क्या हुआ जो फिसल गए ?

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सोते हुए शासन प्रशासन को जगाने की कोशिश
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-राजेश बैरागी-
पुराने लोग माथे पर हाथ रखकर अपनी यादों को संग्रहित करते हुए कहते हैं,-अब वैसी बारिश नहीं होती।’ वे बताते हैं कि दो दो हफ्ते रामजी बरसता था। मैं विचार करने लगता हूं कि तब सड़कों का ऐसा जंजाल नहीं था इसलिए रामजी को दो हफ्ते तक बरसने की सहूलियत रहती थी। शनिवार को दादरी से दुजाना गांव जाते हुए राष्ट्रीय राजमार्ग 91(जीटी रोड) का मामूली बारिश के बाद हाल कुछ ऐसा था कि चार पहिया वाहन भी एड़ी उठाकर चल रहे थे। सड़क किनारे चल रहे लोगों को चलने के लिए जगह तलाशनी पड़ रही थी और अपने कपड़े व जान की हिफाजत अलग से करनी पड़ रही थी। यह अब टोल रोड भी है। क्या यह दशा केवल जीटी रोड की है? ग्रेटर नोएडा के सूरजपुर कस्बे में ऐन घंटा चौक के आसपास इससे बुरा हाल रहता है। बिसरख मोड़ और कुलेसरा में जल भराव स्थाई समस्या है। नोएडा के फेज- 1,फेज-2 और फेज-3 में कहां जलभराव की समस्या नहीं है। जैसे हर बरस बारिश आती है वैसे ही हर बरस बारिश से निपटने की योजनाएं संबंधित विभाग और प्राधिकरणों द्वारा बनाई जाती हैं।

घोषणाएं भी की जाती हैं। बारिश जो अब बहुत नहीं होती परंतु थोड़ी भी होती है तो सारी योजनाओं, सभी तैयारियों और सारी घोषणाओं की पोल खोल जाती है। इस बीच गौतमबुद्धनगर के पुलिस कमिश्नर आलोक सिंह ने जनपद को यातायात की दृष्टि से संवेदनशील बताते हुए लोगों को बरसात के मौसम में संभलकर चलने की एडवाइजरी जारी कर दी है।(नेक दृष्टि हिंदी साप्ताहिक नौएडा)

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