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आइए जाने एसपीजी और जेड प्लस सुरक्षा के बारे में

मिथिलेश कुमार सिंह

भारत के सर्वाधिक मजबूत सुरक्षा बलों में से इसे गिना जाता है। एसपीजी ऑफिसर्स लाइटवेट बुलेटप्रूफ जैकेट हमेशा पहने रहते हैं और उनके पास पिस्टल व अत्याधुनिक ऑटोमैटिक रायफल राउंड दी क्लॉक मौजूद होती है।

भारत वर्तमान में विश्व के सर्वाधिक महत्वपूर्ण देशों की जमात में शामिल हो गया है। न केवल अर्थव्यवस्था की दृष्टि से, बल्कि वैश्विक प्रभाव की दृष्टि से, सैन्य ताकत की दृष्टि से भी भारत अग्रिम पंक्ति में नजर आने लगा है। यह एक तथ्य है कि पहले तमाम भारतीय नेताओं को वैश्विक मंच पर वह सम्मान नहीं मिलता था, जो आज के समय में मिलने लगा है। जाहिर तौर पर प्रभाव और महत्ता बढ़ने के साथ-साथ सुरक्षा से सम्बंधित खतरे भी बढ़ते हैं।

यूं भी भारत अपने एकाधिक प्रधानमंत्रियों को आतंकी हमलों में खो चुका है। ऐसी स्थिति में उनकी सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा बनकर हमेशा ही सामने आई है। बता दें कि भारतीय प्रधानमंत्री और तमाम दूसरे गणमान्यों की सुरक्षा के लिए अलग-अलग एजेंसीज का गठन किया गया है। खतरों एवं अहमियत के लिहाज से भिन्न व्यक्तियों को भिन्न-भिन्न सुरक्षा कवर प्रदान किया जाता है।

इनमें सबसे महत्वपूर्ण है एसपीजी!

एसपीजी, यानी स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप। स्पेशल प्रोटेक्शन ग्रुप प्रधानमंत्री और उनके परिवार वालों को सुरक्षा देने के लिए बनाई गई और यह पूर्व प्रधानमंत्रियों को भी एक निश्चित समय के लिए सुरक्षा कवच प्रदान करती है।

बता दें कि 1984 में तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की हत्या उनके अपने सुरक्षा गार्डों ने कर दी थी, और इसके बाद ही सरकार ने पीएम की सुरक्षा के लिए विशेष कैडर बनाने का फैसला किया था। तब इसे स्पेशल प्रोटेक्शन यूनिट कहा जाता था, जो बाद में एसपीजी के नाम से जानी गयी। यूं यह हमला करने वाली फोर्सेज में नहीं गिनी जाती है, बल्कि इसका पहला काम पीएम की हर हाल में सुरक्षा करना होता है।

इससे सम्बंधित अन्य खूबियों की बात करें तो 1991 में तत्कालीन पीएम राजीव गांधी की हत्या के बाद एसपीजी एक्ट को मॉडिफाई किया गया था और तब इसके तहत पीएम के साथ-साथ पूर्व प्रधानमंत्रियों को भी एसपीजी सुरक्षा देने का नियम लागू किया गया. बाद में 1994 व 1999 में भी एसपीजी एक्ट में संशोधन किया गया था।

बता दें कि भारत के सर्वाधिक मजबूत सुरक्षा बलों में से इसे गिना जाता है। एसपीजी ऑफिसर्स लाइटवेट बुलेटप्रूफ जैकेट हमेशा पहने रहते हैं और उनके पास पिस्टल व अत्याधुनिक ऑटोमैटिक रायफल राउंड दी क्लॉक मौजूद होती है। इतना ही नहीं, एसपीजी कमांडोज के जूते किसी भी तरह के सरफेस पर फिसलते नहीं हैं और बेहद मजबूत ग्रिप देते हैं। अत्याधुनिक इयरपीस से यह आपस में जुड़े होते हैं।

एसपीजी के बाद, ज़ेड प्लस सिक्योरिटी एक अति उच्च सुरक्षा व्यवस्था मानी जाती है, जिसमें विभिन्न फ़ोर्सेज के जवान सम्मिलित होते हैं और यह देश के तमाम महत्वपूर्ण लोगों की सुरक्षा सुनिश्चित करते हैं।

इस सुरक्षा व्यवस्था में कुल 55 सुरक्षा कर्मी मौजूद होते हैं। 55 लोगों में 10 या उससे अधिक एनएसजी (नेशनल सिक्योरिटी गार्ड) कमांडो होते हैं। इसके साथ पुलिस ऑफिसर होते हैं, जो बाद के घेरों की सुरक्षा व्यवस्था संभालते हैं। बता दें कि इस सुरक्षा में पहले घेरे की ज़िम्मेदारी एनएसजी की होती है, जबकि दूसरी परत में एसपीजी कमांडो मौजूद होते हैं। इसके बाद आईटीबीपी व सीआरपीएफ के जवान ज़ेड प्लस सुरक्षा श्रेणी में शामिल रहते हैं। जवानों के साथ Z+ सुरक्षा में एस्कॉर्ट्स और पायलट वाहन भी मौजूद रहते हैं।

इसके बाद जेड केटेगरी की सुरक्षा में कुल चार-पांच एनएसजी कमांडोज को मिलाकर कुल 22 सुरक्षागार्ड होते हैं। इसमें दिल्ली पुलिस, आईटीबीपी अथवा सीआरपीएफ के कमांडोज व लोकल पुलिसकर्मी भी शामिल किये जाते हैं। इसके बाद वाई श्रेणी की सुरक्षा आती है, जिसमें कुल 11 सुरक्षाकर्मी होते हैं। सबसे अंत में एक्स श्रेणी की सुरक्षा आती है, जिसमें दो सुरक्षा गार्ड तैनात होते हैं और इसमें भी एक पीएसओ (पर्सनल सिक्योरिटी ऑफिसर) होता है। हालांकि, इस सुरक्षा में कोई कमांडो शामिल नहीं होता है।

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