नई दिल्ली, एएनआई। कांग्रेस में वर्तमान नेतृत्व के खिलाफ बने माहौल को हवा देने के आरोपों की पहली गाज पार्टी के वरिष्ठ नेता गुलाम नबी आजाद पर गिरी हुई दिखाई दे रही है । श्री आजाद पर कॉन्ग्रेस के गांधी परिवार के करीबी लोगों ने भाजपा का एजेंट होने का आरोप लगाया है ।
कांग्रेस ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार ओर से जारी किए गए अध्यादेशों पर विचार के लिए एक समिति का गठन किया है। इस समिति में गांधी परिवार के पांच करीबी नेताओं को जगह दी गई है। जबकि, गुलाम नबी आजाद और आनंद शर्मा को बाहर रखा गया है। दो दिन पहले कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक के दौरान गुलाम नबी आजाद की लिखी चिठ्ठी को लेकर हंगामा भी हुआ था।
पार्टी महासचिव केसी वेणुगोपाल द्वारा 26 अगस्त को हस्ताक्षरित एक विज्ञप्ति के अनुसार, कांग्रेस के अंतरिम अध्यक्ष ने केंद्र सरकार द्वारा घोषित प्रमुख अध्यादेशों पर पार्टी के रुख पर चर्चा करने और तैयार करने के लिए एक पांच सदस्यीय समिति का गठन किया है। इस समिति में जिन नेताओं को रखा गया है उनमें पी चिदंबरम, दिग्विजय सिंह, जयराम रमेश, डॉ अमर सिंह और गौरव गोगोई शामिल हैं। इस समिति के संयोजन की जिम्मेदारी जयराम रमेश को सौंपी गई है। यह कमेटी केंद्र की ओर से जारी प्रमुख अध्यादेशों पर चर्चा और पार्टी का रुख तय करने का काम करेगी।
बता दें कि दो दिन पहले सीडब्ल्यूसी की बैठक के दौरान राहुल गांधी सहित कांग्रेस के कई सदस्यों ने पत्र लिखने वाले नेताओं को भाजपा का समर्थक बताया था। कहा जाता है कि आजाद इन आरोपों से दुखी हैं और उन्होंने तब भी इसे बेबुनियाद बताते हुए इस्तीफे की पेशकश की थी। पत्र लिखने वाले दूसरे नेताओं ने भी इन आरोपों का खंडन किया था।
कांग्रेस कार्यसमिति की बैठक में हंगामे के बाद गांधी परिवार डैमेज कंट्रोल की कवायद में जुट गया है। चिठ्ठी लिखने वाले असंतुष्ट धड़े की अगुवाई करने वाले गुलाम नबी आजाद को मनाने के लिए सोनिया गांधी ने मोर्चा संभाला है। बैठक के तुरंत बाद राहुल गांधी ने भी गुलाम नबी आजाद से बाद कर गिले शिकवे दूर करने की कोशिश की थी।