वैदिक मिशनरी श्री सुमन कुमार शर्मा वैदिक जी की स्मृति में
एक अध्ययनशील , मननशील चिंतनशील और क्रियाशील व्यक्तित्व के धनी थे वैदिक जी
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प्रत्येक मनुष्य इस संसार में आया है तो जाएगा जरूर । लेकिन जीवन उसी का सफल व सार्थक होता है जो इस संसार में रहते हुए अपनी खुशबू बिखेरता है और पुण्य कार्य में जीवन व्यतीत करता है । श्री सुमन कुमार शर्मा वैदिक जी का जीवन उनके नाम के अनुरूप ही था । वह ‘सुमन’ थे और संसार में रहकर सुमन धर्म अर्थात खुशबू बिखेरने के कार्य में लगे हुए थे । उनका असामयिक निधन बहुत ही दुख का विषय है।
मेरा उनसे बहुत लंबा परिचय तो नहीं , परंतु मैं उनके मकान पर इस कोरोना काल में दो बार मिलने के लिए गया। ब्रह्मर्षि कृष्ण दत्त ब्रह्मचारी की भाषणों की संकलित पुस्तक उनसे खरीद कर के लाया।
इस दो बार की भेंट में उन्होंने मुझे बहुत ही गहराई तक प्रभावित किया ।मेरे हृदय पर एक गहरी छाप छोड़ी। वास्तव में वैदिक साहित्य के लिए और विशेष रूप से कृष्ण दत्त ब्रह्मचारी की पुस्तकों के लिए भगीरथ प्रयास कर रहे थे। उनके साथ जितना भी समय व्यतीत हुआ , उसमें आनंद ही आनंद था । एक ऐसी गहरी खुशबू का आभास मुझे होता रहा जो उन्हें महर्षि दयानंद का मिश्नरी बनाने का स्पष्ट आभास करा रही थी।
वह इस समय एक नई पुस्तक लिख रहे थे । जिसकी समीक्षा के लिए उन्होंने मुझसे आग्रह किया था और मैंने वह आग्रह उनका स्वीकार किया। परंतु पुस्तक अधूरी रह गई। तब तक भाई साहब सुमन जी ईश्वर के श्री चरणों में चले गए। बहुत ही सादगी, सरलता, निराभिमानी व्यक्तित्व था उनका । महर्षि दयानंद के मिशन को लेकर आगे बढ़ाना उनके जीवन का लक्ष्य था । ऋषि दयानंद और आर्य समाज के सिद्धांतों के प्रति समर्पित व्यक्तित्व के रूप में वह एक समाचार पत्र भी संपादित करते थे । जिसमें आर्य जगत के समाचारों को प्रमुखता से स्थान देते थे । ‘आर्यवर्त केसरी’ नाम का उनका यह समाचार पत्र आज अनाथ हो गया है । साथ ही मैं यह भी कह सकता हूं कि उनके जाने से साहित्य जगत का एक महान सितारा भी हमसे देखते देखते ही कहीं अनंत में विलीन हो गया है ।
पिछले कुछ समय से शुगर उनकी ज्यादा बढ़ रही थी।
हमने आर्य समाज की एक अनुपम निधि को खोया है। आर्य समाज को इस से बहुत बड़ी और अपार क्षति हुई है। अध्ययनशील , मननशील , चिंतनशील और फिर क्रियाशील व्यक्तित्व के रूप में वैदिक जी अब सूक्ष्म जगत के माध्यम से हमारा मार्गदर्शन करेंगे। निश्चय ही उनके मिशन को आगे बढ़ाना , उनकी सोच और उनके चिंतन के अनुरूप आर्य समाज को गति देना हम लोगों का नैतिक दायित्व है।
मैं परमपिता परमात्मा से प्रार्थना करता हूं कि श्री सुमन शर्मा जी की दिवंगत आत्मा को अपने श्री चरणों में स्थान दें। तथा परिवार को इस दारुण दुख को सहने की क्षमता प्रदान करें। मैं समस्त उगता भारत समाचार पत्र परिवार की ओर से दिवंगत शिरीष सुमन कुमार वैदिक जी को अपनी भावपूर्ण श्रद्धांजलि अर्पित करता हूं।
ओम शांति, ओम शांति, ओम शांति।
देवेंद्र सिंह आर्य
चेयरमैन : उगता भारत
I was in close touch with him since last 7 years and participated in most of the functions. It is really sad that such a great person dedicated to social cause has left the world so soon. Humanity needed him for much longer period. God may give the strength to his family to bear such a loss.