प्रधानमंत्री मोदी की कार्यप्रणाली और चीन का जनमानस
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का भारत में मोदी विरोधी चाहे जितना विरोध कर लें, लेकिन मोदी सिर्फ देश में ही नहीं विदेशों में भी खासे लोकप्रिय हैं। यहां तक कि पड़ोसी देश चीन में भी बड़ी संख्या में लोग उनके मुरीद हैं। विदेशों में लोकप्रिय होने का मतलब है भारत का सम्मान। लद्दाख हिंसा के तीन महीने बाद चीन के मुखपत्र ग्लोबल टाइम्स द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण में यह बात सामने आई है कि अधिकांश चीनी अपने नेताओं से ज्यादा प्रधानमंत्री मोदी की कार्यप्रणाली से खुश हैं।
50 प्रतिशत चीनी लोगों ने की मोदी सरकार की तारीफ
सर्वेक्षण के मुताबिक, लगभग 50 प्रतिशत चीनी नागरिक बीजिंग के अनुकूल प्रभाव रखते हैं, जबकि 50 प्रतिशत लोगों ने भारत की मोदी सरकार की सराहना की है। लगभग 70 प्रतिशत मानते हैं कि भारत में चीन विरोधी भावना काफी ज्यादा हो गई है।
30 प्रतिशत लोगों को संबंधों में सुधार की उम्मीद
सर्वेक्षण में शामिल 30 प्रतिशत से अधिक लोगों को लगता है कि दोनों देशों के संबंधों में सुधार होगा। नौ प्रतिशत लोगों का मानना है कि भारत-चीन के रिश्तों में सुधार अल्पावधि के लिए होगा, जबकि 25 प्रतिशत के अनुसार, दोनों देशों के संबंध लंबे समय तक मजबूत बने रहेंगे।
भारत को लुभाने में लगी हुआवेई
इस बीच, चीन की सबसे बड़ी दूरसंचार कंपनी हुआवेई (Huawei) भारत के सभी प्रमुख दैनिक समाचार पत्रों में बड़े-बड़े विज्ञापन प्रकाशित कर भारत को लुभाने की कोशिश कर रही है। हुआवेई द्वारा यह दर्शाने का प्रयास किया जा रहा है कि भारत के साथ उसका रिश्ता काफी पुराना है। वह पिछले 20 वर्षों से यहां कारोबार कर रही है और हमेशा भारत के हितों के लिए प्रतिबद्ध है।
चीनी कंपनियों से रिश्ते खत्म करने का निर्देश
दरअसल, लद्दाख हिंसा के बाद से चीनी कंपनियां भारत सरकार की हिटलिस्ट में हैं। फाइनेंशियल टाइम्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक, भारत हुआवेई और अन्य चीनी कंपनियों से चरणबद्ध ढंग से रिश्ते खत्म करना चाहता है। औपचारिक प्रतिबंध के बजाय, भारत ने कथित तौर पर दूरसंचार कंपनियों को साफ कर दिया है कि चाइनीज गियर से दूर रहें।