नये भारत का वर्चस्व एवं प्रभाव प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अगुवाई में

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ललित गर्ग

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को मुद्दे को लेकर पाकिस्तान ने विश्व के लगभग सभी देशों से मदद की गुहार लगाई लेकिन एक-दो देशों को छोड़कर किसी ने भी पाकिस्तान का साथ नहीं दिया। अमेरिका ने इसे द्विपक्षीय मुद्दा बताकर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सशक्त व मजबूत नेतृत्व के कारण आज भारत की आवाज विश्व में प्रभावी तरीके से सुनी जा रही है। किस तरह मोदी सरकार के दूसरे सफल, कार्यकारी एवं प्रभावी कार्यकाल में भारत की आवाज अब वैश्विक मंच पर कहीं अधिक सुनी जा रही, चाहे वह जी-20 हो या जलवायु सम्मेलन, भारत की आर्थिक नीतियां हो या विकास की योजनाएं, कोरोना महामारी से सफलतम संघर्ष हो या भारत की संस्कृति की विश्व में योग दिवस, अहिंसा दिवस एवं आम व्यवहार में नमस्ते का शिष्टाचार अपनाने की संस्कृति। भारत के घरेलू और विदेश नीति के बीच मजबूत संबंध स्थापित हो रहे हैं। दो दिन पूर्व ही जब फ्रांस के राष्ट्रपति और जर्मनी की चांसलर मिले तो दोनों ने एक-दूसरे को हाथ जोड़कर और नमस्ते बोलकर अभिवादन किया। ऐसा ही ट्रंप और इस्राइल के प्रधानमंत्री भी करते हैं। दुनिया की महाशक्तियां योग भी करती हैं, तो भारत के अहिंसा को स्वीकारने की वकालत भी करती हैं- ये दृश्य देखकर दिल खुश होता है, गौरवान्वित होता है, आशान्वित होता है। लेकिन दूसरी ओर यह समझ से परे है कि पाकिस्तान न केवल अपने ही देश की जनता से बल्कि अपने इस्लामी मित्र-देशों से लगातार क्यों कटता जा रहा है?

जम्मू-कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने को मुद्दे को लेकर पाकिस्तान ने विश्व के लगभग सभी देशों से मदद की गुहार लगाई लेकिन एक-दो देशों को छोड़कर किसी ने भी पाकिस्तान का साथ नहीं दिया। अमेरिका ने इसे द्विपक्षीय मुद्दा बताकर हस्तक्षेप करने से इंकार कर दिया। पाकिस्तान की तरफ से इस मुद्दे को संयुक्त राष्ट्र में भी उठाने की कोशिश की गई है लेकिन उसे वहां भी मुंह की खानी पड़ी। वह जमाना लद गया जब अंतरराष्ट्रीय इस्लामी संगठन कश्मीर पर पाकिस्तान की पीठ ठोका करता था। सालों-साल वह भारत-विरोधी प्रस्ताव पारित करता रहा। पिछले साल जब भारत सरकार ने धारा 370 हटाई तो पाकिस्तान का साथ सिर्फ दो देशों- तुर्की और मलेशिया ने दिया। सऊदी अरब, संयुक्त अरब अमीरात, मालदीव, बांग्लादेश और अफगानिस्तान जैसी इस्लामी राष्ट्रों ने उसे भारत का आंतरिक मामला घोषित किया। पाकिस्तान के आग्रह के बावजूद सउदी अरब ने कश्मीर पर इस्लामी संगठन की बैठक नहीं बुलाई। जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अयोध्या में 5 अगस्त 2020 को श्रीराम मन्दिर का शिलान्यास किया तो दुनियाभर में उन्होंने सर्वाधिक प्रशंसा एवं प्रचार मिला, यहां तक कि पाकिस्तान के मीडिया में भी यह घटना प्रशंसात्मक तरीके से चर्चित रही।

शक्तिशाली मुस्लिम देशों ने पाकिस्तान को भारत के खिलाफ बयानबाजी करने में संयम बरतने की नसीहत दी है, यह भारत के बढ़ते वर्चस्व को ही उजागर करता है। जब सऊदी अरब के विदेश मंत्री आदिल अल जुबैर और संयुक्त अरब अमीरात के विदेश मंत्री अब्दुल्ला बिन अल नाहयान इस्लामाबाद दौरे पर अपने नेतृत्व और कुछ अन्य शक्तिशाली देशों की ओर से संदेश लेकर आए थे। उन्होंने पाकिस्तान से कहा कि वह भारत के साथ बातचीत करने की कोशिश करे और बयान देने में संयम बरते। इस तरह की स्थितियां बता रही हैं कि दुनिया में भारत का प्रभाव एवं गुरुता कितनी बढ़ गयी है और भारत की उपेक्षा की स्थितियों पर लगभग नियंत्रण स्थापित हुआ है। जी-7 शिखर सम्मेलन में शामिल होने के लिए निमंत्रण मिलना भारत की बढ़ती ताकत को साफ दर्शाता है। जी-7 दुनिया की सात सबसे बड़ी विकसित और उन्नत अर्थव्यवस्था वाले देशों का समूह है, जिसमें कनाडा, फ्रांस, जर्मनी, इटली, जापान, ब्रिटेन और अमरीका शामिल हैं। इसे ग्रुप ऑफ सेवन भी कहते हैं। यह सर्वविदित है कि अब दुनिया की कोई ताकत डंडे के जोर पर कश्मीर को भारत से नहीं छीन सकती, भारत इस सुदृढ़ एवं सशक्त स्थिति में मोदी के कारण ही पहुंचा है।

पाकिस्तान बातचीत का रास्ता अपनाए तथा आक्रमण और आतंकवाद का सहारा न ले तो निश्चय ही कश्मीर का मसला हल हो सकता है। लेकिन एक बड़ी सच्चाई यह भी है कि कश्मीर का मुद्दा ही पाकिस्तान में सत्ता की चाबी है। इसी मुद्दे पर पाकिस्तान का फौजीकरण हुआ है। इसी कारण वहां की सरकार गरीबों पर खर्च करने की बजाय हथियारों पर पैसा बहा रही है। उसके आतंकवादी जितनी हत्याएं भारत में करते हैं, उससे कहीं ज्यादा वे पाकिस्तान में करते हैं। पाकिस्तान भारत का विभाजन होने से ही बना था, वह दूसरे देशों के आगे कब तक झोली फैलाता रहेगा? कब अपने वजूद को कायम करेगा?

भारत का वर्चस्व एवं प्रभाव नरेन्द्र मोदी की नीतियों, राजनीति, आर्थिक एवं शांतिपूर्ण सह-अस्तित्व की विचारधारा के कारण नहीं बढ़ रहा है, बल्कि यह पहला अवसर है जब एक सरकार योग, आयुर्वेद, खानपान, साहित्य, परंपरा, ज्ञान और अनुभव को प्रश्रय देने को तत्पर है, ये जीवनमूल्य एवं जीवनशैली हजारों वर्ष पहले जीवनोपयोगी थी। उन्हें संग्रहालय की चीज बनने की बजाय विश्व मानवता के लिये उपयोगी सिद्ध करने के लिये मोदी सरकार कृतसंकल्प है, जिस कारण भी दुनिया भारत की ओर आशा भरी नजरों से निहारते हुए उसकी कही बातों को महत्व देती है। भारतीय सभ्यता एवं संस्कृति, जीवनदर्शन शाश्वत है, त्रैकालिक, सार्वजनीन, सार्वदैशिक है। इसका संपर्क संपूर्ण अस्तित्व और वृहतर चेतना से रहा है। भारत आदि काल से विश्व सभ्यता के लिए एक ज्ञान-स्रोत है। आज मोदी स्वयं एवं उनकी सरकार अपने इस अकूत खजाने को आधुनिक सन्दर्भ देते हुए जीवंत कर रही है, उसकी शक्ति उजागर कर रही है। इसी शक्ति ने कोरोना महाव्याधि की मार से भारत की जनता को बचाने में सार्थक भूमिका का निर्वाह किया है।

कोरोना महासंकट हो या सीमाओं पर उठापटक इन जटिल स्थितियों के बीच भी हमने देखा है कि नरेन्द्र मोदी जिस आत्मविश्वास से इन संकटों से लड़े, उससे अधिक आश्चर्य की बात यह देखने को मिली कि उन्होंने देश का मनोबल गिरने नहीं दिया। उनसे यह संकेत बार-बार मिलता रहा है कि हम अन्य विकसित देशों की तुलना में कोरोना से अधिक प्रभावी एवं सक्षम तरीके से लड़े हैं और उसके प्रकोप को बांधे रखा है। जिससे ऐसा बार-बार प्रतीत हुआ कि हम दुनिया का नेतृत्व करने की पात्रता प्राप्त कर रहे हैं। हम महसूस कर रहे हैं कि निराशाओं के बीच आशाओं के दीप जलने लगे हैं, यह शुभ संकेत है।

निश्चित ही जीडीपी के 10 प्रतिशत के बराबर के प्रधानमंत्री मोदी ने जिस आत्मनिर्भर भारत के भारी-भरकम पैकेज की घोषणा की, उसकी अन्तर्राष्ट्रीय स्तर पर प्रशंसा हुई है। इससे भारत में एक नई आर्थिक सभ्यता और एक नई जीवन संस्कृति करवट लेगी। इससे न केवल आम आदमी में आशाओं का संचार होगा बल्कि नये औद्योगिक परिवेश, नये अर्थतंत्र, नये व्यापार, नये राजनीतिक मूल्यों, नये विचारों, नये इंसानी रिश्तों, नये सामाजिक संगठनों, नये रीति-रिवाजों और नयी जिंदगी की हवायें लिए हुए आत्मनिर्भर भारत की एक ऐसी गाथा लिखी जाएंगी, जिसमें राष्ट्रीय चरित्र बनेगा, राष्ट्र सशक्त होगा, न केवल भीतरी परिवेश में बल्कि दुनिया की नजरों में भारत अपनी एक स्वतंत्र हस्ती और पहचान लेकर उपस्थित होगा। मोदी की दूरगामी नीतियों से मनोवैज्ञानिक ढंग से चीन की दादागिरी और पाकिस्तान की दकियानूसी हरकतों को मुंहतोड़ जबाव दिया जा रहा है। चीन ने कभी कल्पना भी नहीं की होगी कि भारत पर निर्भर उसकी अर्थव्यवस्था एवं बाजार को इस तरह नेस्तनाबूद किया जायेगा। किसी भी राष्ट्र की ऊंचाई वहां की इमारतों की ऊंचाई से नहीं मापी जाती बल्कि वहां के राष्ट्रनायक के चरित्र एवं हौसलों से मापी जाती है। उनके काम करने के तरीके से मापी जाती है। इस मायने में नरेन्द्र मोदी एक प्रभावी विश्व नेतृत्व बनकर उभरे हैं, विश्व में भारत की नयी साख एवं वर्चस्व का सबब बना है।

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