कंचन सिंह
आयुर्वेद के जानकारों के मुताबिक, बिना प्याज़-लहसुन और बहुत कम तेल मसालों के साथ एकदम शुद्ध तरीके से बनाया गया भोजन सात्विक भोजन कहलाता है। आयुर्वेद और हिंदू शास्त्र में इसे सबसे अच्छा और शुद्द कहा गया है। साधु-संत हमेशा ऐसा ही भोजन करते हैं।
हमारे शास्त्रों और आयुर्वेद में भोजन को तीन भागों में बांटा गया हैं सात्विक, राजसिक और तामसिक। राजसिक भोजन राजा-महाराओं के घर में बनता था यानी घी, तेल-मसालों का अधिक इस्तेमाल होता है। तामसिक भोजन में मांस-मछली, लहसुन-प्याज आदि आते हैं, जबकि साधु-संतो के साधारण भोजन को सात्विक भोजन कहते हैं। इसे सबसे शुद्ध और शरीर के लिए अच्छा माना जाता है।
सात्विक भोजन क्या है?
आयुर्वेद के जानकारों के मुताबिक, बिना प्याज़-लहसुन और बहुत कम तेल मसालों के साथ एकदम शुद्ध तरीके से बनाया गया भोजन सात्विक भोजन कहलाता है। आयुर्वेद और हिंदू शास्त्र में इसे सबसे अच्छा और शुद्द कहा गया है। साधु-संत हमेशा ऐसा ही भोजन करते हैं। विशेषज्ञों के अनुसार, इससे शरीर को पूरा पोषण और ऊर्जा मिलती है और दिमाग को शांत बनाता है। सात्विक भोजन अधिकांशतः उबला हुआ होता है। यदि आप शुद्ध तरीके से खाना बनाकर 2-3 घंटे के अंदर खाते हैं, तो यह भी सात्विक भोजन है। इसके अलावा इसमें इन चीज़ों को शामिल किया जा सकता है- साबूत अनाज, फल और सब्जियां, फलों का जूस, दूध, घी, मक्खन, मेवे, शहद, बिना प्याज़-लहसुन वाली दाल-सब्ज़ियां आदि।
आयुर्वेद के जानकारों के मुताबिक, सात्विक भोजन हमारे मन और शरीर के लिए बहुत फायदेमंद होता है।
पचने में आसान- आपने कभी सोचा है कि घर के बड़े-बुज़ुर्ग उपवास के बाद बिना तेल-मसाले का हल्का भोजन करने की सलाह क्यों देते हैं? क्योंकि यह आसानी से पच जाता है। विशेषज्ञों के मुताबिक, सात्विक भोजन कि यही खासियत है कि यह आपके पेट को आराम देता है और इसे खाने से आपको ताजगी का एहसास होता है, मन भी शांत रहता है, क्योंकि ऐसा भोजन करने वालों को कभी भी पेट संबंधी बीमारी नहीं होती है।
शांति और खुशी का एहसास- आयुर्वेद के मुताबिक, सात्विक भोजन करने से मानसिक शांति मिलती है। इससे न सिर्फ शरीर की थकान दूर होती है, बल्कि व्यक्ति को शांति और खुशी का भी एहसास होता है।
बढ़ती है खूबसूरती- सात्विक भोजन पूरी तरह से स्वस्थ और शुद्ध होता है इसलिए विशेषज्ञों का कहना है कि ऐसा भोजन करने से आपकी त्वचा और बाल खूबसूरत बनते हैं।
पौष्टकिता से भरपूर- चूकि सात्विक भोजन ज़्यादातर सिर्फ उबालकर ही बनाया जाता है या इसमें ताज़े फल और सब्ज़ियों का सेवन किया जाता है, इसलिए यह पौष्टिक तत्वों से भरपूर होते हैं। चूकि तेल, मसाले और शक्कर का इस्तेमाल न के बराबर होता है इसलिए दिल के मरीजों और डायबिटीज पेशेंट के लिए यह बहुत अच्छा होता है।
तामसिक भोजन क्या है?
खूब तेल, मसालों और प्याज़-लहसुन डालकर बनाया गया भोजन तामसिक भोजन की श्रेणी में आता है। इसमें मांस, मछली के साथ ही प्याज़-लहसुन से बना खाना, खमीर उठी हुई चीजें आदि शामिल हैं। ऐसा भोजन करने से शरीर में सुस्त आती है और व्यक्ति का किसी काम में मन नहीं लगता। उसका मन भटकने लगता है और मानसिक शांति और शारीरिक ऊर्जा बिल्कुल नहीं रहती।
तामसिक भोजन के नुकसान
आयुर्वेद में तामसिक भोजन को शरीर और मन के लिए अच्छा नहीं माना गया है।
आसानी से नहीं पचता- आयुर्वेद के जानकारों का मानना है कि चूकि ऐसे भोजन को बनाने में तेल मसाले का अधिक इस्तेमाल होता है इसलिए लंबे समय तक इनके सेवन पेट में जलन, एसिडिटी के साथ ही अन्य समस्याएं भी हो सकती है। ऐसा भोजन आसानी से पचता भी नहीं है।
आलसी बनाता है- सात्विक भोजन से जहां शरीर को स्फूर्ति और ऊर्जा मिलती है, वहीं तामसिक भोजन के सेवन से शरीर आलसी और जड़ बन जाता है।
सेहत के लिए नुकसानदायक- बासी और बहुत देर का बना बेस्वाद खाना भी तामसिक माना जाता है, इसके अलावा अधिक तेल मसाले वाला और मीठा भोजन करने से सेहत बिगड़ सकती है।
क्रोध और तनाव का कारण- शराब जैसी नशीली चीज़ों को भी तामसिक प्रवृत्ति का माना जाता है, विशेषज्ञों के मुताबिक, ऐसे भोजन के सेवन से गुस्सा और तनाव बढ़ जाता है।