‘उगता भारत’ का संपादकीय : राम मंदिर निर्माण पूरा होने के अतिरिक्त और क्या होगा 2024 में ?

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राजधानी के नेहरू मेमोरियल में विगत 20 अगस्त को हुई रामजन्मभूमि तीर्थ क्षेत्र ट्रस्ट से जुड़ी भवन निर्माण समिति की बैठक में निर्णय लिया गया है कि 2024 की जनवरी तक राम मंदिर निर्माण का कार्य संपन्न कर लिया जाएगा । यह बहुत ही महत्वपूर्ण तथ्य है कि देश जिस राम मंदिर के लिए पिछले लगभग 500 वर्ष से संघर्ष करता आ रहा था , उसके बनने की घड़ी आई है और प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भारी विरोध के उपरांत भी स्वयं अयोध्या पहुंचकर श्री राम के भव्य मंदिर का भूमि पूजन किया।

भगवान श्री राम जी के मंदिर के लिए आहूत की गई इस बैठक में सेंट्रल बिल्डिंग रिसर्च इंस्ट्टियूट (सीबीआरआई), आईआईटी चेन्नई, और लार्सन एंड टर्बो कंपनी के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे। निर्माण समिति के अध्यक्ष नृपेंद्र मिश्र की अगुआई में हुई इस बैठक में राम मंदिर ट्रस्ट के उपाध्यक्ष चंपत राय, सदस्य अनिल मिश्र, गोविंद गिरी के साथ विहिप के प्रतिनिधि भी मौजूद थे।

जिस जमीन पर यह मंदिर निर्माण होने जा रहा है उसका रखवा 70 एकड़ बताया गया है । इस प्रकार यह मंदिर दिल्ली स्थितअक्षरधाम जैसे मंदिर से भी भव्य बनाए जाने की सम्भावना है । जिसकी प्रतीक्षा सारा देश बड़ी उत्सुकता से कर रहा है। फैजाबाद विकास प्राधिकरण से आवश्यक स्वीकृति प्राप्त कर यह कार्य बहुत शीघ्र पूर्ण होगा , ऐसा संकल्प उपरोक्त बैठक में उपस्थित अधिकारियों ने लिए ।
बैठक में उपस्थित ट्रस्ट के एक सदस्य के अनुसार एजेंडा समय पर मंदिर निर्माण के साथ मंदिर की मजबूती भी थी। मंदिर निर्माण के लिए 60 मीटर खुदाई की गई है। इससे निकली मिट्टी की मजबूती को जांचने का काम सीबीआरआई करेगी। मंदिर निर्माण के लिए निर्धारित की गई 36 से 40 माह की अवधि के बीच ही यह कार्य संपन्न कर लिया जाएगा , ऐसा निर्णय भी इस बैठक में ले लिया गया। जिसका स्वागत किया जाना चाहिए ।
मंदिर निर्माण का कार्य जैसे-जैसे गति पकड़ेगा वैसे वैसे ही भारत की राजनीति में भी नए-नए उतार-चढ़ाव देखने को मिलेंगे । आगामी 40 माह में राम मंदिर के निर्माण का विरोध करने वाले संगठन जहां कुछ ऐसी तिकड़में भिड़ाएंगे , जिनसे देश में सांप्रदायिक उपद्रव हों , वहीं जो राजनीतिक दल राम के अस्तित्व को ही नकारते रहे थे , वह भी कुछ न कुछ ऐसा करने का प्रयास करेंगे जिससे मंदिर कार्य में अड़ंगा पैदा हो । इसके अतिरिक्त भाजपा जैसे राजनीतिक दल हर स्थिति में यह चाहेंगे कि राम मंदिर निर्माण का कार्य समय पर पूर्ण हो , जिससे कि 2024 में आयोजित होने वाले चुनावों में पार्टी उसका राजनीतिक लाभ उठा सके।
अपने राजनीतिक बौद्धिक चातुर्य के लिए जाने जाने वाले प्रधानमंत्री श्री मोदी कोई भी काम बिना सोचे समझे नहीं करते । उनके प्रत्येक कार्य में दूरदर्शिता होती है । यदि राम मंदिर का निर्माण 2024 की जनवरी में जाकर पूर्ण हो रहा है तो यह भी महज संयोग नहीं है , अपितु इसके पीछे निश्चित ही प्रधानमंत्री श्री मोदी का दिमाग काम कर रहा है। क्योंकि 2024 की जनवरी ही वह महीना होगा जब 2024 के लोकसभा चुनाव के लिए सारा देश मन बना रहा होगा । उसके कुछ समय पश्चात ही देश में लोकसभा चुनावों का डंका बज जाएगा। स्पष्ट है कि जब देश में चुनावी मौसम अपने उफान पर होगा , तभी राम मंदिर निर्माण भी पूरा होगा । जिसे प्रधानमंत्री मोदी के लिए भाजपा यह कहकर भुनाएगी कि ‘मोदी है तो मुमकिन है।’
जनवरी 2024 तक ही कई चीजें साफ हो जाएंगी। पीओके भारत में होगा या पाकिस्तान में – यह भी तय हो जाएगा और समान नागरिक संहिता व जनसंख्या नियंत्रण के संबंध में भी मोदी सरकार की नीतियों साफ हो जाएंगी । यदि केंद्र की मोदी सरकार पीओके को तब तक ले लेती है और समान नागरिक संहिता को लागू करवा कर देश में जनसंख्या नियंत्रण के लिए भी कठोर कानून ले आती है तो माहौल निश्चित रूप से उस समय भाजपा के पक्ष में होगा । यदि उसी समय राम मंदिर निर्माण भी संपन्न होगा तो निश्चय ही भाजपा के लिए यह सोने पर सुहागा वाली बात होगी। तब ऐसा भी संभव है कि भाजपा 2024 के लोकसभा चुनावों में 1984 के कांग्रेस के बनाए इतिहास के कीर्तिमान को ध्वस्त कर दे और लोकसभा में विपक्ष का सफाया करते हुए प्रचंड बहुमत के साथ लौट आए ।
उस समय क्या होगा क्या नहीं ? – यह कहना तो अभी जल्दबाजी होगी , परंतु कांग्रेस के राहुल गांधी के लिए 2024 निश्चय ही कष्टकर होगा। क्योंकि उन्होंने अपनी नीतियों में कोई परिवर्तन नहीं किया है और ना ही वह 2024 की अभी तैयारी कर रहे हैं। उनके घर में इस समय कलह चल रहा है और उनकी कार्यशैली से लगता है कि वह अभी 2024 को दूर मानते हैं । जबकि मोदी प्रधानमंत्री के रूप में जहां देश के कार्यों में लगे हुए हैं , वही उनकी कार्यशैली यह भी बता रही है कि वह 2024 को भी बहुत निकट मान रहे हैं । दोनों नेताओं की कार्यशैली का यह अंतर ही 2024 की हार जीत को तय कर देगा।

डॉ राकेश कुमार आर्य
संपादक : उगता भारत

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