरकार से मांग करती है कि वर्तमान आरक्षण नीति में आमूलचूल परिवर्तन कर सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने की दिशा में ठोस कार्य किया जाए। अखिल भारत हिंदू महासभा बिहार की नीतीश सरकार और केंद्र की मोदी सरकार से यह भी मांग करती है कि प्रांत की राजधानी पटना का नाम पाटलिपुत्र किया जाए ।
पार्टी का छठा राजनीतिक प्रस्ताव पेश करते हुए विधिक महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष इक्रांत शर्मा ने कहा कि समान नागरिक संहिता देश के लिए बहुत आवश्यक है । इसकी आवश्यकता और उपयोगिता को अनिवार्य समझते हुए ही हमारे संविधान निर्माताओं ने देश को आजाद कराने के उपरांत जब संविधान बनाया तो उसमें भी स्थान दिया । यह दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य है कि देश की कांग्रेसी सरकारों ने संविधान की सौगंध खाकर भी संविधान की मूल आत्मा का अपमान किया और कभी भी संविधान के इस प्रावधान को लागू करने की दिशा में ठोस कार्य नहीं किया । अब समय आ गया है कि केंद्र की मोदी सरकार समान नागरिक संहिता को बिना किसी विलंब के लागू कराने के लिए कार्यवाही करे ।
यह भी बहुत ही दुर्भाग्यपूर्ण तथ्य है कि देश में एक वर्ग अपने पर्सनल ला की बात करते हुए संविधान की आत्मा का अपमान निरंतर करता रहा है । उसकी ऐसी गतिविधियों पर प्रतिबंध लगाकर देश के भीतर समान नागरिक संहिता को देश की आवश्यकताओं के अनुरूप लागू किया जाना आवश्यक है । इसके लिए अखिल भारत हिंदू महासभा केंद्र की मोदी सरकार का समर्थन करेगी। हम यह भी चाहेंगे कि केंद्र की मोदी सरकार यथाशीघ्र हिंदू मैरिज एक्ट को निरस्त करें।