गुरू को फांसी उसके परिवार के कुछ लोगों की साजिश का नतीजा थी, जिसमें और लोग भी शामिल हो गये थे जो गुरू के उत्तराधिकार के विरूद्घ थे। किंतु यह भी कहा जाता है कि औरंगजेब गुरू तेगबहादुर से इसलिए नाराज था, क्योंकि उसने कुछ मुसलमानों को सिख बना लि या था।
पाठ्य पुस्तकों में महान बलिदानी तथा करोड़ों हिंदू सिखों की प्रेरणा के अजस्र स्रोत गुरू तेगबहादुर जी महाराज जैसी दिव्य विभूति को लुटेरा जैसे शब्द से संबोधित किया जाना, औरंगजेब द्वारा उनकी हत्या कराये जाने की शर्मनाक घटना पर पर्दा डालने का प्रयास करना अक्षम्य अपराध ही कहा जाएगा।
भारतीय जाटों की वीरता और शौर्य के अनेक अध्याय प्राचीन भारतीय इतिहास की अमूल्य धरोहर रहे हैं।
वामपंथी सेकुलर लेखक अर्जुनदेव तथा श्रीमती इंदिरा अर्जुनदेव द्वारा लिखित आठवीं कक्षा की पुस्तक आधुनिक भारत में जाटों को षडयंत्रकारी और लुटेरा बताते हुए कहा गया है।
इस काल में दिल्ली, आगरा और मथुरा के आसपास जाट एक अन्य शक्ति के रूप में उभरे। उन्होंने भरतपुर में अपने राज्य की स्थापना की, जहां से वे अपने आसपास के क्षेत्रों में लूटपाट करते थे और दिल्ली में राजदरबारों के षडयंत्र में शामिल होते थे।
वामपंथी लेखक डा. रामशरण शर्मा ने जैन समाज की भावनाओं पर आघात पहुंचाते हुए लिख मारा-महावीर से पहले तीर्थकारी का अस्तित्व था ही नही। कृष्ण के अस्तित्व का भी कोई साक्ष्य नही है। दूसरी ओर इन सेकुलरवादी लेखकों ने इतिहास व पाठ्यपुस्तकों से वे अंश हटवा दिये जिनसे मुसलमानों के रूष्टï हो जाने की उन्हें संभावना थी। भारत कथा के पृष्ठ 141 पर दिया गया था-
तर्कपूर्ण-दार्शनिक, तात्तिवक और पदार्थवादी मुताजिल अदृश्य हो गये और कुरान तथा वादियों पर आधारित रूढ़िवादी चिंतन का जन्म हुआ। पश्चिम बंगाल की वामपंथी सरकार ने आदेश दिया कि इस पैरे में से कुरान तथा बादियों पर आधारित रूढ़िवादी चिंतन शब्द हटा दिये जाएं।
इसी पुस्तक के पृष्ठ 89 से सुलतान महमूद द्वारा धर्मपरिवर्तन के लिए विध्वंस व लूटपाट की गई-वाक्या हटा दिया गया।
इसी प्रकार पृष्ठ 112 के इस वाक्य को हटा दिया गया कि काफिरों को या तो इस्लाम अंगीकार करना पड़ता था, या मृत्यु।
नलिनीभूषणदास गुप्ता द्वारा लिखित पुस्तक इतिहाशेर कहानी के पृष्ठ 154 पर प्रकाशित निम्न वाक्य :-
इस्लाम के अनुसार गैर मुस्लिमों के सामने तीन विकल्प थे, इस्लाम कबूल लें, जजिया (कर) अदा करें या मौत को गले लगाएं। इस्लामिक राज्य में गैर मुसलमान को इन तीनों में से एक विकल्प चुनना ही पड़ता था। को हिंदू मुस्लिम एकता में बाधा डालने वाला बताकर हटा दिया गया। एक ओर महान राष्टï्रभक्त शिवाजी को पाठ्य पुस्तकों में उपेक्षित व अपमानित किया गया वहीं विश्वासघात पर शिवाजी की हत्या करने के प्रयास में उनकी तत्परता के कारण मार डाले गये अफजलखां को महाराष्टï्र में महिमामंडित की कब्र को करोड़ों रूपये खर्च करके भव्य दरगाह का रूप देकर उसे कांग्रेस ने महिमामंडित किया है।
स्वातंत्रवीर सावरकर जी की कांग्रेस सरकार ने हमेशा उपेक्षा की। इतिहास तथा पाठ्यपुस्तकों में इस महावीर का नाम अंकित नही होने दिया गया। सन 1992 में कम्युनिस्ट लेखकों ने उन पर क्षमा मांगने का निराधार आरोप लगाया।
भाजपा नेतृत्व वाली सरकार ने जब अण्डमान के पोर्ट ब्लेयर हवाई अड्डे का नाम वीर सावरकर के नाम पर रखा तब भी विरोध किया गया। राजग सरकार ने जब 24 फरवरी 2003 को संसद के सेंट्रल हाल में वीर सावरकर जी के चित्र का उद्घाटन राष्टï्रपति डा. एपीजे अब्दुल कलाम के हाथों कराया तब कांग्रेस अध्यक्ष श्रीमति सोनिया गांधी ने राष्टï्रपति को पत्र लिखकर उद्घाटन न करने का अनुरोध किया। उन्होंने लोकसभा अध्यक्ष मनोहर जोशी को पत्र में लिखा-संसद में सावरकर का चित्र लगाने से विभाजनकारी नीतियों को विश्वसनीयता मिलेगी।
9 अगस्त 2004 को केन्द्रीय मंत्री मणिशंकर अय्यर ने अण्डमान की ऐतिहासिक सेलुलर जेल, जिसमें सावरकर जी तथ उनके बड़े भ्राता गणेश सावरकर जी आदि ने अनेक क्रांतिकारियों के साथ रहकर अमानवीय यातनाएं सहन की थीं, में लगी सावरकर जी की पट्टिका को हटवाकर अपनी क्षुद्र मनोवृत्ति का ही परिचय नही दिया अपितु उन पर निराधार आरोप जड़ दिये। यह सब दुश्चक्र क्रांतिकारी राष्टï्रभक्तों के विरूद्घ सुनियोजित षडयंत्र का ही एक अंगे है।
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