*श्री जी के नाम से मशहूर अरविंद सिंह मेवाड़*
लाभेश जैन ( कासवा )
मौजूदा समय में सिटी पैलेस अरविंद सिंह मेवाड़ का मिनी साम्राज्य है। अरविंद सिंह को लोग प्यार से *श्रीजी* के नाम से बुलाते हैं। 18 अप्रैल 1948 को जिस समय अरविंद सिंह महज चार साल के थे, उस समय उनके *दादा भूपाल सिंह (मेवाड़ के 74वें महाराणा)* ने कहा था कि उनके पूर्वजों ने उनकी पसंद को तय कर दिया था। भूपाल सिंह ने कहा था कि अगर उनके पूर्वजों ने अंग्रेजों की जी हजूरी की होती तो वो उनका राज्य हैदराबाद से भी बड़ा रहा होता। लेकिन न तो उनके पूर्वज अंग्रेजों की हां में हां मिलाया न तो उन्होंने ऐसा किया। मेवाड़ पूरी तरह से भारत के साथ है और *मेवाड़ देश की पहली रियासत रही जिसने अपने आप को भारतीय संघ में विलीन कर लिया।*
मेवाड़ राजवंश ने भले ही भारतीय संघ में विलय कर दिया था, लेकिन उसके मुखिया पूरी शानशौकत के साथ रहते थे। अरविंद सिंह मेवाड़ यानि श्रीजी जब महज 12 वर्ष के थे उनके पिता *भागवत सिंह* तत्कालीन पीएम जवाहर लाल नेहरू के निमंत्रण पर लाल किला देखने के लिए आए। इसके पीछे दिलचस्प कहानी ये है कि मेवाड़ के राजाओं ने शपथ ली थी कि जब तक दिल्ली पर विदेशियों का शासन रहेगा वो दिल्ली नहीं जाएंगे। जिस समय मेवाड़ के महाराजा दिल्ली गए उस समय देश को आजादी हासिल हो चुकी थी।
*कुछ ऐसा था मेवाड़ राजवंश*
रियासतों का जब भारतीय संघ में विलय हो रहा था उस वक्त राजाओं, रानियों, नवाबों और बेगमों को प्रिवी पर्स दिया जा रहा था। लेकिन मेवाड़ के महाराना भागवत सिंह दूरदृष्टि वाले थे। उन्होंने अपनी संपत्ति के कुछ हिस्सों को प्राइवेट कंपनी के जरिए होटलों में बदल दिया। उनके इस कदम से राजपरिवार को आय का एक स्थाई स्रोत हासिल हुआ। अरविंद सिंह मेवाड़ जब 25 साल के थे उस वक्त प्रिवी पर्स और उपाधियों को इंदिरा गांधी की सरकार ने खत्म कर दिया था। *दरअसल इस मुहिम में इंदिरा गांधी ने श्रीजी के पिता से मदद मांगी ताकि राजा-रजवाड़ों के आत्म सम्मान पर किसी तरह की चोट न पहुंचे ।* भागवत सिंह ने कहा कि प्रिवी पर्स की समाप्ति से राजाओं को आर्थिक कठिनाइयां आएंगी। लेकिन उनके सम्मान को ठेस नहीं पहुंचना चाहिए। उन्होंने एक ट्रस्ट का गठन कर अरविंद सिंह को ट्रस्टी बना दिया।
*राणा की छवि अभी भी बरकरार*
देश की आजादी के सत्तर साल और प्रिवी पर्स खत्म होने के 48 साल के बाद श्री जी की छवि आज भी मेवाड़ के लोगों के लिए महाराणा की ही तरह है। 2003 में सिटी पैलेस को प्रत्येक दिन 800 पर्यटक देखने के लिए आते थे। अब ये संख्या बढ़कर 3000 हो गई है। सिटी पैलेस को व्यवसायिक तरीके से चलाने के लिए 2000 कर्मचारियों की तैनाती की गई है। उदयपुर की करीब 40 फीसद जनता अपनी आजीविका के लिए उदयपुर सिटी पैलेस पर निर्भर है।शंभू निवास पैलेस, शिव निवास पैलेस और फतेह प्रकाश पैलेस बागों के जरिए एक दूसरे से जुड़े हुए हैं। संगमरमर के फाउंटेन से जब पानी निकल रहा होता है को इसका मतलब ये होता है कि श्री जी महल के अंदर हैं। श्री जी के पास विंटेज कारों का बेड़ा है जिन्हें मेवाड़ मोटर गैराज में रखा गया है। अरविंद सिंह की प्रिय सवारी 1924 में बनी मोरिस ग्रीन है। सभी विंटेज कारों को म्यूजियम के गार्डेन में निकाला जाता है। लेकिन सिटी पैलेस के बाहर कारों को नहीं ले जाया जाता है।