*मजे में हूँ*
घुटने बोलते हैं
लड़खड़ाता हूँ
छत पर
रेलिंग पकड़कर जाता हूँ
दाँत कुछ ढीले हो चले
रोटी डुबा कर खाता हूँ
वो आते नहीं
फोन पर पूछते हैं
कि कैसा हूँ ?
बड़ी सादगी से कहता हूँ
मजे में हूँ…मजे में हूँ…😄
दिखता है सब
पर वैसा नहीं दिखता
लिखता हूँ सब
पर वैसा नहीं लिखता
आसमान और आँखों के बीच अब
कुछ बादल सा है
पढ़ता हूँ अखबार
पर कुछ याद नहीं रहता
डॉक्टर के सिवाय
किसी और से
कुछ नहीं कहता
लोग हालचाल पूछें
सादगी से कहता हूँ
मजे में हूँ… मजे में हूँ …😀
कभी दो रंगी मोजे
जूतों में हो जाते हैं
कभी बढ़े हुऐ नाखून
यकायक चश्मे से
किसी महफिल में दिख जाते हैं
अचकचा कर
उनको छुपाता हूँ
कभी बीस व तीस
का अन्तर
सुनाई नहीं देता
बहुत से काम
अब अंदाजे से कर जाता हूँ
कोई कभी
फोन करे
कहाँ हूँ कैसा हूँ
हँस कर कह देता हूँ
मजे में हूँ …मजे में हूँ …
😀
बीत गया है लंबा सफर
पर इंतज़ार बाकी है
हासिल कर ली है
हर मंज़िलें
पर प्यास अभी बाकी है
ठहर गयीं हैं यादें
पुराने किस्से सुनाता हूँ
वो कुछ बोलें
इंतज़ार अभी बाकी है
दिल अब भी
धड़कता है वैसे ही
ये बूढ़ापे को जानता नहीं मानता नहीं
शरीर दुखता हैj
पर आँखों की शरारत जारी है
इसलिये बार बार
कहता हूँ
मजे में हूँ …मजे में हूँ…
😀
-भारत भूषण-
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