कांग्रेसियों की परिवार भक्ति : तुम्हीं हो माता भ्राता तुम्हीं हो …

लोकतंत्र का सबसे बड़ा अभिशाप है : व्यक्ति के प्रति निष्ठा
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-राजेश बैरागी-
अखिल भारतीय कांग्रेस में जो सत्य है वह यह है कि वहां नेतृत्व को लेकर कोई विवाद नहीं है। आंतरिक लोकतंत्र की मर्यादा की रक्षा के लिए वरिष्ठ नेता सीमित विरोध करते हैं और सीमित मान-मनौव्वल के बाद मान जाते हैं।इसे संयमित भाषा में प्रहसन (नाटक) भी कहा जा सकता है। इन्हीं गुणों की खान कांग्रेसी पार्टी को अखिल भारतीय बनाए हुए हैं। बर्तन होते हैं तो खड़कते हैं परंतु काठ के बर्तन न खड़कते हैं और न उनके टूटने का डर होता है।काठ के उल्लू रात्रि में भी सोते हैं।काठ का घोड़ा दौडता नहीं परंतु दौड़ने वाले घोड़े को मात देने की कुव्वत रखता है। उसकी काबिलियत उसके खड़े रहने में है।
देश को आजादी दिलाने के लिए आंदोलन करने और देश को दिशा देने का जज्बा हवा हवाई हो चुका है। मोदी की आंधी में नकली गांधियों को उड़ने से बचाने के लिए ऐसे ही समर्पण की जरूरत है। गांधी परिवार अपना उल्लू सीधा करता है और बुढ़ापे में कहीं के न रहने के डर से वरिष्ठ कांग्रेसी अपना उल्लू टेढ़ा ही नहीं होने देना चाहते। इस सिचुएशन के लिए सोनिया के मुकाबले राहुल मुफीद हैं।उनका पप्पूपन कांग्रेसियों को बहुत भाता है। दरअसल कांग्रेस उस गीदड़ परिवार की तरह हो गई है जो शेर की मांद में रहने लगा था। एक दिन शेर आया तो गीदड़ की पत्नी ने कुछ उपाय करने को कहा। इसपर गीदड़ ने कहा कि मैं अकेला भाग सकता था परंतु तुझे छोड़कर नहीं जा सकता।तू भी मेरे साथ भाग सकती है परंतु बच्चों को छोड़कर तू नहीं भाग सकती। और कुछ सोचता तो इसे (शेर को) देखकर मेरी बुद्धि भ्रष्ट हो गई है। निष्कर्ष यह कि गीदड़ परिवार नियति के समक्ष बेबस है।नियति पतन की ओर ले जा रही है। कांग्रेसी पतन की पालकी को ढोने वाले कहार बन गए हैं।
(लेखक वरिष्ठ पत्रकार एवं स्वतंत्र टिप्पणीकार हैं)

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