लोकतंत्र की बुनियाद है चुनाव

भागीदारी ही जगाती है भाग्य

– डॉ. दीपक आचार्य

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निर्वाचन भारतीय लोकतंत्र की बुनियाद है जिसके जरिये आम आदमी के हाथों में सरकार बनाने की वो ताकत है जिसका कोई मुकाबला नहीं। तंत्र को संचालित करने वाले नेतृत्व से लेकर व्यवस्था तक की सँरचना को सुगठित और सुव्यवस्थित करते और रखते हुए जो निर्णायक प्रक्रिया है उसी का नाम निर्वाचन है जो सत्ता बनाती है और सत्ता के माध्यम से अपने, क्षेत्र, प्रदेश तथा देश के विकास को नई गति प्रदान करती है।

हर निर्णय में सभी की भागीदारी होना नितांत जरूरी है और यह सशक्त भागीदारी ही सामाजिक नवरचना को सुनहरा आकार व पूर्णता देती है। लोकतंत्र की सफलता का मूलाधार यही है कि हर नागरिक की इसमें पर्याप्त सहभागिता हो, और यह तभी संभव है जब हम सभी पूरी तरह जागरुक रहें, आँखें खुली रखें, निगाह पैनी रखें और जहाँ हमारी आवश्यकता हो, उसमें पूरी-पूरी भागीदारी निभाएँ।

इस दृष्टि से अबकि बार भारत निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाताओं में जागृति लाने का जो काम विराट अभियान के रूप में चल रहा है उसने निर्वाचन प्रक्रिया को नई ताजगी दी है और इससे लोकतंत्र का यह उत्सवी माहौल बहुगुणित हो चला है।

गांव-ढांणियों और पालों-फलों तक में रहने वाले मतदाताओं तक वोट जरूर डालने का पैगाम अब इतना मुखर हो उठा है कि लगता है जैसे मतदाताओं में मतदान के प्रति जागरुकता का ज्वार हिलोरें लेने लगा है। समाज-जीवन के हर क्षेत्र में इन दिनों अनिवार्य मतदान की गूंज पसरी हुई है। जनमानस से लेकर हर गलियारे में इसी की गूंज है।

लोकतांत्रिक व्यवस्था में आम मतदाता की सशक्त भागीदारी ही निर्णायक होती है। इस दृष्टि से मतदाताओं को अनिवार्य मतदान के लिए प्रेरित करने तथा मतदाता पर्ची हर मतदाता के घर-आँगन तक पहुँचाने का यह दौर निर्वाचन इतिहास में सुनहरा अध्याय है।

इससे मतदान में मतदाताओं की भागीदारी का ग्राफ आशातीत रूप से बढ़ेगा और सुनहरे कल को लाने के सारे स्वप्नों को संबल तथा स्वरूप प्राप्त होगा। जहाँ-जहाँ अच्छे और निर्णायक कार्यों में आम आदमी की भागीदारी बढ़ती है वहाँ आशातीत परिणाम सामने आते हैं।

भारत निर्वाचन आयोग द्वारा मतदाताओं में जागरुकता संचार के लिए जो कुछ किया  जा रहा है उसने इस बार के चुनावों को लोकतंत्र के जन-उत्सव के रूप में स्थापित कर दिया है और इसका प्रभाव भी सभी क्षेत्रों में दिखाई देने लगा है।

जहाँ कहीं आत्मीय भागीदारी और कत्र्तव्य बोध होता है वहीं भाग्योदय के सारे रास्ते अपने आप खुलने लगते हैं और सुनहरे परिवेश का निर्माण होता है। आईये हम भी अनिवार्य मतदान के लिए खुद जगें, औरों को भी जगाएँ…। मतदान जरूर करें।

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