यदि प्रणब मुखर्जी देश के प्रधानमंत्री बन गए होते तो निश्चय ही आज देश में एक मजबूत विपक्ष होता: शांता कुमार
पालमपुर, जेएनएन। पूर्व राष्ट्रपति और भारत रत्न प्रणब मुखर्जी को सभी राजनीतिक दलों के नेता सम्मान देते थे । उनकी विद्वता और राजनीतिक बौद्धिक कौशल को सभी लोग सम्मान देते थे। यही कारण है कि उनके जाने के बाद सभी दलों के राजनीतिज्ञ उन्हें अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि देते हुए अनेकों संस्मरण भी सुना रहे हैं । हिमाचल के पूर्व मुख्यमंत्री रहे शांता कुमार अपने कई गुणों के कारण भारतीय राजनीतिज्ञ में विशिष्ट स्थान रखते हैं । उन्होंने भी पूर्व राष्ट्रपति के निधन पर शोक जताते हुए उनके व्यक्तित्व से जुड़ी हुई कुछ विशेष रोचक बातें कहीं हैं । शांता कुमार ने कहा भारतीय राजनीति के एक ऐसे दिग्गज महापुरुष चले गए हैं, जो दल की दीवारों से ऊपर उठकर राष्ट्र के मंदिर में भी रहते थे। पूर्व प्रधानमंत्री इन्दिरा गांधी और राजीव गांधी की हत्या के बाद प्रणब मुखर्जी को कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने की बात चली थी और वे प्रधानमंत्री भी बन सकते थे। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। यदि हो जाता तो भारत के लोकतंत्र को एक सशक्त विपक्ष मिल जाता और देश की सबसे पुरानी पार्टी आत्महत्या के कगार पर खड़ी न होती। यह अच्छी बात नहीं है कि भारत का लोकतंत्र विपक्ष विहीन होता जा रहा है। उनको इसीलिए राष्ट्रपति बनवाया गया था, ताकि गांधी परिवार को कोई चुनौती न रहे।
शांता कुमार ने विवेकानंद ट्रस्ट की तरफ से भी विषेश रूप से श्रंद्धाजलि अर्पित की है। विवेकानंद ट्रस्ट का निर्माण करते समय सबसे बड़ी समस्या यह आई, उस क्षेत्र में पानी की व्यवस्था बहुत कठिन थी। कुछ मित्रों ने सलाह दी की विवेकानंद ट्रस्ट और साथ के कुछ गांव को मिलाकर एक नई योजना बनाई जाए। उस समय प्रणब मुखर्जी योजना आयोग के अध्यक्ष थे। वे उन्हें मिलने गए और स्वामी विवेकानंद पर लिखी अपनी पुस्तक भेंट करके बताया कि स्वामी विवेकानंद मेरे जीवन के आदर्श हैं और उन्हीं के नाम पर यह ट्रस्ट सेवा का काम कर रहा है। उसी के लिए यह योजना बनाई जा रही है। उन्होंने तुरंत 2 करोड़ 50 लाख रुपये विशेष रूप से इस योजना के लिए स्वीकृत किए।
उधर चाैधरी सरवण कुमार हिमाचल प्रदेश कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति डाॅ. एचके चौधरी ने भी पूर्व राष्ट्रपति एवं भारत रत्न प्रणब मुखर्जी के निधन पर शोक व्यक्त किया है। डाॅ. चौधरी ने कहा दिवंगत प्रणब मुखर्जी एक अग्रणी राजनेता थे, जिन्होंने विभिन्न क्षमताओं में देश की सेवा की और अपनी बौद्धिक उत्कृष्टता के साथ अमिट छाप छोड़ी। कुलपति ने कहा कि विश्वविद्यालय इस महान व्यक्तित्व के गुणों को आत्मसात करने का प्रयास करेगा।
भारत के राष्ट्रपति बनने से पहले केंद्रीय वित्त मंत्री, केंद्रीय विदेश मंत्री तथा केंद्रीय रक्षा मंत्री के रूप में उनके कार्यकाल को देशवासियों की ओर से जनता की सेवा के लिए उनके विद्वान और दयालु दृष्टिकोण के लिए याद किया जाता है।