हिन्दुत्व की हुंकार भरते नरेन्द्र मोदी
भाजपा के भावी पी.एम. नरेन्द्र मोदी ने पटना के गांधी मैदान में खतरों के बावजूद जिस-शेर-दिली का परिचय देते हुए सफल रैल का आयोजन किया है उससे उनके विरोधी और विशेषत: नीतीश कुमार की बोलती भी बंद हो गयी है। भाजपा ने नीतीश कुमार पर जानबूझकर मोदी की सुरक्षा में ढील बरतने का आरोप लगाया है। कुछ भी हो इंडियन मुजाहिद्दीन तो अपने मकसद में सफल नही हुआ परंतु मोदी गांधी मैदान में अपने विरोधी को चुनौती देने में सफल अवश्य हो गये हैं। बिहार की परिपक्व जनता ने जो उपस्थिति मोदी की सभा में दर्ज कराई है उससे उनके हौसले बुलंद हुए हैं। अब चर्चा यह भी है कि मोदी नीतीश कुमार को उनकी मांद में घेर कर वहीं चित्त करने का मन बना चुके हैं, इसलिए वह पटना से भी लोकसभा चुनाव लड़ सकते हैं। मोदी ने नीतीश कुमार के लिए कहा है कि जो व्यक्ति जेपी को छोड़ सकता है, वह बीजेपी को क्यों नही छोड़ सकता?
राजनीति में संयोग पैदा हों कि पैदा किए जाएं, दोनों ही परिस्थितियों में राजनीति अनिवार्य रूप से मौजूद रहती है। इसलिए पटना की हुंकार रैली में हुए धमाकों के बाद सिर्फ सरकारी जांच-पड़ताल का सिलसिला नहीं शुरू हुआ, बल्कि राजनीतिक अटकलों और संभावनाओं का भी दौर शुरू हो गया है। धमाके भाजपा नेता नरेन्द्र मोदी की रैली स्थल के आसपास हुए, और किसी संयोग से बिल्कुल नहीं हुए। जो जांच पड़ताल अब तक हो रही है, उसमें बताया जा रहा है कि धमाके जान-बूझ कर करवाए गए। बदला लेने के लिए। धमाके कराने वाले के हवाले से मीडिया के सूत्र बता रहे हैं कि जिन्होंने इन विस्फोटों को अंजाम दिया, वे मुजफ्फरनगर का बदला लेना चाहते थे। उस मुजफ्फरनगर का, जहां अभी हिन्दू-मुस्लिम दंगे करवाकर कुछ लोग फारिग हुए हैं। दंगे खत्म हुए, लेकिन उसके बाद बयानवीर दंगाइयों ने मोर्चा संभाल लिया। नेता जमात अपनी-अपनी सुविधा के अनुसार अपनी-अपनी परिभाषा गढ़ने में लग गई। ऐन इसी वक्त इंदौर में बिना किसी संदर्भ के अचानक राहुल गांधी का एक विवादास्पद बयान आया। उन्होंने मुजफ्फरनगर के दंगा पीड़ित युवकों से आइएसआइ के संपर्क करने की बात कह डाली।
भाजपा ने इस बात का बढ़िया जवाब राहुल गांधी को दिया है। अब राहुल गांधी अपने कहे में अपने आप फंस गये हैं। मोदी देश के हर कोने में भीड़ खींच रहे हैं अब यह तो वक्त ही बताएगा कि यह भीड़ वोटों में बदलती है या नही।