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कोरोनावायरस की दवा कोरोनिल पतंजलि को मिली बड़ी सफलता : सुप्रीम कोर्ट ने दिया अहम फैसला

चेन्नई की एक कंपनी ने दावा किया था कि वर्ष 1993 से `कोरोनिल` नाम उसके पास है.

नई दिल्ली: भारतीय संस्कृति और भारतीयता का गाहे-बगाहे किसी न किसी बहाने विरोध करने वालों को उस समय गहरी निराशा हाथ लगी जब सुप्रीम कोर्ट ने योग गुरु रामदेव की पतंजलि द्वारा निर्मित कोरोनिल को रखने की अनुमति दे दी । ज्ञात रहे कि जब बाबा रामदेव द्वारा कोरोनावायरस का दावा किया गया तो कई संगठन और विदेशी कंपनियों के चाटुकार सड़क पर उतरकर या कहकर विरोध करने लगे थे कि यह दवा बिना परीक्षण तैयार कर ली गई है ।
अब योग गुरू स्‍वामी रामदेव को कोरोनिल दवा के मामले में सुप्रीम कोर्ट से बड़ी राहत मिली है। सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को चेन्नई की एक कंपनी की याचिका को रद्द करते पतंजलि के अपने उत्पाद का ट्रेडमार्क कोरोनिल रखने पर रोक लगाने से इनकार कर दिया है. बता दें कि कंपनी ने दावा किया था कि वर्ष 1993 से ‘कोरोनिल’ नाम उसके पास है.
बताते चलें कि याचिकाकर्ता ने सुप्रीम कोर्ट में अर्जी लगाते हुए मद्रास हाई कोर्ट के आदेश पर रोक लगाने की मांग की थी जिसमें कोर्ट ने पतंजलि को कोरोनिल ट्रेडमार्क शब्द का इस्तेमाल करने की इजाजत दी थी. चेन्नई की कंपनी अरुद्रा इंजीनियरिंग लिमिटेड की इस अर्जी पर सुनवाई से इनकार करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने रामदेव की कंपनी पतंजलि को बड़ी राहत दी है. 
गौरतलब है कि मद्रास हाई कोर्ट की सिंगल बेंच ने पहले पतंजलि पर 10 लाख का जुर्माना लगाते हुए इस ट्रेडमार्क के इस्तेमाल पर रोक लगा दी। लेकिन इसके बाद दो जजों की बेंच ने सिंगल बेंच के आदेश पर रद्द करते हुए पतंजलि को राहत देते हुए ट्रेडमार्क इस्तेमाल करने की अनुमति दी थी। जिसके बाद ही अरुद्रा इंजीनियरिंग ने सुप्रीम कोर्ट में हाई कोर्ट के इस फैसले को चुनौती दी थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने आज सुनवाई से इनकार कर दिया। मतलब साफ है कि अब मामला मद्रास हाई कोर्ट में ही चलेगा।

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