उत्तर प्रदेश समाजवादी पार्टी नेता लौटनराम निषाद बोले : राम का अस्तित्व नहीं
राम काल्पनिक पात्र सपा नेता
समाजवादी नेता चौधरी लौटन राम निषाद (साभार: न्यूज़ नेशन)
आर.बी.एल.निगम, वरिष्ठ पत्रकार
एक समय था जब समाजवादी पार्टी ही के मुलायम सिंह यादव ने मुस्लिम वोट की खातिर उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री रहते निहत्ते रामभक्तों पर गोलियां चलवाकर उनके खून की होली खेलने में तनिक भी संकोच नहीं किया। फिर जब उनके पुत्र अखिलेश यादव ने अपने मुख्यमंत्री काल में 84 कोसी यात्रा को बाधित करने का प्रयास किया।
आज उत्तर प्रदेश ही नहीं, राष्ट्र समाजवादी पार्टी और दूसरे दलों में समस्त हिन्दुओं से जानना चाहता है कि “क्या अपनी कुर्सी और तिजोरी भरने के लिए आखिर कब तक राम के अस्तित्व को नकार हिन्दू होते हुए अपने ही देवी-देवताओं का अपमान करते रहोगे? और जिन मुस्लिम वोटों के लिए ये जो छिछोरी सियासत कर रहे हो, उनसे कुछ शिक्षा लो, और अगर नहीं ले सकते हो, सियासत करना छोड़ दो।” जिन मुस्लिम वोटों की खातिर तुम बेशर्म हिन्दू बकवास कर रहे हो, बेंगलुरु में देखा नहीं। जिस कांग्रेस ने जिन मुस्लिम वोटों की खातिर सच्चाई को छुपाकर कभी अयोध्या मुद्दा हल नहीं होने दिया और इतना ही नहीं, मथुरा में श्रीकृष्णा जन्मभूमि पर आये छह के छह निर्णय श्रीकृष्णा जन्मभूमि के पक्ष में आने के बावजूद अपनी कुर्सी की खातिर विवाद बनाकर रखे रहे, कोर्ट के निर्णय तक लागू करने में अनगिनत जीरो लेकर फेल रहे, जबकि उसी कांग्रेस के विधायक के रिश्तेदार द्वारा मोहम्मद पर टिप्पणी करने पर तुम्हारे शांतिप्रिय, गरीब और मजलूमों ने दंगा कर दिया।
आखिर कब तक तुष्टिकरण पुजारी बने रहोगे? सच्चाई को स्वीकार करना सीखो और समाज को सच्चाई से अवगत करवाओ, बहुत खेल ली हिन्दू-मुसलमान के खून की होली। दंगा में मरता बेगुनाह है, तुम्हारे जैसे दंगे की चिंगारी छोड़ने वाले नहीं। समय बदल रहा है, इतिहास की वास्तविकता को स्वीकारो।
समाजवादी पार्टी के नेता चौधरी लौटन राम निषाद ने 18 अगस्त, 2020 को राम मंदिर पर आपत्तिजनक टिप्पणी की है। निषाद ने भगवान राम के अस्तित्व पर भी सवाल उठाया है।
समाजवादी पार्टी पिछड़ा वर्ग प्रकोष्ठ के प्रदेश अध्यक्ष चौधरी लौटन राम निषाद ने कहा कि भगवान श्री राम फिल्मों की तरह ही एक काल्पनिक पात्र थे। निषाद पार्टी के स्थानीय पदाधिकारियों का चयन करने के लिए अगस्त 18 को अयोध्या पहुँचे थे।
अपने हिंदू विरोधी बयानबाजी को जारी रखते हुए, सपा नेता निषाद ने आगे दावा किया कि संविधान ने भी स्वीकार किया है कि भगवान राम जैसा कोई नायक कभी भारत में पैदा नहीं हुआ था।
संविधान की मूल प्रति में राम और …लगता है इन जैसे सियासतखोरों ने संविधान को कभी खोलकर नहीं देखा। बात करते हैं संविधान की। पता कौन अक्ल से पैदल इन जैसों को नेता बनाता और मानता है? ऐसे नेता पागल कहा जाये या फिर किसी अन्य अमर्यादित शब्द से, जिसे नहीं मालूम की संविधान के प्रारम्भ के पृष्ठों में ही श्रीराम की अयोध्या लौटते चित्र है।ये लोग वास्तव में अनपढ़ हैं, इन्हें इतना भी नहीं मालूम की डॉ अम्बेडकर ने इनके गरीब, मजलूम और शांतिप्रिय के लिए क्या शब्द बोले हुए हैं। भारत में दंगे इन जैसे कुर्सी और तिजोरी भरने के भूखे लोगों की वजह से होते हैं, चिंगारी छोड़ चुपचाप पतली गली से निकल जाते हैं, और मर जाते बेगुनाह हैं। उत्तर प्रदेश योगी सरकार को ऐसे नेताओं को संज्ञान में लेना चाहिए।
मीडिया से बात करते हुए निषाद ने कहा, “अयोध्या में राम मंदिर बने या कृष्ण मंदिर, उससे मुझे कोई लेना देना नहीं है। भगवान राम में मेरी आस्था नहीं है। यह मेरा व्यक्तिगत विचार है। मेरा विश्वास डॉ.भीमराव अंबेडकर, कर्पूरी ठाकुर, छत्रपति साहूजी महाराज, ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले द्वारा बनाए गए संविधान पर है, जिनसे हमें सरकारी नौकरियों में पढ़ने, लिखने, बैठने का अधिकार मिला है।” इसके अलावा समाजवादी पार्टी के नेता ने कहा मेरी आस्था उनमें है जिनकी वजह से मुझे सीधा लाभ मिला।
भगवान राम के अस्तित्व पर संदेह जताते हुए निषाद ने आगे कहा, “राम पर ही नहीं मैं उनके अस्तित्व पर भी सवाल उठाता हूँ। राम एक काल्पनिक पात्र है, जो फिल्म की पटकथा के समान है। राम एक ऐसा चरित्र है, जिसका कोई अस्तित्व नहीं है। संविधान ने यह भी कहा है कि राम का जन्म किसी नायक से नहीं हुआ, राम नाम का कोई नायक भारत में पैदा नहीं हुआ।”
किसने किया इन नारों का विरोध ?
इन्ही जैसे वोट के भूखे नेताओं के सहयोग और समर्थन के कारण पिछली यूपीए सरकार इस्लामिक आतंकवादियों को बचाने “हिन्दू आतंकवाद” और “भगवा आतंकवाद” कहकर हिन्दू धर्म को कलंकित कर बेगुनाह साधु-संत जैसे साध्वी प्रज्ञा(वर्तमान सांसद), स्वामी असीमानंद और कर्नल पुरोहित आदि को जेलों में डाल रही थी। अपना मुंह बचाने के लिए पकडे गए आतंकवादियों को तो कोरमा, बिरयानी खिलाई जा रही थी, और इनकी सात्विकता को भंग किया जा रहा था। दूसरे, नागरिकता संशोधक कानून विरोध की आड़ में इन्ही जैसे ढोंगी कुर्सी के भूखे नेताओं की आड़ में “fuck hintuva” और “हिन्दू तेरी कब्र खुदेगी” जैसे नारे लगे, किसी का साहस नहीं विरोध करने का। धर्म-निरपेक्षता की क,ख तक आती नहीं चले हैं धर्म-निरपेक्ष बनने। दिल्ली दंगे में पकडे गए दंगाई कबूल रहे हैं विरोध की असली वजह। अगर अभी भी वोट के भूखे नेता अपनी आंखें नहीं खोलते, फिर कोई नहीं खोल सकता। इन्ही जैसों ने कांग्रेस और वामपंथियों से साठगांठ कर भारत के गौरवमयी इतिहास को धूमिल मुग़ल आक्रांताओं को महान पढ़ाने में सफल हुए थे।