Categories
आज का चिंतन

आज का चिंतन-28/11/2013

जिन्दगी को अभिशप्त कर देती हैं

फालतू की चर्चाएँ और भविष्यवाणियाँ

– डॉ. दीपक आचार्य

9413306077

dr.deepakaacharya@gmail.com

चुनाव के वर्तमान मौसम में आजकल अधिकांश लोगों के पास टाईमपास करने का एकमात्र और सहज-सुलभ स्वादिष्ट जरिया बना हुआ है चर्चाओं का दौर। इन चर्चाओं से न किसी का भला हुआ है, न होने वाला है। लेकिन जिन लोगों के पास कोई काम नहीं है, उनके सामने सबसे बड़ी समस्या यह हो गई है कि टाईम कैसे पास करें।

यों भी अपने महान देश में कुल आबादी का अधिकांश हिस्सा फालतू की बातें कहने-सुनने में ही हमेशा भिड़ा रहता है और यही हमारे सतही मनोरंजन और टाईमपास करने का एकमात्र माध्यम है जिसका रस पाकर हम किसी ताकतवर टॉनिक का अहसास करते रहे हैं।

सुनने वालों के मुकाबले बोलने वाले ज्यादा हो गए हैं, बोलने वालों के मुकाबले बात-बात पर तर्क-कुतर्क करने वाले, हर चर्चा का पोस्टमार्टम करते हुए तह तक जाने वाले और हर संभावित कोने से विश्लेषण करते हुए अपनी ही डींगे हाँकने वालों का प्रतिशत तो इससे भी ज्यादा है।

आजकल हर प्रकार के गलियारों, चौराहों, दुकानों, थड़ियों, सार्वजनिक स्थलों और बीच रास्तों पर चुनावी चर्चाओं का दौर अपने पूरे शबाब पर है। बस्तियाँ चुनावी बतरस से गुलजार हैं और जमीन-आसमाँ से लेकर हवाओं तक में चुनाव हावी है। दिन की चर्चाओं का असर खूब सारे लोगों की रातें बिगाड़ रहा है, सपनों में भी चुनावी चर्चाओं की रील चलने लगी है।

भविष्यवाणी करने वाले त्रिकालज्ञ ज्योतिषी अब रहे नहीं अथवा सारे के सारे धंधेबाजी में मस्त हो गए हैं। लेकिन तमाम प्रकार बाड़ों, गलियों, सड़कों और चौराहों पर उन भविष्यवक्ताओं की बाढ़ आ गई है जो चुनावी माहौल से लेकर उन सभी मुद्दों पर नॉन स्टॉप चर्चाओं में रमे हुए हैं।

चर्चाएं करना और अभिव्यक्त करना लोकतांत्रिक व विकासशील देश के सच्चे नागरिकों की पहचान है मगर आने वाले समय या परिणामों के बारे में अपनी राय बनाना और व्यक्त करना सूक्ष्म तौर पर भले ही हमें आनंद या क्षणिक संतुष्टि जरूर दे पाने की स्थिति में हो, लेकिन किसी भी प्रकार के अनुमान, संभावनाओं और परिणामों को लेकर की जाने वाली भविष्यवाणियों से आदमी की अपनी संचित ऊर्जाओं और पुण्यों का क्षरण होता है। फिर चाहे ये भविष्यवाणियां सकारात्मक हों या नकारात्मक।

दोनों ही स्थितियों में हमारा संचित पुण्य और दिव्य ऊर्जाओं का भण्डार खाली होने लगता है, अपने आभामण्डल का संकुचन होता है और शुभ्रता गायब होने लगती है।  हम उन सारी चर्चाओं से आनंद पाना चाहते हैं जिनका अपने जीवन के लिए कोई मूल्य नहीं है, जो होना है वह कुछ दिनों में अपने आप सामने आने ही वाला है, ऎसे में अपने स्तर पर की जाने वाली भविष्यवाणियाेंं और अनुमानों का कुप्रभाव हमारे अपने मन-मस्तिष्क और शरीर पर पड़ता ही है। इससे हमारे अपने रोजमर्रा के कामों को पूरा करने लायक संकल्प शक्ति नहीं मिल पाती और हमारी समस्याएं बरकरार रहती हैं।

आदमी जो कुछ सोचता, करता और बोलता है, वह अपने साथ कुछ न कुछ ऊर्जाओं को लेकर ही रहता है और ऎसे में हम किसी भी व्यक्ति या घटना को लेकर जो भविष्यवाणी करते हैं, उसके पीछे हमारे संकल्प के अनुरूप उस काम की पूर्णता के लिए आवश्यक ऊर्जा बाहर निकल जाती है।

यह अलग बात है कि इससे संकल्प पूरा हो या न हो, लेकिन जब-जब भी हम कोई धारणा बना लेते हैं हमारी ऊर्जा अपने शरीर को छोड़कर बाहर निकल जाती है और  इसी प्रकार धीरे-धीरे ऊर्जाओं का क्षरण होने लगता है। जब यह संतुलन बिगड़ जाता है तब हम ऊर्जा हीन होकर मानसिक एवं शारीरिक बीमारियों, पापों से घिरने लगते हैं और यह स्थिति हमारे जीवन के लिए सर्वाधिक घातक होती है।

यह ध्यान रखें कि अपने मन में सोचा गया और मुँह से बोला गया हर अक्षर एक निश्चित परिमाण में अपनी ताकत लेकर बाहर निकलता है और ऎसे में फालतू की चर्चाओं और भविष्यवाणियों में रस लेने वाले लोगों का जीवन रंग-रस हीन हो जाता है।

इस सत्य को जो स्वीकार कर लेते हैं वे फालतू की चर्चाओं, परायों के काम-काज और व्यवहार तथा भविष्यवाणियों से दूरी बना लेते हैं और जीवन की मस्ती पा जाते हैं। इन्हीं लोगों का संकल्प बलवान होता है जो जीवन को सुख-समृद्धि प्रदान कर आनंद का सृजन करता है।

यह हम पर है कि हम अपनी इंसानी ऊर्जाओं और दैवीय तत्वों को बनाए रखना चाहते हैं या बरबाद करना। ईश्वरीय विधान पर विश्वास रखें, आपके या हमारे चिल्लाने, बकवास करने या सोचने से कुछ नहीं होगा, अपने कत्र्तव्य कर्म पर ध्यान केन्दि्रत करें, फल देने का काम भगवान का है, उसके बारे में चिंतन कभी न करें।

—-000—-

Comment:Cancel reply

Exit mobile version